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नारी का, नारी को, नारी के लिए....: 03/29/15
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नारी का, नारी को, नारी के लिए. किसी भी लेखन शैली (काव्य, गद्य,पद्य )की ज्ञाता नहीं हूँ मैं। मुझसे तो बस मेरी लेखनी जो लिखवाएगी वही लिखती चली जाऊँगी।सदा.अनवरत.निरन्तर. ब्लॉग से जुड़कर मुझे प्रोत्साहित करे. सभी टिप्पणियां. सभी टिप्पणियां. रविवार, 29 मार्च 2015. दो शब्द., गुरु द्रोणाचार्य. गुरु द्रोणाचार्य. Http:/ lekhaniblogdj.blogspot.in/. Http:/ lekhaniblog.blogspot.in/. धन्यवाद द्रोणाचार्य प्रतिभा सक्सेना जी. Http:/ lambikavitayen5.blogspot.in/. आपके ब्लॉग. लालित्यम. आपके ब्लॉग. धन्यवाद द...आपका...
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गीत मेरे ........: December 2013
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मंगलवार, 31 दिसंबर 2013. किसका कौन सहारा माँ . नव वर्ष की पूर्व संध्या में. दो मंजिले नए पुते. घर के एक कोने में. कड़कड़ाती सर्दी. हीटर से गर्म कमरों में. केक , पेस्ट्री , मिठाई. कभी गर्म प्याले कॉफी. कभी ढल रहे ज़ाम! खेलते -कूदते बच्चों से. गुलज़ार घर में! घर के ही एक कोने में. विधवा वृद्धा माँ. पका कर खाना. नल के ठन्डे पानी से. अभी निकली है. अबोलेपन में. गली के नुक्कड़ तक! मिट्टी के चूल्हे पर. फटे -पुराने कपड़ों में. हाथ सेक लेने की मनुहार करती. नुक्कड़ पर ढाली खटिया. मन में कहते. वाणी गीत. ब्रह्म...जीव...
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अपनों का साथ: May 2014
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Friday, May 9, 2014. माँ कैसे जान लेती है दिल की हर बात. पर,खुद में सम्पूर्ण. कैसे जान लेती है. दिल की हर बात. हर जज़्बात को. जीवन चक्र. शैशव से यौवन तक के. और आँखों में. झलकते किसी के प्यार को. शांत, सौम्य. पर दिल से धरती सी मजबूत. उसकी फुलवारी में महकते. हर फूल की. महक को वो कभी. खोने नहीं देती और. अपने मौन को टूटने नहीं देती. उसकी आँखों के पानी को. जब तक समझो. वो भाप बन कर उड़ चुके होते हैं. वो,हर दुख को झाड लेती है. जीवन जीने के लिए. जो पल-पल अहसास करवाती है. अपने होने का. वो ही साइड. बेगान...सजे...
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अपनों का साथ: November 2013
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Wednesday, November 13, 2013. आप सब आमंत्रित हैं. हम गुलमोहर के रचनाकर. अपनी खुशियों में करना चाहते हैं. आपको शामिल . चाहते हैं आपकी शुभकामनाएँ. आपकी गरिमामय उपस्थिति. आप सबका प्रदीप्त सान्निध्य।. तो आएँगे न . जरूर आइएगा. इंतज़ार करेंगे हम सब. 30 कवियों की प्रतिनिधि कविताओं के संग्रह "गुलमोहर". का विमोचन. सान्निध्य :. लीलाधर मंडलोई, वरिष्ठ कवि. सुमन केशरी अग्रवाल, वरिष्ठ कवयित्री. लक्ष्मी शंकर वाजपेई, वरिष्ठ कवि-गीतकार. ओम निश्चल, वरिष्ठ कवि-लेखक. तृतीय तल. दिन : 16 नवम्बर 2013. आभा खरे. मेरा ...जौन...
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अपनों का साथ: April 2014
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Tuesday, April 29, 2014. उसकी आखिरी रात में. उसकी आखिरी रात में. साँसों का चलना. साँसों का रुकना. इसी के बीच. रुक-रुक के चलती जिंदगी. जिंदगी की आखिरी रात. सो कर नहीं बिताना चाहती. वो भूल जाना चाहती है. वो एक औरत है. एक स्त्री, एक माँ है. एक बेटी और एक बहन है. किसी के घर की. वो खुद के लिए एक संसार. रचना चाहती है. उसके आँसू, उसकी हँसी. और उसके दर्द की परछाई. जिस में छिपी है उसकी जिंदगी की सच्चाई. जिस से वो. बाहर निकलना चाहती है. जो फर्ज़ और दायित्व के नाम पर. वो पत्थर तोड़ती,. कम ही आँका. उसे अपने. इन बí...
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