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अंदाज़े ग़ाफ़िल: November 2015
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. रविवार, नवंबर 29, 2015. लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं. अगर देखिएगा तो चेहरे बहुत हैं. लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं. चलो इश्क़ की राह में चलके हमको. ये माना के है ख़ूबसूरत जवानी. मुसाफ़ात=दोस्ती. 8216;ग़ाफ़िल’. 1 टिप्पणी:. चन्द्र भ...इसे...
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तिमिर-रश्मि: February 2012
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बाल कविता. यात्रा-वृत्तान्त. व्यंग्य. बुधवार, 22 फ़रवरी 2012. इस जीवन से सम्पृक्त हुआ. हम बहुत चले, हम बहुत खिले. उत्तंग पहाड़ों की चोटी पर,. हम शिखरों से गले मिले. उन बर्फीली राहों में हम. गिरे-उठे-फिसले-संभले. पुष्पाच्छादित तरल ढलानों पर. हमने कितना विश्राम किया. सूंघा-सहलाया-तोड़ा भी. उन पर सोकर आराम किया।. जब धूप चढ़ी तब देवदारु के. नीचे भी विश्राम किया. फिर जल-प्रपात में खड़े-खड़े. बालू रगड़ा स्नान किया।. निर्वसन रहे पर फ़िक्र नहीं. वो इन्द्रासन पर्वत है और. हर ओर धवल चहुं ओर धवल. निर्मम...ख़&...
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हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग: April 2012
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हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग. शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012. बन गया भगवान मै अपने भक्तों का देखकर दुःख. बन गया भगवान मै अपने भक्तों का देखकर दुःख. आचार एवं विचार में असमानता की. मेरे भक्तों को अब रहेगी छूट. घूम- घूमकर बोलो तुम सारे जग में झूठ. भक्त बनने मेरा तुम्हे मिलेगा. जग को लूटने की जीभरकर छूट. आदर्शवादी बनने से. तेरे भाग्य जायेंगे तुझसे रूठ. बनकर बहुरुपिया तू भोले- भालों पर टूट. गिरगिट की तरह रंग बदलो. और बन जाओ आले दर्जे का धूर्त. 5 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. Pinterest पर साझा क...लेब...
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हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग: January 2012
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हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग. रविवार, 29 जनवरी 2012. कुछ लोग फिर मंदी आने की बात कर रहे हैं।. हैं।. काल्पानिक. हैं।. हैं।. बेरोजगारी. हैं।. हैं।. चिंता. लाखों. हैं।. गोदामों. मुक्ति. क्योंकि. दुखों. निवृत्ति. प्रस्तुतकर्ता हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग. 5 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: हास्य कविता. शुक्रवार, 20 जनवरी 2012. 5 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! नेताजी क...बेरो...
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हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग: May 2012
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हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग. सोमवार, 7 मई 2012. मै सोलह श्रृंगार कर ली. क्रीम पोतकर मै सोलह श्रृंगार कर ली. काजल लगाकर मै उनको प्यार कर ली. मुझे देखकर उनके प्राण पखेरू उड़ गए. तब उनकी अंतरात्मा की शांति के लिए. मैने हनुमान चालीसा की पाठ कर दी. प्रस्तुतकर्ता हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग. 9 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: हास्य कविता. शनिवार, 5 मई 2012. 4 टिप्पणियाँ. नई पोस्ट. शर्माज&#...मेर...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: January 2017
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सोमवार, जनवरी 30, 2017. थोड़ी अलसाई दोपहरी. कुछ नीली कुछ पीली गहरी. मुझको अपने पास बुलाए. कुछ भी समझ न आए, हाए! लता विटप सी लिपटी तन पर. अधरों को धरि मम अधरन पर. कामिनि जिमि नहिं तनिक लजाए. कुछ भी समझ न आए, हाए! 8216;ग़ाफ़िल’. बुधवार,...लज़्...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: November 2016
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सोमवार, नवंबर 28, 2016. वक़्त गुज़रा तो नहीं लौट कर आने वाला. बात क्या है के बना प्यार जताने वाला. घाव सीने में कभी था जो लगाने वाला. काश जाता न कभी याँ से हर आने वाला. 8216;ग़ाफ़िल’. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. Labels: ग़ज़ल. आईने कì...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: July 2016
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. शनिवार, जुलाई 30, 2016. मगर जाता है. क्यूँ बताता है नहीं दोस्त किधर जाता है. और जाता है तो किस यार के घर जाता है. पास आ मेरे सनम जा न कहीं आज की रात. हूक उट्ठे है वो शब वस्ल की याद आए है जब. 8216;ग़ाफ़िल’. 1 टिप्पणी:. Labels: ग़ज़ल. Twitter पर स...
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