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सागर: कविता बनकर उतरी तुम..... !!!
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मैं सागर हूँ ,इस सागर की बस इतनी सी परिभाषा है! जो बूँद-बूँद में भर जाता,पर बूँद-बूँद को प्यासा है! Saturday, 26 November 2011. कविता बनकर उतरी तुम! जब-जब अंतस की खाई में,. गुमसुम होकर तन्हा बैठा. जाने-अनजाने से मुझमे,. इक कविता बनकर उतरी तुम. स्मृतियों के हिमपातो. में,. मैं विरह ताप में जब झुलसा. मेरे सीने के गोमुख से,. इक कविता बन कर उतरी तुम. मेरी रेखाओं के विलोम,. मैं तेरा ही पर्याय रहा. तुम मोती बन अनमोल हुई,. मैं सीप वर्म असहाय रहा. तेरे दरवाज़े से जब भी,. इक जलती अगन छुआ करती. बहुत खूब! वाह ...
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ब्लॉग प्रसारण : June 2013
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ब्लॉग प्रसारण पर आप सभी का हार्दिक स्वागत है! सभी ब्लॉग प्रसारण कर्ता मित्रों से अनुरोध है कि वे अपने पसंद के सीमित लिंक्स अर्थात अधिकतम (10-15) ही लिंक्स लगायें ताकि सभी लिंक्स पर पहुंचा जा सके. मित्र - मंडली. मुखपृष्ठ. ब्लॉग प्रसारण परिवार में आप सभी का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन. Sunday, June 30, 2013. रविवार ,30 जून 2013. ब्लॉग प्रसारण , संख्या - 42. मौन सिसकियाँ. अपर्णा बोस. लव लैटर . पंखुरी गोयल. कड़वा सच. शिखा वार्ष्णेय. तो अपनाइए यह तरीका . हितेश राठी. इमरान अंसारी. नया सवेरा. शिव स...
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v7: कारवाँ बन जायेगा......
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मै इस ब्लॉग में अपनी कुछ चुनी रचनाओं का प्रकाशन कर रहा हूँ ,जो ब्लॉग पाठकों द्वारा पसंद की गयी थीं. Click here for Myspace Layouts. शनिवार, 7 जनवरी 2012. कारवाँ बन जायेगा. कारवाँ बन जायेगा,चलते चले बस जाइये. मंजिले ख़ुद ही कहेगी,. स्वागतम् हैं आइये. पीर को भी प्यार से,वेइंतिहाँ सहलाइये. आशिकी में डूबते,उसको भी अपने पाइये. हैं नजारे ही नहीं,. समझ भी जाइये. देखने वाले के नजरों,में जुनूँ भी. चाहिये. बुत नहीं कोई फरिश्ते,वे वजह मत जाइये. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. 1 टिप्पणी:. ने कहा…. नई पोस्ट. मित&...
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Friday, December 23, 2011. छोड़े. आँसुओं. बिछुड़े. वाह .बहुत खूब ।. December 23, 2011 at 2:54 AM. संतोष कुमार. Bhut Khoob, Behad Khoobsurat! December 23, 2011 at 2:59 AM. Ap kis se juda hokar udas ho gayi Urmiji? December 23, 2011 at 3:11 AM. घनश्याम मौर्य. सुन्दर उद्गार।. December 23, 2011 at 3:18 AM. शिवम् मिश्रा. बहुत खूब.वाह।. December 23, 2011 at 3:19 AM. वाह्…………बहुत सुन्दर्।. December 23, 2011 at 3:28 AM. ज्ञानचंद मर्मज्ञ. December 23, 2011 at 3:38 AM. नीरज गोस्वामी. December 23, 2011 at 3:52 AM.
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GULDASTE - E - SHAYARI
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Sunday, December 18, 2011. आँसू है कि आँखों से नहीं थमते,. ज़ख्म किसी की यादों के नहीं भरते,. हम उनको हर लम्हा याद किया करते,. पर वो भूले से भी याद नहीं करते! डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण). बहुत सुन्दर भावप्रणव मुक्तक।. December 18, 2011 at 1:55 AM. संतोष कुमार. December 18, 2011 at 3:34 AM. Very beautiful sketch and shayeri. December 18, 2011 at 4:24 AM. याद और आँसू का क्या अटूट रिश्ता है जी. December 18, 2011 at 4:56 AM. उर्मी जी,.वाह! बहुत सुंदर यादे,. बेहतरीन रचना ,. मे click करे. डॉ ट&#...
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v7: यह अतीत से कैसा बंधन........
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मै इस ब्लॉग में अपनी कुछ चुनी रचनाओं का प्रकाशन कर रहा हूँ ,जो ब्लॉग पाठकों द्वारा पसंद की गयी थीं. Click here for Myspace Layouts. शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011. यह अतीत से कैसा बंधन. यह अतीत से कैसा बंधन. म्रदुल बहुत थी मेरी इच्छा. देख तुम्हारी हाय अनिच्छा. तोड़ दिये मैने ही उस क्षण,पेम-परों के सारे बंधन. यह अतीत से कैसा बंधन. मौंन ह्रदय से तुम्हे बुलाया. अपनी ही प्रतिध्वनि को पाया. मेरे भाग्य-पटल पर अंकित,उस क्षण के तेरे उर क्रंदन. यह अतीत से कैसा बंधन. कैसी परवशता की छाया. ने कहा…. Hamesha ki tarah lajwaab.
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v7: आ फिर राग बसंती छेड़े........
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मै इस ब्लॉग में अपनी कुछ चुनी रचनाओं का प्रकाशन कर रहा हूँ ,जो ब्लॉग पाठकों द्वारा पसंद की गयी थीं. Click here for Myspace Layouts. मंगलवार, 27 दिसंबर 2011. आ फिर राग बसंती छेड़े. आ फिर राग बसंती . आ फिर राग बसंती छेड़े. है विहान भी रंग ,रंगीला. मलय पवन का राग नशीला. शरमाई सी मुझको तकती,तेरे नयनों को अब छेड़े. आ फिर राग बसंती छेड़े. कितने मधु-रितु ,साथ पुराना. सुखद बहुत ये ,साथ निभाना. आ फिर राग बसंती छेड़े. ईश विनय,. मन करे हठीला. बना रहे यह साथ,सजीला. आ फिर राग बसंती छेड़े. ने कहा…. ने कहा…. कुछ खì...
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v7: क्यूँचुप हो कुछ बोलो श्वेता.....
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मै इस ब्लॉग में अपनी कुछ चुनी रचनाओं का प्रकाशन कर रहा हूँ ,जो ब्लॉग पाठकों द्वारा पसंद की गयी थीं. Click here for Myspace Layouts. शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011. क्यूँचुप हो कुछ बोलो श्वेता. क्यूँचुप हो कुछ बोलो श्वेता. क्यूँ. चुप हो कुछ बोलो श्वेता. मौंन बनी. क्यूँ. मुखरित श्वेता. क्षित की भी तुम सुन्दर-आभा. नील-गगन की हो परिभाषा. है पावक तुमसे ही शोभित. जल की हो तुम ही अभिलाषा. महाशून्य से उद्दगम करती. दिग्ग-विहीन होकर हो बहती. सरिता महा-मौन की कैसी. इक कल को कल्पना बनाती. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. कुछ ख&...
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v7: मै चुप हूँ........
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मै इस ब्लॉग में अपनी कुछ चुनी रचनाओं का प्रकाशन कर रहा हूँ ,जो ब्लॉग पाठकों द्वारा पसंद की गयी थीं. Click here for Myspace Layouts. रविवार, 25 दिसंबर 2011. मै चुप हूँ. मै चुप हूँ. मै चुप हूँ. ढूढता है तू. बन व्रतचारी. हिम शिखर में. स्वंम सिध्द मंत्रो की साधना से. मै चुप हूँ. श्रध्दा के ज्वार में. निर्माण करता है. मेरे रूपों का. स्थानों का. मै चुप हूँ. अणु-अणु में खोजता है. उत्पत्ति के रहस्य. मै चुप हूँ. खुद को मान बैठता है. सर्व शक्तिमान. गिडगिडाता है. मै चुप हूँ. मै चुप हूँ. श्रध्दा. बहुत सु...मेर...
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v7: जब हम कुछ दिन बाद मिले थे .........
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मै इस ब्लॉग में अपनी कुछ चुनी रचनाओं का प्रकाशन कर रहा हूँ ,जो ब्लॉग पाठकों द्वारा पसंद की गयी थीं. Click here for Myspace Layouts. बुधवार, 4 जनवरी 2012. जब हम कुछ दिन बाद मिले थे . हम कुछ दिन बाद मिले थे. मेरी प्रतीक्षा में तुम रत थे. नयन तेरे कितने विह्वल थे. एक-दूजे को देख हमारे ,मन में कितने दीप जले थे. हम कुछ दिन बाद मिले थे. मै आया जब पास तुम्हारे. कम्पित तन-मन हुये हमारे. हम कुछ दिन बाद मिले थे. क्षण भर का एकांत देख कर. वक्ष-स्थल से मेरे लग कर. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मित...
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