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Rahul...दिल से
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दिल से
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दिल से
Rahul... : हर शब्द से मुनासिब होना....
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दिल से. मंगलवार, 14 जुलाई 2015. हर शब्द से मुनासिब होना. साबूत तौर-तरीके से. सर्वस्व मिट्टी का हो जाना. तुम्हारा सिर्फ एक अंजाम नहीं. कुछ और भी इल्जाम आएंगे. एक-दो अलग से शिकवे-उलाहने. आएंगे ही तुम पर. ये सम्भव है कि. तुम प्रेम व पवित्रताओं के. अधूरे अंजाम से मारे जाओ. शायद-वायद तो नहीं. हाँ, बहुत हद तक. . बहुत वक़्त अधूरा मरोगे. क्योंकि तुम उतना ही हो. जैसे अधूरी राख में. निर्वाण की अधमरी लौ. बिना किसी भूमिका के. कुछ और भी मौसम व. ऋतु चक्र का कोप-क्रंदन. हाँ, बहुत हद तक. . तुम याद रखना. हमारे...हमा...
Rahul... : December 2014
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दिल से. गुरुवार, 25 दिसंबर 2014. जिद अपनी तरकीब में. जिद-संशय से घिरा. सिर्फ करना जानता है. सूरज पर शक,. चाँद का दमन. ये शक आवारा-वाचाल लहरों को. निशब्द बनाती है. बेमतलब बात उठाती है . जिद न तो मेरा है,. और न ही तुम्हारा. वो सिर्फ साजिश की. स्याह बदलियाँ हैं,. जिद अपनी तरकीब में. पारंगत हो जाए,. कोई बड़ी बात नहीं. जिद अपनी सहूलियत में. जीत जाए,. कोई बड़ी बात नहीं. ये सहूलियत, ये पारंगतता. बस आत्मा को ललचाती है. बेमतलब बात उठाती है. हमें तो जंगल ही नसीब था. बाहर आ गए हैं. उसी जंगल में. नई पोस्ट.
Rahul... : July 2013
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दिल से. गुरुवार, 25 जुलाई 2013. बहुत सारी प्यास रखकर. कभी पूछा है? मन बंजर समंदर से. रेजा-रेजा चुप्पी के बारे में. लड़ते लहरों पर. बिना जिन्दगी की मोहलत के. मंत्र मुग्ध योगी की मानिंद. धुनी रमाते हुए. बस यूँ ही. अपने सर्वोत्तम को. दाँव पर लगाते हुए. कभी पूछा है? अर्धचेतन साँसों में. घुटते धुएं से. सहज सन्धानों की. जटिल भूमिकाओं के बारे में. बस यूँ ही. तड़पन की महक. बिखेरते हुए. कभी देखा है? किश्तों में नदी को. मरते हुए. पागल पानियों को. बस यूँ ही. अपने आह्लाद में. डूबते हुए. सम्मोहन देख. इस तरह मिल. जì...
Rahul... : November 2015
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दिल से. रविवार, 22 नवंबर 2015. यही शून्यता राह है तेरी. मैं सिर्फ. एक आदमी भर का. सवाल नहीं. एक शक्ल भी नहीं,. किसी समंदर में डूबे बुलबुलों का. गुच्छा भी नहीं. एक जिस्म.एक रूह. एक कहानी भर नहीं. कि लिखते-लिखते. अवसान.अवसान।।।।।. अधमरे अन्धकार का. अजन्मा समय नहीं,. क्षण दर क्षण रचता हुआ. कोई दस्तावेज भी नहीं,. कौन सा पन्ना? कौन सा शब्द? डूबो रही है सबको. यही शून्यता राह है तेरी. इसी काया से. अवसान.अवसान।।।।।. देखो, पथिक,. अनचाहा तो कुछ भी नहीं. कुछ भी नहीं. स्वीकार करो. स्वीकार करो . नई पोस्ट.
Rahul... : तुम ऐसे ही रिहाई देते हो...
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दिल से. गुरुवार, 30 जून 2016. तुम ऐसे ही रिहाई देते हो. हर रात के आखिरी शब्द में. तुम जो रिहाई देते हो. कुछ मामूली बातों का. थोड़ा खामख्याली सा. शब्दों से. बिना हंसे, बोले. जी को दबा के. मुस्कान को मिटा के,. तुम जो रिहाई देते हो. कभी यूँ ही कह दो. रास्तों को मौन सहने दो,. थककर आह से टूटेंगे. जुड़ेंगे न मिटेंगे . थोड़ा प्यार की नींद सा. कहे-सुने. तुम जो रिहाई देते हो. कुछ ऐसा भी जी लो. नाहक बर्बादियां समेट लो. अपनी बांहों में,. सलीके से जलती बेताब बातें. कुछ ऐसा भी जी लो. इसे ईमेल करें. अरे वाह! सदस्यत...
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बातें अपने दिल की : June 2015
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Monday, June 29, 2015. एक साँप के प्रति. बात बस इतनी सी थी. कि उसने अपनी टाँगे मेरे टाँगों पर रख दी थी. और सोचा था. कि जैसे नदी ने अपने में आकाश भर रखा है. जैसे एक ऑक्टोपस ने एक मछली का सर्वांग दबा रखा है. वैसे एक सांप और सेब के गिरफ्त में सारी पृथ्वी है. मैंने कई बार चाहा है कि मुझे एक पवित्र सांप मिले. एक पवित्र सांप. जो चुपके से आये और कुछ पावन कर जाए. पावन, अति-पावन. लेकिन सदियों से. मुझे, या भाई अमीरचंद फोतेदार. को वो सांप नहीं मिलता है. मिलता है. एक तक्षक सांप. काला सांप और. अपना अपना अ...परखनì...
बातें अपने दिल की : April 2015
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Friday, April 10, 2015. तुम हड्डियाँ चबाओ. जो बिलखते हैं उन्हें और बिलखाओ. मगर मेरे दोस्त! तुम हड्डियाँ चबाओ. यहाँ जगत की उर्वशियाँ और सबके कुबेर. कोई आधा-पौने नहीं, सब सेर सवा सेर. किसकी आत्मा? किसकी करुणा? किसकी किस्मत का फेर? यौवन के उफान पर फिर मूंछ लो टेर. 8216;रिब्स’ पर ‘बारबेक्यू’ न सही ‘बफैलो’ ही लगाओ. मगर मेरे दोस्त! तुम हड्डियाँ चबाओ. क्या है मृत्यु, क्या है जीवन, क्या लवण है? कौन सीता, कौन शंकर? क्या भजन है? मगर मेरे दोस्त! तुम हड्डियाँ चबाओ. दूध किसका? और मेरे दोस्त! आह उट्ठे! मगर क्र&#...
बातें अपने दिल की : November 2015
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Thursday, November 26, 2015. छोटी सी बात. अपने ही ह्रदय की. अनिश्चित सीमाओं में. और अनिश्चितताओं के बीच. बंधी है अब भी वही तस्वीर. वही गीत (‘होरी’ गीत). वही संगीत, कल्पना और उसका रोमांच. और अपनी जमीन का वह विशाल चुम्बक. मेरे खेत, धान की बालियाँ और मेरी माँ. छोटा सा दिन और छोटा सा जीवन. अपनी अँजुरी में क्या-क्या लूँ. अपनी बातों में क्या-क्या कहूं. सुबह होती है, शाम होता है. जीवन का बस इतना काम होता है. निहार रंजन, बनगाँव, २७ नवम्बर २०१५). निहार रंजन. Subscribe to: Posts (Atom). बहुत दिनो...प्या...
बातें अपने दिल की : September 2015
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Wednesday, September 30, 2015. ले लिया मौसम ने करवट. ले लिया मौसम ने करवट. व्योम से बादल गए हट. कनक-नभ से विहग बोले. 8216;तल्प-प्रेमी' उठो झटपट. ले लिया मौसम ने करवट. खिली कोंढ़ी, जगे माली. कुसुम-पूरित हुई डाली. गई पीछे रात काली. वेणी भरने चली आली. श्लेष-वांछित, तप्त-रदपट. ले लिया मौसम ने करवट. रहे कब तक धरती सोती. किसानों ने खेत जोती. क्पोत-क्पोती कब से बैठे. फिर भी क्यों न बात होती. यही पृच्छा मन में उत्कट. ले लिया मौसम ने करवट. जग उठे हैं श्वान सारे. उनकी वेदना है. खोल दो लट. Sunday, September 20, 2015.
बातें अपने दिल की : December 2015
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Saturday, December 26, 2015. प्राण मेरे तुम कहाँ हो. उठ चुकी हैं सर्द आहें. कोसती है रिक्त बाहें. उर की वीणा झनझना कर पूछती है आज मुझसे. गान मेरे तुम कहाँ हो. प्राण मेरे तुम कहाँ हो? दिन ये बीते जा रहे हैं, रात लम्बी हो रही है. पा रहा है क्या ये जीवन, क्या ये दुनिया खो रही है. क्या पता था दो दिनों का साथ देकर मान मेरे ? मान मेरे तुम कहाँ हो. प्राण मेरे तुम कहाँ हो? क्षितिज में है शून्यता, छाया अँधेरा. जम चुका है तारिकाओं का बसेरा. चान मेरे तुम कहाँ हो. निहार रंजन. Subscribe to: Posts (Atom). बहुत द...
बातें अपने दिल की : February 2016
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Tuesday, February 9, 2016. बाइबल से निकले हुए भाव थे शायद-. 8220;गॉड कैननॉट गिव यू मोर दैन यू कैन टेक”. कर्ण-विवरों में आशा की ध्वनियाँ. कोठे पर नाचनेवाली की पायल. अक्सर, अच्छी लगती है- बहुत अच्छी. और साथ ही यह भी-. 8220;व्हाटऐवर हैप्पेंस, हैप्पेंस फॉर द बेस्ट”. जुमले नहीं है ये. सिद्धहस्तों के सूत्र हैं-जीवन सूत्र. लेकिन मेरे ही पड़ोस में रहती है-. श्रीमती(? महलखा चंदा. बर्तन धोती है, बच्चों के पेट भरती है. कितने नालायक बच्चे है. जबसे स्कूल छूटा . बस आवारागर्दी. दो बरस से जब. पूछ लूँ? बहुत दि...रेड...
बातें अपने दिल की : August 2015
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Monday, August 31, 2015. मैंने उस छोर पर देखा था. विशाल जलराशि. और पास आकर देखा तो सब मृगजल था. सब रेगिस्तान था. मकानों में लोग थे, हवस और शान्ति थी. वातायन था, झूठ था, जीवन था. लेकिन मेरा दम घुट रहा था. और कुछ लोगों से मुझसे कह दिया था. 8220;माँ रेवा! तेरा पानी निर्मल’’. मैं भागता नर्मदा के पास चला आया. दुर्गावती की निशानियाँ धूल बन रही थी. फिर पानी का गिलास उठाकर. ज्ञात हुआ इसमें जहर है. मैं यहाँ भी प्यासा रह गया. उस छोर पर पानी बिन प्यास. इस छोर पर पानी संग प्यास. निहार रंजन. Subscribe to: Posts (Atom).
बातें अपने दिल की : November 2016
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Sunday, November 13, 2016. मुरैनावाले के लिए. तुम्हारे शब्द ध्वनिमात्र थे या. खून का रिसता दरिया. पता नहीं चल पाया कि तुम्हारे आत्मा की आवाज़. या तुम्हारे सिगरेट का का धुंआ. इसी व्योम की अप्रतिबंधित यात्रा को निकले थे. बस निकल कर विलीन होने को). बहुत अँधेरे में जीते थे तुम. और तुम्हारी फूलन देवी). प्रेम शब्द जीवन में छलावा भर से ज्यादा है? अपने ही घोंसले में कैद थे तुम. कितने छद्म की गांठों पर. बहुत महीनी से तलवार चलायी तुमने. मन, हृदय और लिंग. इसका पता किसे है? निहार रंजन. Subscribe to: Posts (Atom).
बातें अपने दिल की : October 2016
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Saturday, October 22, 2016. विचयन-प्रकाश. तुमने मुझे खून दिया. मैंने तुम्हारा खून लिया. तुमने मुझे खून से सींचा. और मैंने चाक़ू मुट्ठी में भींचा. शब्द नवजात की तरह नंगे हो गए. बस अफवाह पर दंगे हो गए. परकीया के हाथ पर बोला तोता. तुमने ही चूड़ियाँ बजाई, तुमने ही खेत जोता. झंडे पर शार्दूल, ह्रदय में मार्जार. रसूलनबाई का हाल ज़ार-जार. धान के खेतों के बीच की चमकती दग्धकामा. बिदेसिया के प्रीत रामा! हो रामा! लालारुख का अंगीठिया रुखसार. जैसे कोई आयुध, वैसी रतनार. मेरी मनस्कांत. निरिच्छ. निहार रंजन. मैं ...अपना...
बातें अपने दिल की : October 2015
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Thursday, October 8, 2015. ना कोई ‘प्रील्यूड’, ना ‘इंटरल्यूड’. बस शब्दों का संगीत है. कुछ ध्वनियाँ ह्रदय से, नभ से. शेष इसी दुनिया के ध्वनियों का समुच्चार है. आपका बहुत आभार है. बीड़ियाँ सुलगती रही और ह्रदय. अविरत, निर्लिप्त. प्रेम, परिवार और समाज. कुछ स्याह अँधेरा, कुछ धुँआ. अंध-विवर से दूर दीखता एक वातायन. जीवन, संघर्ष या सामूहिक पराजय. यह किसने तय किया कि सफलता. या चाँदनी की निमर्लता. सबका ध्येय नहीं, प्रमेय नहीं. तो क्या मृत्यु का वीभत्स रूप. रोक सका है. तय कर सकता है काल. निहार रंजन. परखना, महस...
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Rahul Matta - Developer, Musician, Chef
Developer - Drummer - Aspiring Chef. My name is Rahul. I'm a computer science student at Northwestern University in Chicago, with a particular passion for back end mobile app development. My dream is to develop interesting and useful software solutions in the Bay Area. Other than coding, my strongest passion is cooking, and I hope to open a restaurant of my own someday. Evanston, IL, 60201. Quote of the Day. Do it with passion or not at all. For: Noble and Greenough School. Service: Mobile App Development.
Rahul...
दिल से. गुरुवार, 30 जून 2016. तुम ऐसे ही रिहाई देते हो. हर रात के आखिरी शब्द में. तुम जो रिहाई देते हो. कुछ मामूली बातों का. थोड़ा खामख्याली सा. शब्दों से. बिना हंसे, बोले. जी को दबा के. मुस्कान को मिटा के,. तुम जो रिहाई देते हो. कभी यूँ ही कह दो. रास्तों को मौन सहने दो,. थककर आह से टूटेंगे. जुड़ेंगे न मिटेंगे . थोड़ा प्यार की नींद सा. कहे-सुने. तुम जो रिहाई देते हो. कुछ ऐसा भी जी लो. नाहक बर्बादियां समेट लो. अपनी बांहों में,. सलीके से जलती बेताब बातें. कुछ ऐसा भी जी लो. इसे ईमेल करें. उतने बेपर...नही...
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KNOWLEDGE FACTORY
Knowledge" is Fountain and the small slit from which the parabolic water stream coming is the "Intelligence". "Intelligence" can be God gifted but "Knowledge" are framed here only. The person seeping into knowledge fountain.Have the bliss to get trick to Fabricate the Luck Gemstone.And too create the fringes in the vast sky.which provide the wrapper to save itself from natural havoc.It Just an energy to plunge the oyster for receiving pearl from it! Be Member for Kиowlєdgє ƒαсtoяy ! Sunday, May 10, 2015.
RAHUL KOKCHA | MIET | MBCS | CITP | CISSP | CISM
MIET MBCS CITP CISSP CISM. Qualifications & Certifications.
Connecting the dots
Monday, 11 November 2013. Potential Acqusition Targets for Big Boys of Silicon Valley. In the wake of Yahoo's. Announcement on Monday that it's snapping up Tumblr for $1.1 billion, the attention has shifted to other private technology companies that could be next. (A little horn-tooting: After Facebook. Bought Instagram more than one year ago for $1 billion, I predicted that Tumblr would be the next big acquisition. In this new media space.). So what makes a company a hot acquisition target? Mobile messa...
PC TRICKS AND TIPS
PC TRICKS AND TIPS. Saturday 7 January 2012. Hide files in JPG files. This is a perfect way to hide secret files and messages in an innocent looking JPG file. Try it for yourself; Save the picture below to your harddisk and open it there. When opened, it'll probably open with the standard image viewer. Now, close the application, right click the JPG file and open it with WinRAR. Can you see the hidden file? How to create such an hidden message on your own,here is the trick. Note* "hidefiles.jpg" need...