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रफ़्तार रिव्यू: एक पत्रिका
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रफ़्तार रिव्यू. Monday, July 28, 2008. एक पत्रिका. Http:/ ehindisahitya.blogspot.com/. पूजा प्रसाद. साहित्य. ई-हिन्दी साहित्य सभा. पुजा प्रसाद जी,. आपकी समीक्षा के लिये आभार. शम्भु चौधरी. August 4, 2008 at 8:49 AM. Subscribe to: Post Comments (Atom). पूजा प्रसाद. View my complete profile. खोजें हिंदी जगत. चिट्ठाकारों का मददगार. दुराये नैना बनाये बतियां. नुक्कड पर. एक पत्रिका. होम्योपैथी. सार्थक चीख. जादू है, नशा है. ब्लॉग में किताब. मजेदार समाचार. हंसना जरूरी है. गीतमाला. सीधी बात. रचना का सफर.
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जय कुमार 'रूसवा': July 2008
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जय कुमार 'रूसवा'. ब्लॉग आर्काइव. मेरी ग्यारह कविता. ओळ्यूँ. बुधवार, 23 जुलाई 2008. मेरी ग्यारह कविता. 1 कुछ क्षण. 2 उदास वीणा. 3 प्रीत-प्रीत. 4 मत पूछिए. 5 ऐसे दीप जलाने होंगे. 6 एक पुराना दर्द. 7 बैठो पथिक. 8 मैं शब्दों को. 9 किसलिए. 10 एक गीत. 1 कुछ क्षण. अंतस के आईने पर, कुछ क्षण गिरे हैं गल के. कितने हुए हैं भारी, फूलों से जो थे हलके. अंतस के आईने. सांसों की बांसुरी ने, अनबोले गीत गाए. भावों की भीनी भाशा, घुट-घुट के मरती जाए. अंतस के आईने. अंतस के आईने. अंतस के आईने. ऊपर जायें. आज वीणा पर. ओढ़नी...
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सीताराम महर्षि: पं.सीताराम महर्षि
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सीताराम महर्षि. Some Books Of Sitaram Maharshi. सीताराम महर्षि. अनुक्रमणिका. अनुक्रमणिका. ई-हिन्दी साहित्य सभा. दिल्ली में दिल्ली पुलिस का जंगल राज. नया समाज. परिचयः सज्जन भजनका. हरीश भादानी. विद्रोही रचनाशीलता के एक कवि श्री हरीश भादानी जी नहीं रहे़. Jai Kumar ' Ruswa'. मेरी ग्यारह कविता. शनिवार, 26 जुलाई 2008. पं.सीताराम महर्षि. डॉ. अरुण प्रकाश अवस्थी. राम-चरित जे सुनत अधाहीं।. रस विशेष जाना तिन्ह नाहीं।।. ऐसे संत कवि को मेरा शत्-शत् नमन।. प्रस्तुतकर्ता. नया समाज. ने कहा…. ने कहा…. नई पोस्ट.
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हरीश भादानी: August 2008
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हरीश भादानी. Some Books of Shri Harish Bhadani. शुक्रवार, 15 अगस्त 2008. मेरे पिता : हरीश भादानी. सरला माहेश्वरी. प्रस्तुतकर्ता. नया समाज. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). श्री हरीश भादानी. Poem of Harish Bhadani. Khule Alav Pakaee Ghati. Poem of Harish Bhadani. सन्नाटे के शिलाखंड पर. आडी तानें सीधी तानें. ई-हिन्दी साहित्य सभा. दिल्ली में दिल्ली पुलिस का जंगल राज. नया समाज. परिचयः सज्जन भजनका. सीताराम महर्षि. प्यार को नमन करो! Jai Kumar ' Ruswa'.
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हरीश भादानी: हरीश भादानी: विद्रोही रचनाशीलता के सतरंगी आयामों एक बड़ा कवि
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हरीश भादानी. Some Books of Shri Harish Bhadani. शुक्रवार, 25 जुलाई 2008. हरीश भादानी: विद्रोही रचनाशीलता के सतरंगी आयामों एक बड़ा कवि. अरुण माहेश्वरी. तुम्हें ही दूंगा आवाज/संयोग लिये/गर्भा लिये जाने मेरे वर्तमान से /समय नहीं/शरीर नहीं/ रोशनी! प्रस्तुतकर्ता. नया समाज. 1 टिप्पणी:. Dr Uday 'Mani' Kaushik. ने कहा…. मैं तो इनके (भादानी जी )के लिए यही कह सकता हूँ की. ये सूरज हैं इनकी ज़रूरत है हमको. इनसे रोशन है सारा शहर देखता हूँ. सच-मुच मेरा दिल बहुत कँपता है. डॉ.उदय 'मणि' कौशिक. नई पोस्ट. Jai Kumar ' Ruswa'.
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जय कुमार 'रूसवा': June 2008
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जय कुमार 'रूसवा'. ब्लॉग आर्काइव. टुकड़े-टुकड़े सोच. मंगलवार, 17 जून 2008. टुकड़े-टुकड़े सोच. बूढ़े बाप को. एक शब्द ने. जब दो बेटों ने. खड़े होकर कहा. बंटवारा" ।. 2अंगूठा. शहर भर में,. साक्षरता अभियान के. पोस्ट लगाए. मज्दूरी के पैसे. अंगूठा. लगा कर उठाए।. पार्टियों की. खींचा-तान. आतंक का साम्राज्य. सहमी-सहमी है. यह आजादी है. आजादी की. गलतफहमी है? शहीदों ने. देश बचाने. आयुध बनाने के लिये. अस्थियां दी. आज के नेताओं ने. उन अस्थियों की. दुकान खोल ली।. 5भारत महान. भूखा,. अधनंगा,. गौर से. दिवार पर. कर्ज ल...
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राजस्थानी ऒळखांण: Sep 18, 2007
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राजस्थानी ऒळखांण. राजस्थानी भासा री आगळी पांत री ठावकी वेबसाईट. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मेहमानों री विगत. धन माता, धन मुरधरा. धन माता, धन मुरधरा, रणबँका की खान. करगिल सूँ भी छह गुणा, होग्या खेत जवान. घात लगा हमला करै, नक्सल कायर ज्याँन. बिना धार तलवार भी, म्हाँ धर दी छै म्याँन. ब्याव सुदौ सोअेब छै, सोलह आना साँच. यो तलाक साबित करी, बात साफ ज्यूँ काँच. ऊपर" सूँ भी "परम" छै, कोयी तो आदेस. छीया कोई दे रही, अफसर ने सन्देस. कण-कण मुरधर रेत मैं, कायम सूरज अेक. 1 माह पहले. जाखड़ी, धाम...करवाड़...का&...
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राजस्थानी ऒळखांण: Aug 21, 2007
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राजस्थानी ऒळखांण. राजस्थानी भासा री आगळी पांत री ठावकी वेबसाईट. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मेहमानों री विगत. धन माता, धन मुरधरा. धन माता, धन मुरधरा, रणबँका की खान. करगिल सूँ भी छह गुणा, होग्या खेत जवान. घात लगा हमला करै, नक्सल कायर ज्याँन. बिना धार तलवार भी, म्हाँ धर दी छै म्याँन. ब्याव सुदौ सोअेब छै, सोलह आना साँच. यो तलाक साबित करी, बात साफ ज्यूँ काँच. ऊपर" सूँ भी "परम" छै, कोयी तो आदेस. छीया कोई दे रही, अफसर ने सन्देस. कण-कण मुरधर रेत मैं, कायम सूरज अेक. 1 माह पहले. जाखड़ी, धाम...करवाड़...का&...
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