khanshabnam.blogspot.com
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: May 2011
http://khanshabnam.blogspot.com/2011_05_01_archive.html
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. लावण्या (पार्ट-3). प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (7). लावण्या (पार्ट-3). इस संदेश के लिए लिंक. लावण्या (पार्ट-2). प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (6). लावण्या धीरे-धीरे अपने आज में वापस आने लगी। अब क्या वो खुश है. बेशक थी। फिर. फिर वो अचानक अजीब सी बेचैनी क्यों महसूस करने लगी थी. इस संदेश के लिए लिंक. लावण्या. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (4). इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. सदस्यता लें संदेश (Atom). लावण्या (पार्ट-3). लावण्या. रात मे&#...जयपु...
khanshabnam.blogspot.com
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: March 2010
http://khanshabnam.blogspot.com/2010_03_01_archive.html
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. दो कंधे. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (17). दो नाज़ुक मासूम कंधे. बोझ उठाये फिरते है. किसी की उम्मीदें. किसी के सपने. पूरा करते वो कंधे. वो झुकते है. वो थकते है. ज़िम्मेदारियों के बोझ तले दबे कंधे. बनते है किसी का सहारा. किसी का दिलासा वो कंधे. सूरज से तपते कभी. बारिश से भीगते कंधे. दर्द सहते. टूटते जुङते. दो नाज़ुक मासूम कंधे. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. सदस्यता लें संदेश (Atom). कब क्या लिखा मैंने. दो कंधे. अभिव्यक्ति. दिल्ली, India. जयपुर म...
khanshabnam.blogspot.com
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: March 2013
http://khanshabnam.blogspot.com/2013_03_01_archive.html
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. तू सिर्फ इंसान है. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (7). पैदाइश के फौरन बाद. मैं खुद ब खुद हिस्सा हो गई. कुल आबादी के. आधे कहलाने वाले. एक संघर्षशील. कानों से गुज़रती. हर एक महीन से महीन आवाज़. ये अहसास दिलाती रही. तुझे कुछ सब्र रखना होगा. कुछ और सहना होगा. कुछ और लड़ना होगा. और दिल से आती. हर ख़ामोश सदा ने कहा,. तुझे नहीं बदलना. बिगड़ा नज़रिया किसी बेअक़्ल का. तुझे नहीं बनानी नई दुनिया. विशेष के लिए. और न ही. तुझे करना है साबित. किसी को कुछ भी. अपने लिए. राजकोट...जयपु...
khanshabnam.blogspot.com
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: January 2013
http://khanshabnam.blogspot.com/2013_01_01_archive.html
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. अपने हिस्से का प्यार. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (19). चांद तारों की म. हफिल लगने से. आसमान में सूरज लहराने तक. बादल के आखिरी टुकड़े से. बारिश की हर बूंद निचुड़ जाने तक. घर के बाहर लगे गुलाब के पौधे में. एक नया फूल उग के सूख जाने तक. सड़क पर लगे गाड़ियों के मजमें से. उसके ख़ामोश सुनसान हो जाते तक. चूड़ियों की सजी खनखनाहट से. ड्राउर के लकड़ी के केस में रखे जाने तक. करीने से बनी ज़ुल्फों के. कंधों पर बिखर जाने तक. मैंने कर लिया. नई पोस्ट. दिल्ली, India. जयपुर म...
mithileshdubey.blogspot.com
दुबे का बेबाक-अंदाज: November 2009
http://mithileshdubey.blogspot.com/2009_11_01_archive.html
दुबे का बेबाक-अंदाज. Monday, November 30, 2009. अजय झा जी आप हमें यूँ छोड़ के नहीं जा सकते , अलविदा ब्लोगिंग. जी एक ऐसा नाम जो हिन्दी ब्लोग जगत में अपनी एक अलग पहचान रखता है । अजय झा. झा जी का मेसेज आया मेरे मोबाईल पर कि "ब्लोगिंग को अलविदा कह रहा हूँ आप सब के स्नेह के लिए शुक्रिया ". प्रस्तुतकर्ता. लेबल: लेख. Friday, November 27, 2009. महिलायें बनेंगी पुरुष तो बच्चे पैदा कौंन करेगा? कोई पचास-साठ साल पहले अमेरिका में एक. क्यों होना चाहती हैं? अगर सभी के पास एक ही सन्ता...और आप लोगो से व...जीवन भर इ...
khanshabnam.blogspot.com
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: October 2011
http://khanshabnam.blogspot.com/2011_10_01_archive.html
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. झांसी का किला देखिए तस्वीरों में. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (9). कुछ दिन पहले झांसी जाना हुआ. वहां झांसी की पहचान 'झांसी का किला ' देखा. ऊंचाई पर बसा ये किला वाकई बहुत खूबसूरत है. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: झांसी. झांसी का किला. रानी लक्ष्मीबाई का किला. नया रिश्ता. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (18). सुबह-सुबह दरवाज़े पर. सूरज की पहली किरण. संग आज ले आई. एक नया महमान. एक ताज़ी हवा का झोंका,. मुझे देख. वो कुछ मुस्कुराया. एक रिश्ता नया,. रिश्ता. कब क्यì...
khanshabnam.blogspot.com
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: November 2012
http://khanshabnam.blogspot.com/2012_11_01_archive.html
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. तेरी सासों में क़ैद, मेरे लम्हे. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (7). वो लम्हे. तेरी सांसों में क़ैद. जो मेरे थे. सिर्फ मेरे,. जिनमें नहीं थी. मसरूफियत ज़माने की. रोज़ी-रोटी कमाने की. जिसमें नहीं थी. कोई रस्म दिखावे की. कहां गुम गए. सभी, एकदम से. क्या सच है. बुज़ुर्गो की वो बात. जो कहते हैं. कुछ मिल जाने के बाद. उसकी चाह. होने लगती है ख़त्म,. या फिर. ये एक वहम ही है. हमेशा कहते हो तुम. लेकिन फिर भी. मैं अक्सर. उन लम्हों को. याद करती हूं. जो मेरे थे. बहरहाल, ईमा...राज...
khanshabnam.blogspot.com
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: January 2011
http://khanshabnam.blogspot.com/2011_01_01_archive.html
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. एक पुरुष की अनकही. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (21). मेरे अस्तित्व को. खुदके अस्तित्व पर ओढ़े. समेटे अपनी इच्छाओ को. मेरी इच्छाओ में. हिस्सा बन गयी हो. मेरे जीवन का. सदा मु. स्कुराती तुम,. इतराती भी हो,. तुम्हे मेरे साथ का. कुछ घमंड सा हो चला है. पर सच कहूँ. ये घमंड तुम्हारा. मुझे मेरे. सम्पूर्ण होने का. दिलाता है,. तुम पर अपना. मालिकाना हक. समझने लगा हूँ. तुम मुझे मेरी. संपत्ति सी लगती हो,. चाहता हूँ,. मेरी पकड़ तुमपर. हमेशा बनी रहे,. कुछ तो हो. ऐसे ही. इस संद...
khanshabnam.blogspot.com
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: July 2010
http://khanshabnam.blogspot.com/2010_07_01_archive.html
जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (15). दौर उलझनों का. सुलझता ही नहीं. वक़्त की रफ़्तार. बढ़ती भी नहीं. धुंध में लिपटी. ख्वाहिशें सभी. ज़िन्दग़ी का सफ़र. काटे कटता नहीं. चन्द रोज़ पहले. ख़ामोश जज़्बात हुए. पर सूरत-ए-हाल. छिपता ही नहीं. यादों के चराग़. आँखों में जले. कोशिशें हुई तमाम. फ़िर भी रूठी रही. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. सदस्यता लें संदेश (Atom). कब क्या लिखा मैंने. अभिव्यक्ति. दिल्ली, India. चिट्ठाजगत पर पसंद करें. 1 माह पहले. जयपुर मेट...जीव...