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Seven Billionth: सिलसिला शुरू हुआ...
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Everyone has a story.to tell.to listen to.to share with! पहला हस्ताक्षर. कुछ-कुछ पहले जैसा. बुधवार, 14 सितंबर 2011. सिलसिला शुरू हुआ. हिंदी दिवस- एक शोकगीत. एक छोटी सी बात कहनी है आप से,. छोटी सी, जो कुछ ही क्षणों में चुक जायेगी. ठीक वैसे ही, जैसे एक ही दिन में,. चुक जाएगा यह हिंदी दिवस. बेचारी हिंदी के लिए,. फिर आ जाएगी अंधेरी रात,. बीत जाएगी इस दिवस के. संक्षिप्त-सीमित-पूर्वनियोजित उजाले की बात. मैं निकला घर से आज, अलसुबह,. बमुश्किल लिपटी एक बुढिया. सुबक रही है. भारतेंदुओं...तो पाते,. कितने...अरे...
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Anurag Dhanda's World: October 2007
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Friday, October 26, 2007. तुझसे मुहब्बत करना मेरी खता बन गया है. मेरा तुझसे यूँ दूर रहना. अब एक नशा बन गया है. दर्द क्या सताएगा हमें. दर्द ही अब दवा बन गया है. ढूँढता रहा तेरे जाने के बाद. मुहब्बत को चेहरा दर चेहरा. तुझे प्यार करना मानो. मेरी सबसे बड़ी ख़ता बन गया है. Sunday, October 21, 2007. दिल का हाल लिख रहा हूँ . आज एक अरसे के बाद फिर. अपने दिल का हाल लिख रहा हूँ।. गुज़ारे हैं मैनें जो तेरे जाने के बाद. वो हर लम्हा, दिन, साल लिख रहा हूँ।. अक्सर ये लगता है मुझे. Subscribe to: Posts (Atom).
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Anurag Dhanda's World: May 2009
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Wednesday, May 13, 2009. तेरी यादों को आखिरी सलाम. शायद यही मेरा आखिरी सलाम हो तुझको. शायद यही मेरा आखिरी पैगाम हो तुझको. मेरा हर लफ़्ज तेरी रुह में समा जाए. शायद यही मेरे प्यार का इनाम हो मुझको. इस दुनिया में भरोसा बस अपनों से मिलता है. शायद यही इस रिश्ते में दुश्वार था मुझको. हमने बहुत खोया है किसी को दिल देकर. खुदा ना करे कभी किसी से प्यार हो तुमको. ये शमां मेरे दिल में यूं ही जलती रहे. मगर इस बात का न कभी इकरार हो मुझको. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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Anurag Dhanda's World: June 2009
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Saturday, June 27, 2009. कभी समझ सको तो. कभी समझ सको तो कोशिश करना. उन पलों की गहराईयों को समझने की. जब मेरे कांपते हाथ. ढूंढते हैं तेरे जिस्म का सहारा. तेरे होठों के मेरे होठों से छू जाने भर से. मिलता है मेरी अनबुझी प्यास को एक किनारा. जब तेरी जुल्फों की छांव में प्यारा सा वक्त. एक ख्वाब की तरह गुज़र जाता है. वो तेरा शरमा के मेरे सीने से लिपट जाना. कैसे कहूं. मुझे कितना तड़पाता है. कभी समझ सको तो कोशिश करना. उन पलों की गहराईयों को समझने की. कभी समझ सको तो कोशिश करना. Sunday, June 14, 2009. कि हम भ...
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Anurag Dhanda's World: ये कैसी चाहत...?
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Wednesday, December 9, 2009. ये कैसी चाहत? हकीकत से वो कोसों दूर. मैं ख्वाबों में नहीं रहता. बोलना उसे नहीं भाता. तो चुप मैं भी नहीं रहता. कहानी है ये चाहत की. मुहब्बत की अदावत की. मेरी सोच की दस्तक. मेरी राहों का कोई पत्थर. कहीं उसे न छू जाए. वो मुझसे दूर न जाए. कहानी है ये चाहत की. मुहब्बत की अदावत की. वो कहती है मैं कैसे भूलूं. मेरे कल के वो लम्हे. मैं अपने कल को भूला हूं. बस उसको याद कर करके. कहानी है ये चाहत की. मुहब्बत की अदावत की. मुझे तो सच से लड़ना है. December 10, 2009 at 9:16 AM.
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Anurag Dhanda's World: मदहोशी में मुहब्बत
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Thursday, February 11, 2010. मदहोशी में मुहब्बत. कौन सी कसक कब, कहां उठती है. किसे देखकर वो मदहोश निगाह झुकती है. ख्यालों से किसके हो जाते हैं बेचैन. धड़कन किसके इशारे पे चलती, ऱुकती है. ये तो दीवानगी भी नहीं जानती. कि वो किसके आगोश में रहती है. अहसास' बस मुहब्बत का मारा है. ये मेरी हर सांस कहती है. तूने किसे चाहा किसे इस्तेमाल किया. ये तो तेरी मुहब्बत को पता है. जो किसी का हो न सका कभी. वो भी तेरी इक निगाह में बंधा है. कौन सी कसक कब, कहां उठती है. February 19, 2010 at 9:26 AM. जो सोचा ...
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Anurag Dhanda's World: July 2009
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Saturday, July 18, 2009. पुराना हिसाब बाक़ी है. कभी किस्मत ने कहा नहीं मुझसे. लगता है कोई पुराना हिसाब बाकी है. किसी की मुहब्बत को रुसवा किया था. शायद उसी ख़ता का अंजाम बाकी है. जाम बिखरे हैं ज़िंदगी में ग़मों के. साथ देने को बस नहीं कोई साक़ी है. कभी किस्मत ने कहा नहीं मुझसे. लगता है कोई पुराना हिसाब बाकी है. वो भी तो तडपी होगी एक अरसे तक. अब उसकी आहों का अहसास बाक़ी है. मैं जानता हूं मेरे नसीब में खुशी नहीं. अब तो बस मौत का इंतज़ार बाक़ी है. Friday, July 17, 2009. ये कैसी उलझन? जो सोचा...
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Anurag Dhanda's World: December 2009
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Wednesday, December 9, 2009. ये कैसी चाहत? हकीकत से वो कोसों दूर. मैं ख्वाबों में नहीं रहता. बोलना उसे नहीं भाता. तो चुप मैं भी नहीं रहता. कहानी है ये चाहत की. मुहब्बत की अदावत की. मेरी सोच की दस्तक. मेरी राहों का कोई पत्थर. कहीं उसे न छू जाए. वो मुझसे दूर न जाए. कहानी है ये चाहत की. मुहब्बत की अदावत की. वो कहती है मैं कैसे भूलूं. मेरे कल के वो लम्हे. मैं अपने कल को भूला हूं. बस उसको याद कर करके. कहानी है ये चाहत की. मुहब्बत की अदावत की. मुझे तो सच से लड़ना है. Subscribe to: Posts (Atom).
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Anurag Dhanda's World: April 2007
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Friday, April 20, 2007. वो आज भी चाहे मुझे. सोचता हूँ हर पल भुला दूं उसे. दर्द जिसका दिल में लिए फिर रहा हूँ. मगर लगता है ये सोच कर. अपनी नज़रों से खुद ही गिर रहा हूँ. मेरी ये तमन्ना नहीं कि वो आज भी चाहे मुझे. या मेरे दिल का हाल कोई जा कर बताये उसे. लेकिन जिन्दगी से इतनी सी उम्मीद लगा रखी है. कि मुश्किल लम्हों में ये एहसास हो उसे . कोई था जो उसे चाहता था इस तरह. जैसे जिन्दगी धड़कनों को चाहती है. कभी किसी रोज़ वो खुद से कहे. या मेरे दिल का हाल कोई . Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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Anurag Dhanda's World: November 2007
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Saturday, November 10, 2007. यादों का नासूर. ज़ख्म दिया था जो तूने, नासूर हो चला है।. तू थी तो होश में था, अब सुरूर हो चला है।. बावकूफ़ बेशक तू किसी और की हो महबूबा।. मगर दिल तेरे प्यार में मजबूर हो चला है।. तेरी यादें जीने का सहारा अब हो चुकी शायद. मुहब्बत की ख्वाहिशें कहीं खो चुकी शायद. तेरे हुस्न तेरे अंदाज़ से महकती थी जो शामें. हर वो शाम, वो लम्हा, मुझसे दूर हो चला है।. तू थी तो होश में था, अब सुरूर हो चला है।. लोग कहते हैं कुछ कमी थी तुझमें. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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