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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग: December 2009
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग. Sunday, December 20, 2009. अवधी उपन्यास - क़ासिद (11). का बात है बच्चा. का देखि क मुस्कुरा रह्यौ. बेटा, हमार मन कहति है कि यू घर बेचिक हिंदुआने म भीतर तन कौनौ दूसर घर लइ लेओ।. काहे, अम्मा. का भा. इ घर मा का खराबी है. दादी क मन म अब लगै जौन कुछ भीतरै भीतर चलि रहा रहै। अपने लरिका क सवाल सुनिकै बाहर आवन लाग।. अम्मा, धमाका सहरन म होति हैं। हम लोगन का. तुम ऐसै काहे स्वाचन लागी हौ. टीवी पर एंकर खबर पढ़ि रही।. अवधी उपन्यास. क़ासिद. टिल्लू. Thursday, December 17, 2009.
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग: November 2008
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग. Friday, November 14, 2008. पर ज़बां हो दिल की रफ़ीक. हसरत मोहानी - १). पंकज शुक्ल. उनक्यार एकु शेर उनके बारे म सब कुछ साफ साफ कहि देति है-. हज़ार खौफ़ हों पर ज़बां हो दिल की रफ़ीक. यही रहा है अज़ल से कलंदरों का तरीक़. जारी.). Subscribe to: Posts (Atom). वैधानिक चेतावनी. 2309;वधी उपन्यास - क़ासिद. By पंकज शुक्ल. Is licensed under a Creative Commons Attribution-Non-Commercial-No Derivative Works 2.5 India License. Journalist, Writer, Filmmaker. View my complete profile.
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग: January 2009
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग. Thursday, January 08, 2009. यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो. लरिकउनु बी ए पास किहिनि, पुतहु का बैरू ककहरा ते।. वह करिया अच्छरू भैंसि कहं, यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो।. दिनु राति बिलइती बोली मां, उइ गिटपिट गिटपिट बोलि रहे।. बहुरेवा सुनि सुनि सिटपिटाति, यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो।. लरिकऊ कहेनि वाटर दइदे, बहुरेवा पाथर लइ आई।. यतने मा मचिगा भगमच्छरू, यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो।. लरिकऊ चलै असनान करै, तब साबुन का उन सोप कहा।. Subscribe to: Posts (Atom). Journalist, Writer, Filmmaker.
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग: January 2010
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग. Saturday, January 30, 2010. अवधी उपन्यास- क़ासिद (14). या अल्लाह, अबकी दांय जानौ ईद पर फत्तेपुर मा रौनक नाई रही।. चहुं गिरदा अंधेर हुइगा तो अमीर हसन रेडियो बंद कई दीन्हेनि।. दूसरके बुजुर्ग अपन जज्बात रोकि नाई पाए।. तो आ जइहैं नेता लोग, वोट मांगै और कहिहैं. अमीर हसन त रहा नाई गा. उई गला खंखारि क बोले,. अरे कहां हौ. बिटिया. अम्मीजान. बस तुम्हार बिस्तर लगा रही रहन. पीसीओह एत्ति दूरि है।. का कह्यौ अम्मा. कुछौ नाईं कुछौ नाई।...जारी.). अवधी उपन्यास. अवधी उपन...
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग: September 2008
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग. Sunday, September 28, 2008. यह किसान की दुनिया. जमींदार कुतवा अस नोचैं देह की बोटी-बोटी,. नौकर प्यादा औरु करिन्दा ताके रहै लंगोटी।. पटवारी खुरचाल चलावैं बेदखली इस्तीफा,. रोजई कुड़की औ जुर्माना छिन-छिन नवा लतीफा।. मोटे-झोटे कपड़ा-बरतन मोटा-झोटा खाना,. घर ते खेत ख्यात ते बग्गरू कहूं न आना जाना।. नंगा ठग्गा इज्जाति पावै किमियागर पुजवावै,. जहां जाय तहं ठगि कै आवै यह किसान की दुनिया।. रचयिता: पंडित वंशीधर शुक्ल. Friday, September 26, 2008. Subscribe to: Posts (Atom).
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग: February 2010
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग. Saturday, February 13, 2010. अवधी उपन्यास- क़ासिद (16). अच्छा तौ काला अक्षर भैंस बराबर। तुम पढ़ाई काहे नाईं करती हो।. टिल्लू बात घुमावै खातिर बोलि परे।. टिल्लू क सवाल सुनि कै आयशा पहले तो सकपकानीं कि का जवाब देई। लेकिन वोई मज़ाक क मूड म दिखाई परीं, कहै लागीं,. दादी, एहकि इजाज़त कबहूं ना द्याहैं।. तुम का मोहल्ला म कोठा बनावै वाली है. तुम यू का कहि रहे हौ. को है. तुमते कहा रहै कि अब्बू कि चिट्ठी. अरे, इ बेचारे क का पता. आयशा क अम्मा धीरे ...चच्ची, अबकì...अरे...
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग: April 2011
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग. Saturday, April 30, 2011. जब बंबई म भै रहै सोने कि बरसात. यू जानौ कि वहि के अरते परते हम ई सहर म आए रहन।. Subscribe to: Posts (Atom). वैधानिक चेतावनी. 2309;वधी उपन्यास - क़ासिद. By पंकज शुक्ल. Is licensed under a Creative Commons Attribution-Non-Commercial-No Derivative Works 2.5 India License. छोरा गंगा किनारे वाला. Journalist, Writer, Filmmaker. View my complete profile. छोड़ आए हम जो गलियां. जब बंबई म भै रहै सोने कि बरसात. क़ासिद. ब्लॉगवाणी.
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग: February 2011
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग. Tuesday, February 22, 2011. येऊर म अवधी सत्संग. Subscribe to: Posts (Atom). वैधानिक चेतावनी. 2309;वधी उपन्यास - क़ासिद. By पंकज शुक्ल. Is licensed under a Creative Commons Attribution-Non-Commercial-No Derivative Works 2.5 India License. छोरा गंगा किनारे वाला. Journalist, Writer, Filmmaker. View my complete profile. छोड़ आए हम जो गलियां. येऊर म अवधी सत्संग. यहां भी घूम आएं. क़ासिद. ब्लॉगवाणी. रोज़गारनामा. बालामऊ ट्रेन.
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग: March 2011
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मझेरिया कलां : अवधी क्यार पहिला ब्लॉग. Friday, March 04, 2011. आखिर कौन लाल जड़े रहैं पीपली लाइव म? अगर या बात ना रहै तो फिर काहे पठवा गा येई फिलिम कइहां ऑस्कर म? 8221; (येई लेख तेरे). अगर या बात ना रहै तो फिर काहे पठवा गा येई फिलिम कइहां ऑस्कर म? Http:/ www.bihardays.com/6nation/awadhi-column-peepli-live-pankaj-shukla/. Subscribe to: Posts (Atom). वैधानिक चेतावनी. 2309;वधी उपन्यास - क़ासिद. By पंकज शुक्ल. छोरा गंगा किनारे वाला. Journalist, Writer, Filmmaker. View my complete profile.
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महुवा: बस नदी हो जाना .....
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Thursday, November 24, 2011. बस नदी हो जाना . नदी का सपना. नदी को पाना. अब जैसे कुछ भी करना. बस नदी हो जाना . नीम बेहोशी खुशियां. जागते सोते गलतफहमिया. एक अंजुरि नदी मेरे भीतर . हर पल कुछ कहती है, ,. सुबह अब हर रोज़ होती है. हर पीछे छूटी रात की तरह. और नदी भी आवेग देती है. मेरे भीतर बहते प्रवाह की तरह. नदी को पाकर.क्या . तलाश खत्म.फिक्र खत्म. जैसे जिंदगी भी खत्म. किसी की जिद नही . कोई कसमसाहट नहीं. बस एक खिलखिलाहट . मेरे भीतर! प्रस्तुतकर्ता. दिगम्बर नासवा. November 24, 2011 at 9:39 PM. मैं और...अखा...