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मस्तराम का दर्शन और साहित्य

मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 July 2008. ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी. कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़े. कहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़े. अपने हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं का. बोझ उठाये ढोता आदमी ने. उड़ने से पहले ही अपने पर खुद ही कतरे. शहर हो गये हैं जैसे युद्ध के मैदान. किले बन गये हैं रहने के मकान. पत्थर फिर बने लगे हैं हथियार. कौन करेगा किससे प्यार. गूंजता स्वर है. पर फिर भी जमीन पर. Links to this post.

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य | mastram-zee.blogspot.com Reviews
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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम आवारा कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 July 2008. ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी. कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़े. कहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़े. अपने हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं का. बोझ उठाये ढोता आदमी ने. उड़ने से पहले ही अपने पर खुद ही कतरे. शहर हो गये हैं जैसे युद्ध के मैदान. किले बन गये हैं रहने के मकान. पत्थर फिर बने लगे हैं हथियार. कौन करेगा किससे प्यार. गूंजता स्वर है. पर फिर भी जमीन पर. Links to this post.
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मस्तराम का दर्शन और साहित्य | mastram-zee.blogspot.com Reviews

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 July 2008. ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी. कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़े. कहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़े. अपने हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं का. बोझ उठाये ढोता आदमी ने. उड़ने से पहले ही अपने पर खुद ही कतरे. शहर हो गये हैं जैसे युद्ध के मैदान. किले बन गये हैं रहने के मकान. पत्थर फिर बने लगे हैं हथियार. कौन करेगा किससे प्यार. गूंजता स्वर है. पर फिर भी जमीन पर. Links to this post.

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 July 2008. ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी. कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़े. कहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़े. अपने हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं का. बोझ उठाये ढोता आदमी ने. उड़ने से पहले ही अपने पर खुद ही कतरे. शहर हो गये हैं जैसे युद्ध के मैदान. किले बन गये हैं रहने के मकान. पत्थर फिर बने लगे हैं हथियार. कौन करेगा किससे प्यार. गूंजता स्वर है. पर फिर भी जमीन पर. हिन्दी. अपनी ध&#2...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: छद्म नाम से मोहब्बत मोबाइल हो गयी-हास्य व्यंग्य

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 31 May 2008. छद्म नाम से मोहब्बत मोबाइल हो गयी-हास्य व्यंग्य. एक प्रेमी से उसके मित्र ने पूछा-‘तुम्हें यकीन है कि तुम्हारी प्रेमिका तुमको सच्चा प्यार करती है? प्रेमी ने पूछा-‘‘फिर वह तुम्हारा प्रेमी! उस बिचारे का क्या होगा? प्रेमी ने पूछा-‘‘तुम्हारा सही पता क्या है? Posted by मस्तराम आवारा. व्यंग्य. साहित्य. हिन्दी. यह व्यंग नही है यही सच्चाई है. 31 May 2008 at 12:56 PM. 1 June 2008 at 4:36 PM.

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: बेपरवाह होकर चलते वही अपनी मंजिल पाते-हिंदी शायरी

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 7 June 2008. बेपरवाह होकर चलते वही अपनी मंजिल पाते-हिंदी शायरी. अपनी इज्जत की खातिर लोग. कभी दिखाते हैं दरियादिली तो. कभी तंगदिल हो जाते. खुशफहमी में जीते हैं सभी इंसान कि. दुनियां वाले उनकी तरफ ही देखते है. दूसरों की नजरों की परवाह करते. अपनी राह से हटा लेते नजर. इसलिये चलते चलते ही भटक जाते. देखते हैं मस्तराम ‘आवारा’. ऐसा कोई आईना बना नहीं. यह गलतफहमी है कि. व्यंग्य. उसे जल्दी पत...हमने एक ल...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: जिन्दगी का सच कोई नहीं जानता-हिंदी शायरी

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 April 2008. जिन्दगी का सच कोई नहीं जानता-हिंदी शायरी. कुछ सवालों के जवाब नहीं होते. कुछ सवाल ही अपने आप में जवाब होते. लाजवाब हैं वह लोग जो. सवालों के जाल से दूर होते. किसी के सवाल को दो जवाब. कुछ का कुछ समझ जाये. तो फिर बवाल मच जाये. न दो जवाब तो भी मुसीबत. ऐसे में बेहतर हैं न किसी की सुने. न किसी को कुछ बताएं. जिन्दगी के कई सवाल ऐसे हैं. वह कभी नहीं होते. व्यंग्य. साहित्य. उसे जल्द&#...हमन&#2375...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: माफ़ करना भाया-हिंदी शायरी

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Wednesday 2 April 2008. माफ़ करना भाया-हिंदी शायरी. प्रेमी ने लिखा अपनी प्रेमिका को. भूल जाना मुझको. मेरे दिल में अब किसी और का चेहरा भाया. अब तो तुम्हारी जगह उसका नाम. मेरी जुबान पर आता. नहीं चल सकता. तुम्हारे साथ अधिक. हालांकि मैंने अपने दिल को खूब समझाया'. नीचे उसने लिखा. देखो अप्रैल फूल बनाया'. दूसरे दिन जवाब आया. तुम्हारे सन्देश से. उड़ गए थे होश हमारे. Posted by मस्तराम आवारा. व्यंग्य. हमने एक ल&#...

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मस्तराम की आवारा डायरी: मार्च 2008

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. रविवार, 30 मार्च 2008. फूलों की खुशबू से नहीं महकता चमन-हिंदी शायरी. खिलौने से बच्चे अब कहाँ खेलते. दिन रात घर में अपने बडों को. इंसानों से जो खेलते देखते. बड़े भी क्या सिखाएं छोटों को. अपने बडों से ही सीखे क्या. बस जिन्दगी एक नौकरी या व्यापार. जिसमें समेटो दौलत और शौहरत अपार. जमाने के बिगड़ जाने की शिकायत में. करते हैं अपना वक्त बरबाद लोग. आदमी के मन में बसी है. नहीं चाहता अमन. 1 टिप्पणी:. लेबल: मस्ती. सजते है...लोग...

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मस्तराम की आवारा डायरी: जुलाई 2007

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. गुरुवार, 26 जुलाई 2007. प्रात:काल की बेला. प्रात:काल की बेला. वर्षा के मौसम में. रिमझिम होती फुहार. शीतल पवन का स्पर्श. एक ऐसे आनन्द की. अनुभूति का आनद कराता है. जी शब्दों में व्यक्त करना. सहज नहीं कोई पाता है. न गद्य और पद्य में. न गीत से न संगीत से. न श्रवण न न अध्ययन. यह एक अनुभूति है जिसे. वह कर पाते हैं. जो समय पर जाग जाते हैं. देर से जागने पर. संसार स्वत: ही नरक सा लगता है. भोर का हर एक -एक पल. हिंदी. पिछल&#237...

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मस्तराम की आवारा डायरी: छिः भतीजी के मौसी-मौसाजी क्रिकेट देखते हैं-हास्य व्यंग्य

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. शनिवार, 7 जून 2008. छिः भतीजी के मौसी-मौसाजी क्रिकेट देखते हैं-हास्य व्यंग्य. इससे पहले मैं कुछ कहता भतीजा बोला-‘इधर हाल में हमारे मौसा और मौसी सो रहे हैं। उनकी नींद टूट जायेगी।’. भतीजी बोली-‘‘क्या आप आराम नहीं करोगे।’’. मैने कहा-‘नहीं ट्रेन में सोता हुआ आया हूं।’’. मैने कहा-‘पंद्रह मिनट पहले।’. भतीजी ने मुझे पूछा-‘‘इसका क्या मतलब? भतीजी बोली-‘हमारी मौसी और मौस&#2...जब उठें तो पूछ लेना क...भतीजा बोल&#2366...मैं...भती...

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मस्तराम की आवारा डायरी: जून 2007

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. मंगलवार, 19 जून 2007. जो आज़ाद रहे हैं गुलामी का मतलब नहीं जानते. उनका लोकतंत्र तो. परलोक में बसता है. यहां बात करते हैं आजादी की. पर दिल उनका डंडा बजने वाले. देशों में ही रमता है. बच्चे पैदा करने से लेकर. अपने मरने तक के मामले में. सरकार अपना फंदे कसे रहती है. लोगों के सांस लेने पर भी. जो हिसाब मांगती है. उस देश को मानते हैं आदर्श. यहां आजादी नहीं मांगते. उसकी सीमाओं को तोड़कर. बताते हैं कि. लेबल: आजादी. तो गर&#2368...

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मस्तराम की आवारा डायरी: ख्वाहिशों में अपना दिल न लगाओ-हिंदी शायरी

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. रविवार, 13 अप्रैल 2008. ख्वाहिशों में अपना दिल न लगाओ-हिंदी शायरी. आदमी की ख्वाहिशें. उसे जंग के मैदान पर ले जातीं हैं. कभी दौलत के लिए. कभी शौहरत के लिए. कभी औरत के लिए. मरने-मारने पर आमादा आदमी. अपने साथ लेकर निकलता है हथियार. तो अक्ल भी साथ छोड़ जाती है. ख्वाहिशों के मकड़जाल में. ऐसा फंसा रहता आदमी जिंदगी भर. लोहे-लंगर की चीजों का होता गुलाम. जब छोड़ जाती है रूह यह शरीर. लेबल: अभिव्यक्ति. शेर-ओ-शायरी. कहीं ज...अगर हम ओल...

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मस्तराम की आवारा डायरी: खुशी हो या गम-हिंदी शायरी

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. शनिवार, 5 जुलाई 2008. खुशी हो या गम-हिंदी शायरी. अपनी धुन में चला जा रहा था. अपने ही सुर में गा रहा था. उसने कहा. 8216;तुम बहुत अच्छा गाते हो. शायद जिंदगी में बहुत दर्द. सहते जाते हो. पर यह पुराने फिल्मी गाने. मत गाया करो. क्योंकि इससे तुम्हारे दर्द पर. किसी को रोना नहीं आयेगा. क्यों नहीं नये गाने गाते. शोर सुनकर लोगों के. हृदय में भावनाओं का ज्वार आयेगा. समझ में कुछ नहीं आयेगा. लेबल: शेर. शेर-ओ-शायरी. अगर हम ओलंप&#2...

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मस्तराम की आवारा डायरी: फ़रवरी 2008

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. शुक्रवार, 29 फ़रवरी 2008. अपना बजट तो होता है कड़वे सत्य पर आधारित-हिंदी शायरी. घर का बजट में ही. इतना उलझ जाते हैं. किसी और के बजट पर. सोच ही कहाँ पाते हैं. दाल, गेहूँ ,चावल, नमक और शक्कर. इनके इर्द-गिर्द ही चलता है अपना चक्कर. रेल में तो कभी कभार जाते हैं. घर के खेल में उलझे होते हैं ऐसे कि. देश के अर्थ के बजट से कभी अपने अर्थ. अपना बजट तो होता है. कड़वा सत्य पा आधारित. आंकडों से सजे बजट. साहित्य. इस जीवन पथ पर. जि...

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मस्तराम की आवारा डायरी: दुनियादारी इसी का नाम है-हिंदी शायरी

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. शनिवार, 12 अप्रैल 2008. दुनियादारी इसी का नाम है-हिंदी शायरी. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं. उनके जख्म पर लगाओं मरहम. वह फिर भी दिल में बदनीयती और. बुरे इरादे लिये होते हैं. लेते हैं अच्छा नाम. केवल लोगों को दिखाने के लिये. दिल में जमाने को लूटने के. उनके अरमान होते हैं. शरीर का इलाज तो किया जा सकता. पर उनको दवा देना है बेकार. जिनके दिल में खोटी नीयत और. शादी से पहले. इश्क हो जाता है हवा. लेबल: शेर. शेर-ओ-शायरी. कहीं...अगर हम ओल...

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मस्तराम की आवारा डायरी: अपना दर्द पी जाएं तो अच्छा है-हिंदी शायरी

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. बुधवार, 2 अप्रैल 2008. अपना दर्द पी जाएं तो अच्छा है-हिंदी शायरी. जब भी तलाश की किसी साथी की. जो दिल को तसल्ली दे. कोई ऐसा मिला नहीं. जिसको दिया अपना हाल. दिखाने को हमदर्द बनता. फिर जाकर चटखारे लेकर भीड़ में सुनाता. महफिलों में वाह-वाही लूटता कहीं. हमारा दर्द तो हल्का नहीं हुआ. जमाने में बदनाम हो गये हर कहीं. किसी को अपना दर्द सुनाने से. दिल में ही रखें तो अच्छा है. लेबल: शायरी. साहित्य शेर. नई पोस्ट. अगर हम ओलंप&#23...

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Publisert 29. januar 2018. Mastralan 2018, for de som vil ha de beste plassene så går det an å velge plasser allerede nå! Folk har allerede begynt å sette seg ned :). For og være sikker på at du får plass på lanet bør du registrere deg og velge deg en plass. Påmelding skjer her: http:/ mastralan.org. Kontakt oss hvis du har problemer. Publisert 13. april 2017. I Dag smeller det i gang! Det er 14 plasser igjenn! Betaling skjer med en gang du kommer, vi sitter rett innforbi døra. Ta med deg mat og drikke!

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Wednesday, July 14, 2010. Malesand girls go for slapping. Basim and Jamil seem as whichever standard ladies of this age. They have attained very elevated positions in society, have multitudes of workers whom they suppress. But still, they weren't happy until they chose slapping. spanking blog. Yelling, slapping, however one by one. Malesand girls go for slapping. Yelling, slapping, however one by one. Subscribe to: Posts (Atom). Malesand girls go for slapping. Malesand girls go for slapping.

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य

मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 July 2008. ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी. कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़े. कहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़े. अपने हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं का. बोझ उठाये ढोता आदमी ने. उड़ने से पहले ही अपने पर खुद ही कतरे. शहर हो गये हैं जैसे युद्ध के मैदान. किले बन गये हैं रहने के मकान. पत्थर फिर बने लगे हैं हथियार. कौन करेगा किससे प्यार. गूंजता स्वर है. पर फिर भी जमीन पर. Links to this post.

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. शनिवार, 5 जुलाई 2008. खुशी हो या गम-हिंदी शायरी. अपनी धुन में चला जा रहा था. अपने ही सुर में गा रहा था. उसने कहा. 8216;तुम बहुत अच्छा गाते हो. शायद जिंदगी में बहुत दर्द. सहते जाते हो. पर यह पुराने फिल्मी गाने. मत गाया करो. क्योंकि इससे तुम्हारे दर्द पर. किसी को रोना नहीं आयेगा. क्यों नहीं नये गाने गाते. शोर सुनकर लोगों के. हृदय में भावनाओं का ज्वार आयेगा. समझ में कुछ नहीं आयेगा. लेबल: शेर. शेर-ओ-शायरी. ऐसा लगा ...अभी...