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मीटर से भाड़ा तय करने वाले ऑटोरिक्शा | जिंदगी बस यही है
https://jindageebasyaheehai.wordpress.com/2015/03/24/मीटर-से-भाड़ा-तय-करने-वाले-ऑ
ज दग बस यह ह. आल ह द त ह न उन बच च क क छ पल क ल ए. आदम ज त चल ज त ह , आख र क य? 8211; एक प रश न →. म र च 24, 2015 · 5:39 अपर ह न. म टर स भ ड़ तय करन व ल ऑट र क श. म यद कद द ल ल एव म म बई ज स मह नगर क चक कर लग त रहत ह. ज न पड़त ह. ल क न इधर च र-छ द न क द ल ल प रव स क द र न म झ यह द खकर स खद आश चर य ह आ क वह भ क छ ऑट र क श व ल म टर क अन स र भ ड़ ल न क त य र ह न लग ह. उत तर म ल , सत तर र पय लग ग. म र अगल सव ल थ , इतन त ज य द ह वह तक क इतन ह त नह … अच छ , आपक ऑट र क श पर म टर लग ह क य? म टर स भ वह पड़ ग. आल ह द ...
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“अंगरेजी तो पूरे विश्व में प्रयुक्त होती है” – भ्रम जिससे भारतीय मुक्त नहीं हो सकते | हिन्दी तथा कुछ और भी
https://hinditathaakuchhaur.wordpress.com/2014/10/19/अंगरेजी-तो-पूरे-विश्व-मे
ह न द तथ क छ और भ. ह न द और अन य भ रत य भ ष ओ क दश पर फ टकर ट प पण य. अ गर ज त प र व श व म प रय क त ह त ह – भ रम ज सस भ रत य म क त नह ह सकत. अक ट बर 19, 2014. द ष ट त अ गर ज क – स प ई क मर क प रय ग-व ध. म ल उसक प रत यह प रस त त ह यह द व भ ष ह , अ गर ज एव च न भ ष म म द र त अ गर ज स पष टत व द श य क ल ए ह ग ज च न भ ष नह ज नत ह , और च न म डर न ख द च न य क ल ए. समझ स पर अ गर ज. जब म न उपर य क त न र द श-प स त क पढ़न क क श श क त प य क इसम द गई प ठ यस मग र अपन समझ स पर ह. अ गर ज उतन नह प रचल त ज तन बत ई ज त ह.
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मैं | जिंदगी बस यही है
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ज दग बस यह ह. 8 responses to “. द सम बर 4, 2010 क 9:05 प र व ह न. Very impressive. I like being here:). द सम बर 4, 2010 क 11:43 अपर ह न. जनवर 4, 2013 क 10:22 अपर ह न. आज आपक कई ल ख पढ़ बह त अच छ लग. अक ट बर 12, 2013 क 1:26 अपर ह न. आप क व च र बह त अच छ लग. अक ट बर 12, 2013 क 9:12 अपर ह न. Dear and Respected sir aj apka blog padkar bahut achcha laga muje b apne ghar, village ki yad a gayi. अक ट बर 12, 2013 क 9:16 अपर ह न. अक ट बर 13, 2013 क 7:40 अपर ह न. अक ट बर 16, 2013 क 4:14 अपर ह न. ईम ल (आवश यक).
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जिंदगी बस यही है | रोजमर्रा की जिंदगी में जो अनुभव में आया उसी को इस स्थल पर प्रस्तुत किया गया है लघुकथाओं के रूप में । | पृष्ठ 2
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ज दग बस यह ह. नए प स टस →. स तम बर 8, 2015 · 10:24 अपर ह न. क स म-क स म क ग हक म लत ह फल-सब ज सट ट म. ह त म बत न ज रह थ क ब त कल म क छ फल और सब ज य खर दन सट ट गय थ सबस पहल ज म न व ल क प स पह च ज म न ठ कठ क लग रह थ म न प छ ,. 8230; आध क ल त ल द न ठ क-स द ख ल न क क ई सड़ -गल न ह. वह म र ल ए ज म न त ल ह रह थ एक खर द र ठ ल पर पह च और ब ल ,. ज म न क य ह स ब द रह ह भई? सव ल प छत -प छत व द -त न द न ह थ म ल कर म ह म ड लन लग. यह त ज य द ल रह ह प द रह क लग ओ न? फल व ल न जव ब द य. नह भई, य त मह ग ह. क तन क ह स ब बन?
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14 | अप्रैल | 2009 | हिन्दी तथा कुछ और भी
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ह न द तथ क छ और भ. ह न द और अन य भ रत य भ ष ओ क दश पर फ टकर ट प पण य. दक ष ण भ रत य त र और ह द चत र थ भ ग, क रल और ह द. अप र ल 14, 2009. म र अभ तक क दक ष ण भ रत य त र ए. म ख यतय तम लन ड. क नगर /पर यटक स थल स स ब ध त रह ह म त र व द रम, म स र, ब गल र ,. और त र पत. क ई च र-एक स ल पहल व र णस स र लय न द व र त र पत. ज त समय भ म झ क रल क द जन स व र त ल प क अवसर म ल थ व द न क च न व श वव द य लय. ज स म झ य द ह ) म बत र अध य पक क र यरत थ और ह द व षय पर इल ह ब द व श वव द य लय. क स भ वन रह ह आजकल अन व दक. और अ गर ज.
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केरलियों एवं तमिलों के हिन्दी के प्रति सोच में अंतर का दशकों पुराना एक अनुभव | हिन्दी तथा कुछ और भी
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ह न द तथ क छ और भ. ह न द और अन य भ रत य भ ष ओ क दश पर फ टकर ट प पण य. क रल य एव तम ल क ह न द क प रत स च म अ तर क दशक प र न एक अन भव. ज न 26, 2014. र जभ ष ह न द चर च म ह. क रण म द सरक र. द व र व भ ग क द ए गए न र द श क व र जक य क र य प रम खतय ह न द म कर ह न द भ रत य स घ क स व ध न-सम मत र जभ ष. ल क न इस प रश न पर व च र करन क जर रत भ य न त महस स नह करत. ह न द क ज स व र ध पच स-स ठ क दशक म थ व स कद च त अब नह रह. इस स ब ध म म झ 1973 क दक ष ण भ रत क य त र क अन भव. र ज -र ट क ल ए व ल ग द श क अलग-अलग ह स स तक पह च...
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लघुकथा | जिंदगी बस यही है
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ज दग बस यह ह. 2 responses to “. म र च 31, 2009 क 1:01 प र व ह न. म र च 31, 2009 क 1:04 प र व ह न. Jindagi bas yahi hai {short story }. एक उत तर द जव ब रद द कर. Enter your comment here. Fill in your details below or click an icon to log in:. ईम ल (आवश यक). Address never made public). न म (आवश यक). You are commenting using your WordPress.com account. ( Log Out. You are commenting using your Twitter account. ( Log Out. You are commenting using your Facebook account. ( Log Out. अगस त 2016 (1). ज ल ई 2016 (2).
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आदमी जीता चला जाता है, आखिर क्यों ? – एक प्रश्न | जिंदगी बस यही है
https://jindageebasyaheehai.wordpress.com/2015/04/09/आदमी-जीता-चला-जाता-है-आखिर
ज दग बस यह ह. म टर स भ ड़ तय करन व ल ऑट र क श. आलस य अथव अकर मण यत क क ई स म नह ह त! अप र ल 9, 2015 · 10:33 अपर ह न. आदम ज त चल ज त ह , आख र क य? 8211; एक प रश न. क य कभ यह नह स चत क क फ ह च क ह , अब म झ इस धरत क अपन स स धन क स थ द सर क ल ए छ ड़ द न ह म त य क हम भय वह, घ ण स पद, सर वथ त य ज य इत य द नक र त मक व श षण स क य ज ड़त ह? हम कभ ह सत ह ए ल क न प र ण ग भ रत क स थ अपन न कटस थ य यह क य नह कह प त ह , क य भई कब तक हमस ज त रहन क कह ग? इतन कम ह क य? उसस ज ड़ स ह द क भ म क त क क मन नह करन च ह ए क य? य लघ कथ ...