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तनिष्क: May 2012
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Wednesday, 23 May 2012. तेलुगु साहित्य : एक अवलोकन' पर चर्चा और कवि गोष्ठी. पहले सत्र में डॉ गुर्रमकोंडा नीरजा की नई ताजी किताब 'तेलुगु साहित्य : एक अवलोकन. पर चर्चा हुई. श्री लक्ष्मीनारायण अग्रवाल. अध्यक्ष आसन से संबोधित करते हुए डॉ ऋषभ देव शर्मा. भीड़ में अकेला. बीच में जल-पान की भी व्यवस्था थी. अच्छा घरेलू-सा माहोल बन गया था. बढ़िया लगा. डॉ.बी.बालाजी. Labels: गतिविधि. Subscribe to: Posts (Atom). हैदराबाद से. तेलुगु ग्राम-जीवन की कहानियाँ. सागरिका. संज्ञान. गर्भ में. प्रफुल्लता. View my complete profile.
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तनिष्क: हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन
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Thursday, 2 August 2012. हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन. भारत डायनामिक्स लिमिटेड. मेदक में. दिनांक. हिंदी शिक्षण योजना के अंतर्गत हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम के सत्र जुलाई-नवंबर. उद्घाटन संपन्न हुआ. दिनांक. से नियमित रूप से. का उद्घाटन करते हुए भानूर इकाई के महा प्रबंधक (उत्पादन) श्री पी के दिवाकरन ने. प्रेरित करना चाहिए. हिंदी सीखने के बाद उसका यथावश्यक. भी करना चाहिए. हिंदी का प्रचार-प्रसार. करना केवल. का दायित्व. है. यह. के प्रत्येक. का कर्तव्य. से प्रस्तुत. के कर्मचारी. में सफल. हिंद&...को ...
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नव्यदृष्टि: April 2011
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नव्यदृष्टि. मंगलवार, 26 अप्रैल 2011. अन्ना का आगे का रास्ता आसान नहीं है. प्रस्तुतकर्ता. डॉ. राधेश्याम शुक्ल. 2 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. गुरुवार, 21 अप्रैल 2011. हजारे की व्यवस्था परिवर्तन की जंग. नई दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर अपने समर्थकों के साथ अन्ना हजारे. प्रस्तुतकर्ता. डॉ. राधेश्याम शुक्ल. 3 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. प्रस्तुतकर्ता. डॉ. राधेश्याम शुक्ल. 6 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. ब्लॉग आर्काइव. राजनीति. वन्देमातरम. हिन्द&...फर्...
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तनिष्क: September 2011
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Friday, 30 September 2011. एक मैंने. अपने बच्चे को खरीद कर दी. उसकी जिद्द थी. दुनिया को रंगीन. देखने की. दुकान पर की रंगीन ऐनकें. बारी-बारी से चढ़ा. अपनी आखों पर. कभी हँसता. कभी ताली बजाता. सफ़ेद शीशे वाली ऐनक. पहनकर उसने पाया. दुनिया रंगीन अच्छी नहीं लगती. साफ़-सफ़ेद अच्छी लगती है. बिना ऐनक के सुन्दर दिखती है'. डॉ.बी.बालाजी. Labels: कविता. Friday, 9 September 2011. गणेश मंडप-विचार विमर्श-2. चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी. डॉ.बी.बालाजी. Labels: त्यौहार. Wednesday, 7 September 2011. प्रणाम सर. प्रणाम सर. है...
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तनिष्क: May 2011
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Sunday, 15 May 2011. चुप रहो! सुन तो मैं. सब कुछ रहा था. बोलना चाहते हुए भी. मित्र ने कहा-. तुम कुछ बोलते क्यों नहीं? केवल मुस्कुराया. मुस्कान देखकर. वह भी चुप हो गयी।. बहस करने वाले. चुप हो गए।. मैंने. उठते हुए. अपने -आप से कहना चाहा. लोग बहुत बोलते हैं. कभी -कभी. कुछ. करें. चुप रहें. डॉ.बी.बालाजी. Labels: कविता. Friday, 13 May 2011. सिक्का उछालके. आओ करें हम फैसला सिक्का उछालके,. तकदीर अपनी सँवार लें सिक्का उछालके. आओ करें हम फैसला सिक्का उछालके,. डॉ.बी.बालाजी. Labels: कविता. Wednesday, 11 May 2011.
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चौपला: January 2010
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सोमवार, 18 जनवरी 2010. ज्योति बसु के लिए - २. ज्योति बसु के लिए - २. एक पेड़ का बयान. फूल से होते हुए. फल के पेट में पहुंचा. पकता रहा वहीँ. मुद्दत तक. एक दो- पहर. पेड़ का बयान. धूल में जा गिरा. आँखों में एक समझदार चमक लिए. बड़ी - बड़ी सफ़ेद और पीली. कीलों की नोकों पर. टिके ऊंचे दरवाज़े. थरथराने लगे. कबूतरों पर झपटने को. तैयार बिल्लियाँ. सोचने लगीं. हमलों के नए तरीकों के बारे में. वक़्त का एक छोटा सा टुकड़ा मिल गया. पेड़ के बयान को. आवाज़ देकर. उसने सिर्फ इतना कहा. हरकत उभर आई है. देवराज DEVRAJ. तुम...
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ल खक पर चय. म द द ►. ज दग आनल ईन. व यक त गत. ब त तकन क. र पहल द न य. हम ब ल ग त …. Laquo; स मय क च ट ठ व र ष क सर व क षण 2008. स ह र दप र ण उद स न आश चर य. 1000व च ट ठ चर च पर एक ल टलत फ प स ट. Bull; Nov 21st, 2009 • Category: पस द द प स ट. 10 नव बर 2009 क ह न द ब ल ग जगत क स र वजन क उपक रम च ट ठ चर च न अपन एक हज रव प स ट. छ प स गब ग हट बन ह ई थ और इतन द न क सन न ट क ब द म न अन प. क व द क य इस अवसर पर अपन र य ल खन क पर ज स क क स procrastinator क स थ ह त ह यह प स ट अब आप तक पह च रह ह व स भ ट व टर क आदत.
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तनिष्क: August 2011
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Tuesday, 30 August 2011. बिल्ली का घर. बिल्ली को कोई हक्क नहीं. कि वह किसी के घर. अपने बच्चे जने. गंदा करे, अपवित्र करे. शोर मचाए. म्याऊँ-म्याऊ. बिल्लों की गंध घर भर में भर जाए. दूध के लिए. यहाँ-वहाँ ताक-झाँक करे. चूहों को ढूँढे. अधमरे चूहों को न पकड़ पाए. मरे चूहों की गंध से घर. भर जाए बार-बार. बिल्ली तो घर बदलती रहती है. सात घर बदलती है. अपने बच्चों को बचाने. उसे तो हक्का नहीं. किसी एक घर को अपना बनाने. क्योंकि. अंततः वह माँ है, माँ है. डॉ.बी.बालाजी. Labels: कविता. Sunday, 28 August 2011. और भीतर,.