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kunwarji's: May 2014
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गुरुवार, 15 मई 2014. नतीजे.(कुँवर जी). 2351;ही रात अंतिम यही रात भारी. 2330;लो नतीजो के आने से पहले सो लिया जाये! प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: एक विचार. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). लिखिए अपनी भाषा में. ये भी कुछ कह रहे है. सुनिए तो! महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar). Donald Trump and Nationalism Wave. Or freedom of crime?
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शब्द - एक कविता ,एक कहानी या जिंदगानी ?: माँ
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शब्द - एक कविता ,एक कहानी या जिंदगानी? सुब्स्क्रिबे करें! टिप्पणियाँ. टिप्पणियाँ. रविवार, 13 मई 2012. कोमलता से भी कोमल. सुन्दरता से भी सुन्दर. जितना प्यार तू देती है. उससे ज्यादा है तेरे अंदर. हर चीज की नही होती सीमा. मैंने जाना तुझको पाकर. ने तुझे बनाया है शायद. हद से आगे जाकर. हमारा खिला चेहरा ही तेरे. हर थकान की दवा है. जो कह जाती तुझे हमारी उदासी. जाने कौन सी हवा है. हम तो है तेरे सबसे अजीज. पर तू तो है हमारी जरूरत. हर पल ही मेरे दिल में रहती. सूरत हो या तेरी सीरत. रचना का समय :. नई पोस्ट. जीत...
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ख़्वाबों का जहां: बेवजह हँसी
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ख़्वाबों का जहां. Saturday, June 6, 2009. बेवजह हँसी. सुबह उठते ही. मन अच्छा - अच्छा लगा. जैसा की हो जाता है. कभी - कभी. होठों पे मुस्कराहट. फ़ैल रही थी यूं ही. हर किसी से बात करना. अच्छा लग रहा था. पानी नही आ रहा था. फिर भी गुस्सा नही आया. हर पल के साथ एक. सुकून मिल रहा था दिल को. अचानक ही मै हँस पडी. बेवजह ही. ये बेवजह हँसी काफी गहराई तक. ठंढक पहुँचा गयी. जिसका अहसास कई दिनों तक. कम नही हुआ. सुकून के पल ऐसे ही आते है. बेवजह हँसी बन. बिना बताये अचानक. संजो कर रखा उसे. पंखुडी. June 7, 2009 at 10:47 PM.
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ख़्वाबों का जहां: बिजली की कौंध -सी खुशी
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ख़्वाबों का जहां. Friday, June 5, 2009. बिजली की कौंध -सी खुशी. बादलों. जिन्दगी. बादलों. क्यूं. जिन्दगी. अँधेरा. पंखुडी. Subscribe to: Post Comments (Atom). चलो देखे सपने पूरी होने की शर्त रखे बिना. मेरे अन्य ब्लॉग! सर्वोच्च आध्यात्मिक ज्ञान - निर्वाण! पंखुडी-मेरे शब्द! प्रभु की वाणी! शब्दों में समाया मेरा संसार. बेवजह हँसी. बिजली की कौंध -सी खुशी. ख्वाबों का जहां. साथ चले ख्वाबों के जहां में. इन्हें पढ़ना अच्छा लगता है. भैया, माँ डिजिटल हो रही है! अपनी पहचान. पंखुडी. View my complete profile.
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हम हिंदी चिट्ठाकार हैं: March 2012
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हम हिंदी चिट्ठाकार हैं. यह है हम सभी हिंदी चिट्ठाकारों का अभिव्यक्ति मंच .जय हिन्द जय हिंदी http:/ www.facebook.com/HINDIBLOGGERSPAGE. गुरुवार, 29 मार्च 2012. मृगतृष्णा. BLOG'S OWNER NAME- Brijendra Singh. (बिरजू, برجو). पसंदीदा मूवी्स. Remember the Titans,. All Movies of Hrishikesh Mukharjii,. Catch me if u can,. Into the Wild,. Andaz Apna Apna.and many more. पसंदीदा संगीत. पसंदीदा पुस्तकें. It changes rapidly. Till now. "TRAIN TO PAKISTAN" by Khushwant Singh. मृगतृष्णा. Again, it is the day,. Pinterest...
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ख़्वाबों का जहां: ख्वाबों का जहां
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ख़्वाबों का जहां. Friday, June 5, 2009. ख्वाबों का जहां. कुछ पल ख्वाबों को. हकीकत से टकराने न दो. जिन्दगी को कभी- कभी. ख्वाब में जी जाने दो. हर मुराद , हर तमन्ना. कोई ख्वाहिश न हो अधूरी. चंद लम्हों को ही सही. जी ले इंसान जिन्दगी पूरी. जिन्दगी हो ,जिन्दादिली हो. कोई बंदिश न वहाँ हो. अरमानों से सजा. ख्वाबों का इक जहां हो. पंखुडी. June 7, 2009 at 10:51 PM. Extremely Beautiful Innocent and Simple and Full of Joy Just Like the Smile of Small Kid. Hope You will get your dream true one day. Is it A Dream? आज स&#...
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kunwarji's: December 2014
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मंगलवार, 2 दिसंबर 2014. जिन्दगी तुझे ही तो ढूँढ रहे थे.(कुँवर जी). अनजानों में कही छिपा होता है. जाना-पहचाना सा कोई. कभी रास्ते बदल जाते है. तब जान पड़ता है. कभी राहे वो ही रहती है. नजरिये नहीं बदलते. और लोग बदल जाते है।. फिर कही दूर किसी मोड़ पर. पलटते है हम. ना जाने क्या सोच कर. साँस समेट कर धड़कन रोक कर. और पीछे से जिन्दगी छेड़ती है हमे. कहती है कि मै यहाँ तेरी राह तक रही. तू किसकी राह देखे।. मन के चोर को मन में छिपा. आँखों मिचका कर. कहते हम भी फिर. चलो चलते है।. कुँवर जी ,. लेबल: कविता. सात सा...
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kunwarji's: January 2013
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रविवार, 13 जनवरी 2013. हमें शान्ति चाहिए.,(कुँवर जी). 2361;म कहते है हमें शान्ति चाहिए,. 2357;ो बोले. 2361;मने इतना बेआबरू तुमको किया,. 2325;भी छाती की छलनी. 2309;भी सर. 2343;र लिया,. 2340;ुम अब भी शान्त हो. 2309;ब इस से ज्यादा शान्ति का भी क्या करोगे. 2358;ान्ति नहीं तुम्हे शर्म चाहिए,. 2361;मने कहा. 2358;र्म तो चली गयी बेशर्म हो. 2340;ो हमें शान्ति चाहिए. 2332;य हिन्द,जय श्रीराम,. 2325;ुँवर जी,. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. 13 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. लेबल: भारत. कहते...
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kunwarji's: June 2013
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बुधवार, 26 जून 2013. प्रकृति ने की क्रिडा तो उपजी पीड़ा.(कुँवर जी). जब तक चली तो खूब खेला. मानव प्रकृति संग. प्रकृति ने की क्रिडा. तो उपजी पीड़ा,. विश्वाश. कही घायल पड़ा. लोगो से नजरे चुरा. कराह रहा है,. श्रद्धा. किसी पेड़ की टहनी में. अटकी हुई सी. किसी कीचड़ में दबे चीथड़े में. सिमटी हुई सी मौन है! आस है कि. टकटकी लगाये बैठी है. उसी की और ही. ये तांडव मचाया है! जय हिन्द,जय श्रीराम,. कुँवर जी. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. 14 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. लेबल: (कविता). वैसे त...राह...
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