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Dastakhat: कुछ लफ्ज़
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Signature of desires and dreams. Saturday, January 21, 2012. कुछ लफ्ज़. जब मैंने उससे मोहब्बत की तो इस शर्त पे नहीं की, की वो भी मुझे मोहब्बत करेगा…. मैं उसे पाना नहीं चाहती पर उसके बिना जीना भी नहीं आता…. अगर तुम्हें वो कहीं मिले तो उसे बोल देना-. एक दिन उसकी रूह तुमसे मिलने ज़रूर आएगी,. तुम्हारी बेरुखी का सबब जाने बिना तो मौत भी उसको मिटा नहीं पायेगी”. ये सुन के की इनमे तेरा नाम नहीं,. मैं लकीरें जला आई अपने हाथों की. आजा एक बार. देर होने को है. वक़्त रोने को है. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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Dastakhat: September 2011
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Signature of desires and dreams. Thursday, September 8, 2011. Life से कोई race लगी है. दिवाली. फुलझड़ी. लम्हों. लम्हों. ज़िद्द. बुलबुलों. सुनामी. फाडूं. ज़िन्दगी. लाचारी. पहुंची. मुश्किल. शब्दों. चिल्लाकर. Subscribe to: Posts (Atom). Whispers of my heart. My English blog. H. They say "a picture speaks a thousand words. View my complete profile. Life से कोई race लगी है. Travel template. Powered by Blogger.
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Dastakhat: March 2011
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Signature of desires and dreams. Saturday, March 12, 2011. एक कोना दिल का. अब भी एक कोना. बचा है शायद टूटने के लिए,. अब भी एक कोना बचा है,. मुझे नहीं पता वो कहाँ छुपा है…. पर अब भी एक कोना बचा है. मैं संत नहीं, न कोई देव हूँ,. फिर भी मुस्कुराकर उसके. सवालों के जवाब देती हूँ,. उसके बिखरे ख़्वाब चुनकर,. उसकी पलकों पर सजा देती हूँ…. किसी दर्द का एहसास बचा नहीं,. इतने ज़ख्म मिले दिल को मेरे,. पर जाने कैसे ढूंढ लेते हैं हमदम. एक कोना सही सलामत सा…. सज़दा. तेरे लिए. जो तू हँस के मु...जो तेर...तेर...
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Dastakhat: May 2011
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Signature of desires and dreams. Sunday, May 15, 2011. मैं वो गीत हूँ जो तेरी मुरली से कहे,. कभी मुझ को भी तू राग बना. मैं वो थाप हूँ जो तेरे डमरू से कहे,. कभी मेरी भी धुन पे नाच ज़रा. मैं वो मोती हूँ जो तेरी माला से कहे,. मुझको भी पिरो, मुझको भी सजा. मैं काम, द्वेष, मद की दासी,. मेरे बंधन खोलो मनवासी,. मैं वो दीप हूँ जिसमे ज्योत नहीं,. मेरे नैनों को तू दरस दिखा. जग मिथ्या है मैं बोल रही,. पर माया के पट खोल रही,. मैं वो प्राण हूँ जो बस डोल रहे,. Friday, May 13, 2011. Subscribe to: Posts (Atom). I am a lo...
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Dastakhat: June 2011
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Signature of desires and dreams. Wednesday, June 1, 2011. जो मेरा हो जायेगा तो तेरा क्या जायेगा? बहुतों ने तुझे चाहा, बहुतों को तूने चाहा,. जो किसी को अपना बनाएगा तो तेरा क्या जायेगा? जिंदा तो ये बदन अब भी है लेकिन,. जो तू इसकी ज़िन्दगी बन जायेगा तो तेरा क्या जायेगा? तन्हाई की रेत में सिक रहे हैं सदियों से,. जो तू मोहब्बत में थोड़ा जलायेगा तो तेरा क्या जायेगा? नाम मुझे दिया है दीवानी का दुनिया ने,. मेरी हर धड़कन बयां करती है मजबूरी मेरी,. Subscribe to: Posts (Atom). Whispers of my heart.
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Dastakhat: May 2012
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Signature of desires and dreams. Sunday, May 20, 2012. एक मसालदान में बंद उसकी ज़िन्दगी. इतने सालों बाद कभी हिंग, कभी हल्दी सी महकती है. कभी गरम तेल के छींटों सी. कभी जली मिर्च की धांस सी. कुछ चिपचिपि, कुछ उदास सी. Oil Painting by Elayaraja. पर कटे प्याज के आँसूं. और तेज़ छुरी के घाव के पार. आँखों से बहते पानी की दीवार के पार. जब पुदीने की पीसी पत्तियां हवा को गुदगुदाती हैं. या भुने जीरे की सुगंध, मथे दही से आती है. फिर उसे किसी अजनबी की याद आती है. Ek masaaldan me band uski zindagi. Whispers of my heart.
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Dastakhat: January 2012
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Signature of desires and dreams. Saturday, January 21, 2012. कुछ लफ्ज़. जब मैंने उससे मोहब्बत की तो इस शर्त पे नहीं की, की वो भी मुझे मोहब्बत करेगा…. मैं उसे पाना नहीं चाहती पर उसके बिना जीना भी नहीं आता…. अगर तुम्हें वो कहीं मिले तो उसे बोल देना-. एक दिन उसकी रूह तुमसे मिलने ज़रूर आएगी,. तुम्हारी बेरुखी का सबब जाने बिना तो मौत भी उसको मिटा नहीं पायेगी”. ये सुन के की इनमे तेरा नाम नहीं,. मैं लकीरें जला आई अपने हाथों की. आजा एक बार. देर होने को है. वक़्त रोने को है. Subscribe to: Posts (Atom). Every word ...
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Dastakhat: मसालदान
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Signature of desires and dreams. Sunday, May 20, 2012. एक मसालदान में बंद उसकी ज़िन्दगी. इतने सालों बाद कभी हिंग, कभी हल्दी सी महकती है. कभी गरम तेल के छींटों सी. कभी जली मिर्च की धांस सी. कुछ चिपचिपि, कुछ उदास सी. Oil Painting by Elayaraja. पर कटे प्याज के आँसूं. और तेज़ छुरी के घाव के पार. आँखों से बहते पानी की दीवार के पार. जब पुदीने की पीसी पत्तियां हवा को गुदगुदाती हैं. या भुने जीरे की सुगंध, मथे दही से आती है. फिर उसे किसी अजनबी की याद आती है. Ek masaaldan me band uski zindagi. Whispers of my heart.
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Dastakhat: October 2011
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Signature of desires and dreams. Sunday, October 9, 2011. हल्की-फुल्की बदलियों में, आँख मिचोली खेलता चंदा,. पत्तियों पर - टहनियों पर, चांदनी का बिखरा आँचल,. पिघले चाँदी की लहरों से लबालब भरा सागर,. चाँदी की इस सर्द रेत पर ठण्ड सेकती मेरी अँगुलियाँ,. कोई एक सीपी इधर, कोई एक शंख उधर, और मेरी अँगुलियाँ,. बस मैं. और नमकीन हवाओं में. काली चट्टानों पर. लहराते चाँदी के परदे. पहली किरण की लालिमा से, रंग चुराता बेरंग गगन,. बस मैं. और समंदर में. डुबकी लगाता. एक पंछी. बस मैं. राह खोजती. एक कश्ती. I am a lover.l...