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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं

रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. गुरुवार, 21 अगस्त 2008. ज़रुरत है हमें. भीग भीग कर इतने सीम गए हैं. कल के सूरज की ज़रूरत है हमें. हर रिशते के खौफ़ से बेखौफ़ सोए हैं. एक पहर की नींद की ज़रूरत है हमें. दर्द के बढ़ने से खुद बेदर्दी हो गए. हरज़ाई के कत्ल की ज़रूरत है हमें. ज़िन्दा लोग कफ़न में ज़माने के सोए हैं. बस मुर्दों को बदलने की ज़रूरत है हमें. अनजाने सफ़र पर अपने निकल गए हैं. इसकी सफ़ल साधना की ज़रूरत है हमें. विधा: कविता. 12 टिप्पणियाँ. रक्त का दान. हो जनकल्याण. खुल गयì...

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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं | rachnabharti.blogspot.com Reviews
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. गुरुवार, 21 अगस्त 2008. ज़रुरत है हमें. भीग भीग कर इतने सीम गए हैं. कल के सूरज की ज़रूरत है हमें. हर रिशते के खौफ़ से बेखौफ़ सोए हैं. एक पहर की नींद की ज़रूरत है हमें. दर्द के बढ़ने से खुद बेदर्दी हो गए. हरज़ाई के कत्ल की ज़रूरत है हमें. ज़िन्दा लोग कफ़न में ज़माने के सोए हैं. बस मुर्दों को बदलने की ज़रूरत है हमें. अनजाने सफ़र पर अपने निकल गए हैं. इसकी सफ़ल साधना की ज़रूरत है हमें. विधा: कविता. 12 टिप्पणियाँ. रक्त का दान. हो जनकल्याण. खुल गय&#236...
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं | rachnabharti.blogspot.com Reviews

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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. गुरुवार, 21 अगस्त 2008. ज़रुरत है हमें. भीग भीग कर इतने सीम गए हैं. कल के सूरज की ज़रूरत है हमें. हर रिशते के खौफ़ से बेखौफ़ सोए हैं. एक पहर की नींद की ज़रूरत है हमें. दर्द के बढ़ने से खुद बेदर्दी हो गए. हरज़ाई के कत्ल की ज़रूरत है हमें. ज़िन्दा लोग कफ़न में ज़माने के सोए हैं. बस मुर्दों को बदलने की ज़रूरत है हमें. अनजाने सफ़र पर अपने निकल गए हैं. इसकी सफ़ल साधना की ज़रूरत है हमें. विधा: कविता. 12 टिप्पणियाँ. रक्त का दान. हो जनकल्याण. खुल गय&#236...

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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: मानव

http://www.rachnabharti.blogspot.com/2008/08/blog-post_21.html

रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. गुरुवार, 21 अगस्त 2008. दुनिया की दह्ललीज़ पर. नागफनी सी अभिलाषाएं. लोक लाज के भय से. डरी प्रेम अग्नि की ज्वालाएं. सुवासित हु‌ए उपवन फिर. खुल गयी प्रकृति की आबन्धनाएं. उग्र अराजकता से दुनिया की. क्रन्दन करती आज दिशा‌एं. पांव ठ्हर ग‌ए पथ भूल. अन्तर्मन में, नया कोई नया स्तम्भ बनाएं. युगों-युगों तक गूंजें नभ में. पिछली भूलें फिर न दोहराएं. भरी गोद चट्टानों से धरती की. या पत्थर की प्रतिमाएं. विधा: कविता. नई पोस्ट. मेरा परिचय.

2

रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: पुकार

http://www.rachnabharti.blogspot.com/2008/08/blog-post_2006.html

रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. गुरुवार, 21 अगस्त 2008. कतरा-कतरा दस्ते दु‌आ पे न्यौछावर न होता. जो तेरे शाने का को‌ई हिस्सा हमारा भी होता. हम तो मस्त सरशार थे अपनी ही मस्ती में. यूं बज़्म में बैठाकर तुमने गर पुकारा न होता. विधा: शेर. प्रस्तुतकर्ता रचना गौड़ ’भारती’. 1 टिप्पणियाँ:. ने कहा…. गाँधी और भगत सिंह के बीच फसा हेमू. पूछता है सवाल तो. बिलबिलाते है कीड़े. संस्कृति के रहनूमाओ के मन में. और इतिहास मुह काला लिए. आ जाता है सामने. हेमू सिंह. नई पोस्ट.

3

रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: दुहाई

http://www.rachnabharti.blogspot.com/2008/08/blog-post_1080.html

रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. गुरुवार, 21 अगस्त 2008. ज़मीं आस्मां से पूछती है. मेरे आंचल में सारी कायनाथ रहती है. चांद तो दागी है फिर भी. खूबसूरती की दुहाई. इसी से क्यों दी जाती है. विधा: शेर. प्रस्तुतकर्ता रचना गौड़ ’भारती’. 0 टिप्पणियाँ:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). मेरा परिचय. कोटा, राजस्थान, India. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. इस ब्लाग में क्या-क्या है! ज़रुरत है हमें. By डा0 फ़िरोज़ अहमद.

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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: इन्तजाम

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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. बुधवार, 20 अगस्त 2008. हर पल तेरी याद का संजो कर रखा है. सूखा फूल गुलाब का किताब में रखा है. निराधार ज़माने में कुछ आधार रखा है. पत्थरों भरी ज़मीं में कोइ भगवान रखा है. महफिलों में जामों का आतिशांदाज रखा है. पीने वालों ने जिसका गंगाजल नाम रखा है. सुरमई शामों में तेरी यादों का हिस्सा रखा है. मुलाकात के वास्ते कोना कोई खाली रखा है. अगले जन्म में मिलन का इन्तजाम रखा है. विधा: ग़ज़ल. 2 टिप्पणियाँ:. डा. फीरोज़ अहमद. ने कहा…. नई पोस्ट.

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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: ज़रुरत है हमें

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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. गुरुवार, 21 अगस्त 2008. ज़रुरत है हमें. भीग भीग कर इतने सीम गए हैं. कल के सूरज की ज़रूरत है हमें. हर रिशते के खौफ़ से बेखौफ़ सोए हैं. एक पहर की नींद की ज़रूरत है हमें. दर्द के बढ़ने से खुद बेदर्दी हो गए. हरज़ाई के कत्ल की ज़रूरत है हमें. ज़िन्दा लोग कफ़न में ज़माने के सोए हैं. बस मुर्दों को बदलने की ज़रूरत है हमें. अनजाने सफ़र पर अपने निकल गए हैं. इसकी सफ़ल साधना की ज़रूरत है हमें. विधा: कविता. 12 टिप्पणियाँ:. ने कहा…. स्‍वागत . मैम आप https:/ ww...

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काव्यांजलि: March 2015

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काव्यांजलि. गुरुवार, 26 मार्च 2015. युग परिवर्तन. न तुलसी होंगे, न राम. न अयोध्या नगरी जैसी शान . न धरती से निकलेगी सीता ,. न होगा राजा जनक का धाम . फिर नारी कैसे बन जाये. दूसरी सीता यहां पर ,. कैसे वो सब सहे जो. संभव नही यहां पर . अपने अपने युग के अनुसार ही. जीवन की कहानी बनती है ,. युग परिवर्तन के साथ. नारी भी यहॉ बदलती है . प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 2 टिप्‍पणियां:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). ज्योति सिंह. Satna, m.p., India. ब्लॉग आर्काइव. 2 दिन पहले.

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काव्यांजलि: August 2011

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काव्यांजलि. गुरुवार, 25 अगस्त 2011. हम -तुम - - - -. एक ही रास्ते के. दो मोड़ है ,. जो पलट कर. उसी राह ले आते है. जहां आरम्भ और अंत. एक हो जाते है ,. फिर सोचने की कही. कोई गुंजाइश नही. रह जाती ,. फैसले की कोई सुनवाई. हो ही नही पाती l. प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 37 टिप्‍पणियां:. बुधवार, 17 अगस्त 2011. ख्यालो की दौड़ कभी. थमती नही. कलम को थाम सकू. वो फुर्सत नही ,. जब भी कोशिश की. पकड़ने की. वक़्त छीन ले गया ,. एक पल को. रूकने नही दिया ,. सोचती हूँ. इन्द्रधनुषी रंग सभी. वन्दे मातरम्. है ,. है ,. भीन&#...

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काव्यांजलि: November 2014

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काव्यांजलि. बुधवार, 26 नवंबर 2014. शादी की सालगिरह के शुभ अवसर पर. अच्छा था या बुरा. सही था या गलत. शिकायत थी या. फिर नही ,. इन सभी बातो से. बढ़कर जो बात थी. वो यह थी किं. जिन्दगी गुजर गई. हर हाल मे. अपनी साथ कही . प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 4 टिप्‍पणियां:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). वक्त के साथ चलना है न पहले न बाद मे. ज्योति सिंह. Satna, m.p., India. मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य. ब्लॉग आर्काइव. मेरी ब्लॉग सूची. मुक्ताकाश. 2 दिन पहले. अपनी बात.

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काव्यांजलि: February 2012

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काव्यांजलि. सोमवार, 13 फ़रवरी 2012. चुप्पी. जानते हुए भी. वह कुछ नही बोला ,. बात कुछ अवश्य रही. तभी तो उसने. मुंह नही खोला l. प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 27 टिप्‍पणियां:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). वक्त के साथ चलना है न पहले न बाद मे. ज्योति सिंह. Satna, m.p., India. मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. चुप्पी. मेरी ब्लॉग सूची. मुक्ताकाश. 2 दिन पहले. किस्सा-कहानी. डेरा उखड़ने से पहले…! 1 सप्ताह पहले. अपनी बात.

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काव्यांजलि: August 2013

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काव्यांजलि. शुक्रवार, 30 अगस्त 2013. वैसा कुछ भी नहीं रहा. वैसा कुछ भी नहीं रहा यहाँ. जैसा पहले हुआ करता रहा यहाँ. वक़्त के दरिया में कल बह गया. आज हर किसी का बदला हुआ है यहाँ 1. वक़्त की मांगे करवटे लेती रहती है. उम्मीदे बहुत कुछ बदल देती है यहाँ. आगाज़ से बहुत अलग अंजाम होता है. रिश्ते बनते है जैसे वैसे रहते नहीं यहाँ 1. प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 5 टिप्‍पणियां:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). ज्योति सिंह. Satna, m.p., India. ब्लॉग आर्काइव. 2 दिन पहले.

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काव्यांजलि: August 2014

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काव्यांजलि. रविवार, 24 अगस्त 2014. उम्मीद छोड़ रहे है. विश्वास तोड़ रहे है. जीने की हर राह से. मुंह अपने मोड़ रहे है ,. सपनो को मिटाकर. इच्छाओ को दफनाकर. फिर जिन्दगी के वास्ते. दुआ मांगने के लिए. क्यो हाथ जोड़ रहे है? प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 6 टिप्‍पणियां:. गुरुवार, 7 अगस्त 2014. रकीबो की फिक्रे तमाम हो गई. दोस्ती जो यहां बदनाम हो गई . उन्ही के शहर मे ठिकाना ढूंढ रहे है. मुश्किल मे कितनी ये जान हो गई. अपनो से ही सब किनारा करने लगे. प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. नई पोस्ट. Satna, m.p., India.

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काव्यांजलि: February 2014

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काव्यांजलि. गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014. इस जहां में गरीबी इतनी आसान नहीं यारो. एक पेट के लिए आदमी कितना भटकता है यारो ,. कल के सूरज के लिए यहाँ कोई नहीं सोचता. आज की शाम गुजर जाये यही बहुत है यारो ,. हर वक़्त वो इसकी फ़िक्र में घुलता रहता है. रात से भी अधिक गहरा साया इसका है यारो ,. जीने के लिए तमाम कोशिशे करता रहता है. वो आदमी जो है ,हिम्मत नहीं छोड़ता यारो ,. हालत इनकी संभल जाये हमेशा के लिए ही. बस यही दुआ मिलकर अल्लाह से करो यारो ।. प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. Satna, m.p., India.

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काव्यांजलि: April 2015

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काव्यांजलि. रविवार, 19 अप्रैल 2015. मन के मोती. हर फिक्र से आजाद हम होने लगे है ,. सोचने सबके लिए अब कम लगे है . शिकायतो मे ही हमेशा जिन्दगी. बसर करना अच्छा नही ,. लौटकर नही आता यहॉ फिर. जो गुजर जाता हैै वक्त कभी . प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 7 टिप्‍पणियां:. मंगलवार, 7 अप्रैल 2015. सालगिरह पर. आज का दिन ही ऐसा है जो हमे. लिखने को मजबूर कर रहा है ,. क्योकि हमारी जिन्दगी से ये. एक बर्ष को दूर कर रहा है . जो आती है चीज यहॉ वो जाती भी है. प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. नई पोस्ट. Satna, m.p., India.

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काव्यांजलि: October 2013

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काव्यांजलि. रविवार, 20 अक्तूबर 2013. मोहब्बत . मोहब्बत में आदमी जीता कम. मरता ज्यादा है ,. पाने से अधिक खोने के लिए. डरता ज्यादा है ,. यकीं कम ,उम्मीद के सहारे. चलता ज्यादा है ,. तभी संभल नही पाता और. गिरता ज्यादा है ।. प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 8 टिप्‍पणियां:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). वक्त के साथ चलना है न पहले न बाद मे. ज्योति सिंह. Satna, m.p., India. मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य. ब्लॉग आर्काइव. मोहब्बत . मेरी ब्लॉग सूची. मुक्ताकाश. 2 दिन पहले.

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काव्यांजलि. सोमवार, 12 दिसंबर 2011. सर्दी ने अहसास दिलाया. मौसम जाड़े का है आया ,. प्रस्तुतकर्ता. ज्योति सिंह. 23 टिप्‍पणियां:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). वक्त के साथ चलना है न पहले न बाद मे. ज्योति सिंह. Satna, m.p., India. मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. सर्दी ने अहसास दिलाया मौसम जाड़े का है आया ,. मेरी ब्लॉग सूची. मुक्ताकाश. 2 दिन पहले. किस्सा-कहानी. डेरा उखड़ने से पहले…! 1 सप्ताह पहले. अपनी बात. 3 माह पहले.

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Abraham, Rachel, Soren and Liam. Our life together in Smalltown, Idaho. Tuesday, August 04, 2015. Liam Update: August 2015. My Littlest Love,. One evening I was sitting on the porch swing with Daddy when the kitchen door opened, just a crack, and then slammed shut again. Next there was a little face at the window: a mischievous smile, two rosy cheeks, sparkling eyes. You were supposed to be in bed, but there was no resisting that face. You know some stories by heart, my favorite of which is The Little Re...

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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं

रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. गुरुवार, 21 अगस्त 2008. ज़रुरत है हमें. भीग भीग कर इतने सीम गए हैं. कल के सूरज की ज़रूरत है हमें. हर रिशते के खौफ़ से बेखौफ़ सोए हैं. एक पहर की नींद की ज़रूरत है हमें. दर्द के बढ़ने से खुद बेदर्दी हो गए. हरज़ाई के कत्ल की ज़रूरत है हमें. ज़िन्दा लोग कफ़न में ज़माने के सोए हैं. बस मुर्दों को बदलने की ज़रूरत है हमें. अनजाने सफ़र पर अपने निकल गए हैं. इसकी सफ़ल साधना की ज़रूरत है हमें. विधा: कविता. 12 टिप्पणियाँ. रक्त का दान. हो जनकल्याण. खुल गय&#236...

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Why (the hell) do writers write? Blog - How Mani used tech to beat blindness. Iqbal Bano and Faiz (music for you). I am an Indian writer who has spent more than two decades putting words together for a queer mix of people: temperamental editors; tricky publishers. Magazine heads; pony tailed weirdos; but above all, myself. I've won. Some international awards like the Commonwealth Short Story Competition. Truth is that mostly I am mom. You can sign the Visitors' diary. Create a free website.

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Bookshop in Gangtok cultural events in Gangtok music, theater, arts in Sikkim. Saturday, November 03, 2012. Taking time to take in. Posted by Rachna Books - bookshop in Gangtok @ 10:23 AM. Monday, March 29, 2010. Our Portfolio of events. In the past we have been actively involved in organizing and hosting events including:. Word of Mouth Event. On Modern and Contemporary Nepali Literature. And the Regional Media Advisor Erica Diya Basu. And author of Temples of Lhasa. Solo exhibition of paintings Whisper.

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