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चर्चामंच: "चहकी कोयल बाग में" {चर्चा अंक - 1970}
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Saturday, May 09, 2015. चहकी कोयल बाग में" {चर्चा अंक - 1970}. मित्रों।. शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।. देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). रोज होता है. होता चला आ रहा है. बस मतलब रोज का रोज. बदलता चला जाता है. उलूक टाइम्स. पर सुशील कुमार जोशी. दो कुण्डलियाँ-कोयल चहकी". कह “मयंक” कविराय, आज शाखाएँ बहकी।. होकर भावविभोर, तभी तो कोयल चहकी।।. पथ का मूयांकन. पथिक नहीं. मंजिल करती है. पर udaya veer singh. पर विशाल चर्चित. नहीं बजाती. आस का दीपक. बावरा मन. MaiN Our Meri Tanhayii.
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चर्चामंच: "एक चिराग मुहब्बत का" {चर्चा - 1984}
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Saturday, May 23, 2015. एक चिराग मुहब्बत का" {चर्चा - 1984}. मित्रों।. शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।. देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). एक चिराग मुहब्बत का . नयी उड़ान. विनती है तुझसे. कण कण में तेरा वास प्रभू. यही सुना है बचपन से. फिर भी इतना अंतर क्यूं. धनिक और ग़रीबों में. होती है बहुत होती है. अंदर ही अंदर. किसी को बहुत ही. परेशानी होती है. उलूक टाइम्स. पर सुशील कुमार जोशी. बुजुर्गों का. भटक रहा सड़कों पर. बीता हुआ कल. चांदनी रात. मन की व्यथा. अख्तर अली. विवí...
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sudheermaurya | सुधीर मौर्य - आधी हक़ीक़त आधा फ़साना।
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दल त व मर श. स ध र म र य – आध हक़ क़त आध फ़स न. Sudheer Maurya and his Creation World…. ल खक प र ल ख: sudheermaurya. ख बस रत अ जल उर फ़ बदस रत लड़क क कह न -स ध र म र य. ज न 11, 2016. बह त ख बस रत थ व लड़कपन म. लड़कपन म त सभ ख बस रत ह त ह क य लड़क , क य लड़क य पर व क छ ज य द ह ख बस रत थ व लड़क ज थ. व लड़क थ ख बस रत लड़क म र हमउम र य म झस स ल – छ मह न छ ट जब ल ग ब लत द ख क तन स न दर बच च ह म स नत और फ र उस द खत , उसक स दरत द खत पर म झ न र श ह थ लगत व म झ स न दर नज़र नह आत. 8216;और ज ब र लड़क य ह त ह? पर लड़क ज नत थ व अभ ...
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साँझ: संपादक
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उभरती प्रतिभाओ को समर्पित ई - पत्रिका. मुखपृष्ठ. संपादिका की रचनाये. रचनाये भेजे. संपादिका - अंकिता पंवार. सहसंपादक - सुधीर मौर्य 'सुधीर'. संपादिका- अंकिता पंवार. भारत विहार, निकट ऋषि गैस गोदाम. हरिद्वार रोड. ऋषिकेश, २४९२०१. सुधीर मौर्य 'सुधीर'. ग्राम व पोस्ट- गंज जलालाबाद. जनपद- उन्नाव, २०९८६९. Subscribe to: Posts (Atom). ब्लॉग प्रस्तुति. साँझ,जून २०१२-सामग्री. साँझ जून २०१२ , सम्पादकीय. जून २०१२ अतीत से. जून २०१२ काव्य धरा. जून २०१२-कथासागर. जून २०१२ व्यंग - मृदंग. जून २०१२-लेख- आलेख.
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साँझ: June 2012
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उभरती प्रतिभाओ को समर्पित ई - पत्रिका. मुखपृष्ठ. संपादिका की रचनाये. रचनाये भेजे. संपादिका - अंकिता पंवार. सहसंपादक - सुधीर मौर्य 'सुधीर'. Friday, 1 June 2012. साँझ,जून २०१२-सामग्री. अतीत से में - शहरयार, अदम 'गोंडवी', फिराक गोरखपुरी, और परवीन शाकिर. कथासागर में - डॉ. तारा सिंह की लघुकथा. व्यंग-मृदंग में - स्वप्निल शर्मा. लेख-आलेख में - निकिता बेदी. Labels: सामग्री. साँझ जून २०१२ , सम्पादकीय. वो थी दुनिया की पहली नज़्म. सुधीर मौर्या 'सुधीर'. Labels: सम्पादकीय. जून २०१२ अतीत से. फिराक गो...वुसतí...
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Sahitya: Ankita Panwar
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कुछ रचनाये अंकिता पंवार की. मुखपृष्ठ. साहित्य-'नारी दस्तखत'. ब्लाग तड़ाग. Saturday, 5 May 2012. आज का सच. किसी भी शब्द के. सबके लिये भिन्न-भिन्न अर्थ होते हैं. मैं तुमसे पूछना चाहती हूँ- प्रेम क्या है? शब्दों को दो-तीन बार दोहरा देना ही. यही सोचते हो तुम. सुनने व समझने का. वक्त ही कहां है तुम्हारे पास. तुम हो चुके हो शामिल उन लोगों में. जिन्हें सिर्फ भौतिकता ने जकड़ रखा है. जीवन का एक संवेदनात्मक पक्ष भी है. जो कि मेरे भीतर अब भी जिन्दा है. प्रसन्न वदन चतुर्वेदी. 17 May 2012 at 18:33. शब्दो&#...अंक...
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Sahitya: Ankita Panwar
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कुछ रचनाये अंकिता पंवार की. मुखपृष्ठ. साहित्य-'नारी दस्तखत'. ब्लाग तड़ाग. Wednesday, 4 April 2012. आज प्रस्तुत हे उत्तराखंड की कवियत्री अंकिता पंवार की भाव पूर्ण रचना. गरीबी दुष्चक्र. प्रति छन प्रत्यक जगह एक से हालात नहीं होते. जब कुछ लोग चैन से होते हे. तो कहीं होती हे. दिल दहला देने वाली चीत्कारें. कहीं उम्मीद दूर रही होती हे. और कहीं भ्रस्टाचार की साड़ी सीमाए. चमचमाती भारतीय अर्थव्यवस्था को जब. ओबामा भी सलाम कर रहा हे,तब. जेसे प्राकृतिक आपदाव. के कारन व परिणाम. पिसता रहा हे. शब्दों क...अंकि...
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Sahitya: Ankita Panwar
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कुछ रचनाये अंकिता पंवार की. मुखपृष्ठ. साहित्य-'नारी दस्तखत'. ब्लाग तड़ाग. Thursday, 29 March 2012. ऊँचे पहाड़ की चोटी से निकलते सूरज की. खुबसूरत हलकी गुनगुनी धूप. पहाड़ के उस हिस्से की हरियाली. कुछ ही दूर बिछी हुई कोहरे की चादर. कही भीतर फूटता हुआ झरना. और निरंतर बढता हुआ आगे की और. में मानती हूँ की यूं प्रक्रति प्रेमी हो. चाहते हो ताउम्र निहारना. पर उससे पहले मेरी भी कुछ सुन लो. पहाड़ सिर्फ स्वम ही पहाड़ नहीं होते. हर उस शख्स को जो उनसे जुड़ जाय. BHARATVIHAR NEAR RISHI GAS GODAM. शब्दों...अंक...
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ब्लाग तड़ाग: July 2012
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ब्लाग तड़ाग. सुधीर का काव्य सरोवर. साहित्य. मित्र मधुर. विजेट आपके ब्लॉग पर. इस ब्लॉग के अधिकाँश चित्र गूगल से सभार लिए ग. ए हैं. कॉपीराईट नोटिस. Image by Cool Text: Free Graphics Generator. Tuesday, 31 July 2012. दोशीजा-नखवत. बाद मुद्दत के आया मेरे ख्वाब में. पुरखार-ऐ-बयाबां इरम हो गया. उल्फत से खुल गई मिज्गा-ऐ-तश्ना. हाय ये क्या हुआ क्या गजब हो गया. दोशीजा-ऐ-नखवत की गिरी बर्क ऐसे. आशियाना-ऐ-मुहब्बत ख़तम हो गया. देख ग़ुरबत रकीब-ऐ-सनम हो गया. ख्वाब आया तो यह करम हो गया. Posted by Sudheer Maurya 'Sudheer'.
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