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संजय व्यास: April 2013
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Wednesday, April 3, 2013. प्रासाद. अब ये इमारत उसके ठीक सामने थी. Subscribe to: Posts (Atom). प्रिय पते. कबाड़खाना. ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से. बेकल उत्साही को श्रद्धांजलि. उनकी इसी ग़ज़ल से पहले पहल उनसे तार्रुफ़ हुआ था. आवाज़ अहमद हुसैन-मुहम्मद हुसैन की -. सिद्धार्थ. Links for 2016-12-01 [del.icio.us]. Sponsored: 64% off Code Black Drone with HD Camera Our #1 Best-Selling Drone- Meet the Dark Night of the Sky! प्रतिभा की दुनिया . न दैन्यं न पलायनम्. लिली पाण्डेय. Hathkadh । हथकढ़. लगभग एक महीन...
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संजय व्यास: October 2014
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Friday, October 17, 2014. यद्यपि वो उम्र के लिहाज़ से बच्चा नहीं था. Subscribe to: Posts (Atom). प्रिय पते. कबाड़खाना. ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से. बेकल उत्साही को श्रद्धांजलि. उनकी इसी ग़ज़ल से पहले पहल उनसे तार्रुफ़ हुआ था. आवाज़ अहमद हुसैन-मुहम्मद हुसैन की -. सिद्धार्थ. Links for 2016-12-01 [del.icio.us]. Sponsored: 64% off Code Black Drone with HD Camera Our #1 Best-Selling Drone- Meet the Dark Night of the Sky! प्रतिभा की दुनिया . न दैन्यं न पलायनम्. लिली पाण्डेय. Hathkadh । हथकढ़. लगभग एक महीन&#...
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दयार: चिट्टा मुकुट
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Friday, August 14, 2015. चिट्टा मुकुट. मुदित सेठी. दा चारकोल कनै पेंसला नै बणाह्या इक स्केच कनै इक अंग्रेजी कविता।. कविता दा पहाड़ी कनै हिंदी अनुवाद तेज सेठी. जाई नै दूर बद्दळां तैं उप्पर. खड़ोत्तीयो उच्ची पक्की भगत*. इक्क चट्टान दूह्री. बैंगणी सलेट्टी भूरी. लपो:ह्यीयो वर्फा नै चुफीर्दीया. झाक्का करदी झरोखुये जे:ह ते. धूरीया दे जम्मेयो चोळे विच्चे ते. वाह भई क:देह्या छैळ. हया चिट्टा मुकुट. भगत : ठिण्ड या बट्टण्क (बटण्क) बटंक. स्थित है ऊंची सशक्त दृढ़-तत्पर. मुड़ी हुई. कितना सुन्दर. Friday, August 14, 2015.
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उसने कहा था...: August 2012
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उसने कहा था. Tuesday, August 14, 2012. मैं क्यों लिखता हूं. पोलिश कवि तादयुस्ज रोज़विच. की कविता. बिल जॉन्सन के. अंग्रेज़ी अनुवाद के आधार पर हिन्दी में अनुवाद उदय प्रकाश का. साथ में पिकासो की कलाकृति 'बस्ट ऑफ ए मैन राइटिंग'.). कभी-कभी 'जीवन' उसे छिपाता है. जो जीवन से ज़्यादा बड़ा है. कभी-कभी पहाड़ उस सबको छुपाते हैं. जो पहाड़ों के पार है. इसीलिए पहाड़ों को खिसकाया जाना चाहिए. लेकिन पहाड़ों को खिसकाने लायक. न तो मेरे पास तकनीकी साधन हैं. न भरोसा. और यही वजह है कि. Posted by Madhavi Sharma Guleri. TVs and ...
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उसने कहा था...: February 2014
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उसने कहा था. Thursday, February 27, 2014. मातृभाषा. की कलाकृति 'फार्मर्स वाइफ ऑन ए स्टेपलैडर'.). जैसे चींटियां लौटती हैं बिलों में. कठफोड़वा लौटता है. काठ के पास. वायुयान लौटते हैं एक के बाद एक. लाल आसमान में डैने पसारे हुए. हवाई अड्डे की ओर. ओ मेरी भाषा. मैं लौटता हूं तुम में. जब चुप रहते-रहते. अकड़ जाती है मेरी जीभ. दुखने लगती है. मेरी आत्मा।. Posted by Madhavi Sharma Guleri. Links to this post. Labels: कुछ और रचनाएं. Sunday, February 2, 2014. सौ साल पहले उसने कहा था. 8216; उसने कहा था. गुले...
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आवारा: January 2017
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27 जनवरी 2017. यायावर #2. ऐसे ही सतायेगी? वह अपनी आँखें भींच लेता है, उसकी मुठ्ठीयां कस जाती हैं और वह पसीने से तर बतर हो जाता है।. Yayawar #मुंबईडायरी. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: मुंबईडायरी. 25 जनवरी 2017. यायावर #1. दस रुपये means ten rupees? और बुढ़िया ने दस रुपये निकालकर उसे पकड़ा दिये।. There's nothing wrong, what the hell is the problem with you? This is not the first time that I am touching you.". उसनí...
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आवारा: January 2013
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30 जनवरी 2013. गुमशुदा तलाश. हर बार हो जाती हो तुम गुमशुदा,. कभी प्रेम के बनाये सामंती पन्नों में,. तो कभी संदेह की उग आई नागफनी में,. और मैं ढूंढता ही रहता हूँ तुम्हे,. गुम गयी गलियों में,. धूल उड़ाती सड़कों पर,. कभी कभी पूछ आता हूँ तुम्हारा पता,. सपने में आने वाली उस परी से भी,. जो बिलकुल तुम्हारी ही तरह दिखती है,. खंगालता आता हूँ डायरी के तुम्हारे पन्ने,. जो अब पीले पड़ गए हैं,. तुम्हारी याद में,. और तुम्हारी सांसे फिर,. ताज़ा होकर महकने लगती हैं,. करता गुमशुदा तलाश।. 1 टिप्पणी:. 29 जनवरी 2013. बैठत...
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आवारा: February 2016
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19 फ़रवरी 2016. तिरंगा. म्हारा मरना बेकार गया दोस्त,. मुझे आज फिर अफ़सोस है,. कल भी था, आगे भी रहेगा,. कि तुम्हारी अंतिम इक्षा के अनुरूप,. मैं कुछ भी ना कर सका,. ना ही दे सका अपनी जान,. और ना ले सका,. मैं भी तुम्हारे साथ वहीं,. उन खंडहरों के बीच,. काली रात मे,. गोलियों के बीच,. मर गया था,. अपने उस दोस्त की आँखों में देखते हुए,. जिसने मेरे मूह को दबा रखा था,. की मेरी वजह से और जानें ना जायें,. उसकी आँखों के आँसू,. लेकिन उन्हे भी मैं,. मुझे माफ़ कर देना,. आज भी माँ,. उसके पास,. और तिरंगा,. या फि...
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