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गीत.......मेरी अनुभूतियाँ: November 2014
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पुस्तक परिचय. काव्य संग्रह और प्रकाशित रचनाएँ. ब्लॉग 4 वार्ता. नयी पुरानी हलचल. डैश बोर्ड. राजभाषा हिंदी. बिखरे मोती. ललित डॉट कॉम. कमी रही . 160;Saturday, November 22, 2014. हुनर के पंख लिए हम तकते रहे आसमाँ. पंखों में परवाज़ के लिए हौसले की कमी रही ।. मन के समंदर में ख्वाहिशों का सैलाब था. सपनों के लिए आँखों में नमी की कमी रही. चाहा था कि इश्क़ करूँ मैं तुझसे बेइंतिहां. पर मेरी इस चाहत में कुछ जुनूँ की कमी रही. Posted by संगीता स्वरुप ( गीत ). 160;Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). आठ दí...
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कंप्यूटर विज्ञान की मूलभूत शब्दावली: शब्दावली - 117
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कंप्यूटर विज्ञान की मूलभूत शब्दावली. सोमवार, 7 सितंबर 2009. शब्दावली - 117. Zero address शून्य पता. Zero bit शून्य द्वयंक. Zero compliment शून्य पूरक. Zero elimination शून्य निराकरण. Zero flag शून्य पताका. Zero level address शून्य स्तर पता. Zero page addressing शून्य पृष्ठ पताभिगमन. Zero state शून्यावस्था. Zone punch क्षेत्र छिद्र. Zoom in आकार वर्द्धन. Zoom out आकार हासन. 2404;।इति अंतिमोध्याय:।।. प्रस्तुतकर्ता. संगीता पुरी. 12 टिप्पणियां:. 7 सितंबर 2009 को 6:24 pm. अर्शिया. ब्...इसके...
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ट्रेलर फ़िल्म : ताऊ की शोले
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ताऊ डाट इन. By P C. Rampuria (ताऊ). ट्रेलर फ़िल्म : ताऊ की शोले. ट्रेलर फ़िल्म : ताऊ की शोले. Posted by ताऊ रामपुरिया. Wednesday, August 12, 2009. बैकग्राऊंड म्युजिक सुनने के लिये कृपया स्पीकर ON करें! बैकग्राऊंड म्युजिक सुनने के लिये कृपया स्पीकर ON करें! बैकग्राऊंड म्युजिक सुनने के लिये कृपया स्पीकर ON करें! बैकग्राऊंड म्युजिक सुनने के लिये कृपया स्पीकर ON करें! फ़िल्म : ताऊ की शोले. Anup Shukl ‘Furasatia”. Mahavir B. Semlani. ट्रेलर :. ताऊ की शोले. ज्ञानजी. भी ट्रेन मे ही...गब्बर : अरे ब&#...सा&...
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हिन्दी सागर: जिस समाज में तुम रहते हो
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हिन्दी सागर. Thursday, February 21, 2008. जिस समाज में तुम रहते हो. जिस समाज में तुम रह्ते हो. यदि तुम उसकी एक शक्ति हो. जैसे सरिता की अगणित लहरों में. कोई एक लहर हो. तो अच्छा है. जिस समाज में तुम रहते हो. यदि तुम उसकी सदा सुनिश्चित. अनुपेक्षित आवश्यकता हो. जैसे किसी मशीन में लगे बहुत कल-पुर्जों में. कोई भी कल-पुर्जा हो. तो अच्छा है. जिस समाज में तुम रह्ते हो. यदि उसकी करुणा ही करुणा. तुम को यह जीवन देती है. जैसे दुर्निवार निर्धनता. तो यह जीवन की भाषा में. त्रिलोचन'. मीनाक्षी. February 26, 2008 at 8:58 PM.
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हिन्दी सागर: जो तुम आ जाते (महादेवी वर्मा)
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हिन्दी सागर. Friday, April 15, 2011. जो तुम आ जाते (महादेवी वर्मा). जो तुम आ जाते एक बार. कितनी करुणा कितने सन्देश. पथ में बिछ जाते बन पराग. गाता प्राणों का तार तार. अनुराग भरा उन्माद राग. आँसू लेते वे पथ पखार. जो तुम आ जाते एक बार . हँस उठते पल में आद्र नयन. धुल जाता होठों से विषाद. छा जाता जीवन में बसंत. लुट जाता चिर संचित विराग. आँखें देतीं सर्वस्व वार. जो तुम आ जाते एक बार. मीनाक्षी. Labels: महादेवी वर्मा. जयकृष्ण राय तुषार. जो तुम आ जाते एक बार. जो तुम आ जाते एक बार . April 15, 2011 at 4:12 PM.
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हिन्दी सागर: 'वाणी और व्यवहार'
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हिन्दी सागर. Friday, September 9, 2011. वाणी और व्यवहार'. पाठ याद हो गया. मुन्ना के मित्र बाहर से बुला रहे हैं. मुन्ना पैर में चप्पल डाल कर सपाटे से बाहर निकल जाते हैं. उनके खेलने का समय हो गया है. प्रवचन और अध्ययन सब बौने हो गए हैं. आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है. आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है. मीनाक्षी. Labels: निबंध. वाणी और व्यवहार. श्री रामानंद दोषी. Smart Indian - स्मार्ट इंडियन. यह अनुभव अक्सर होता है. September 13, 2011 at 2:43 PM. September 19, 2011 at 4:00 AM. नमस्कार,. आप चले...
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दुबे का बेबाक-अंदाज: December 2010
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दुबे का बेबाक-अंदाज. Sunday, December 26, 2010. नारी उत्थान में निहित भारत विकास- - - - - - -मिथिलेश दुबे. वैदिक ऋचाओं की द्रष्टा के रूप में सरमा , अपाला, शची , लोवामुद्रा , गोधा ,विस्वारा आदि ऋषिकाओं का आदरपूर्वक स्थान था. यही नहीं सर्वोच्य सप्तऋषि तक अरुंधती का नाम आता है. नर और नारी में भेद करना पाप. अलग-अलग किताबों से पढ़ा गया किरदारों के बारे में. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: नारी. Sunday, December 19, 2010. 19 दिसम्बर की वह सुबह "- - - - - - मिथिलेश दुबे. उच्चारण किया ।. बिस्मिल. ज्येष्ठ ...उस दिन ब&...
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दुबे का बेबाक-अंदाज: August 2010
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दुबे का बेबाक-अंदाज. Sunday, August 22, 2010. क्योंकि वेश्या है वह? मिथिलेश दुबे. सहती न जानें कितने जुल्म. करती ग्रहण. पुरुष कुंठाओ को. हर रात ही होती है हमबिस्तर. न जानें कितनों के साथ. कभी उसे कचरा कहा जाता. कभी समाज की गंदगी. कभी कलंक कहा गया. कभी बाई प्रोडक्ट. तो कभी सभ्य सफेदपोश. समाज का गटर. आखिर हो भी क्यों ना. कसूर है उसका कि वह. इन सफेद पोशों के वासना को. काम कल्पनाओं को. कहीं अंधेरे में ले जाकर. लील जाती है. खूद को बेचा करती है. जहाँ इसी समाज में. उसी समाज की. उत्पीडित,. हर बार ही. तकिए ...
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दुबे का बेबाक-अंदाज: March 2014
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दुबे का बेबाक-अंदाज. Sunday, March 23, 2014. वीर जवानों को नमन. कपकपाती ठण्ड में. जो कभी ठहरा नहीं. चिलचिलाती धूप में. जो कभी थमा नहीं. गोलियों की बौछार में. जो कभी डरा नहीं. बारूदी धमाकों से. जो कभी दहला नहीं. अनगिनत लाशों में. जो कभी सहमा नहीं. फर्ज के सामने. जो कभी डिगा नहीं. आंसुओं के सैलाब से. जो कभी पिघला नहीं. देश के आन ,मान ,शान में. मिटने से जो कभी पीछे हटा नहीं. ऐसे वीर जवानों को. शत -शत नमन ।।. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: कविता. वीर जवान. वीर शहीद. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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तस्वीरें भी बोलती हैं...: कच्ची मिट्टी
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तस्वीरें भी बोलती हैं. यहाँ-वहाँ, मतलब-बेमतलब भटकते हुए जो दृश्य कैमरे में कैद किये. सोमवार, 13 जुलाई 2009. कच्ची मिट्टी. कच्ची मिट्टी को दिए कई अनोखे रूप. नंगे जिस्म पे झेलते बारिश, सर्दी, धूप. प्रस्तुतकर्ता. रजनीश 'साहिल. प्रतिक्रियाएँ:. लेबल: कच्ची मिट्टी. ग्राम्य जीवन. तंगहाली. हाथों का हुनर. 1 टिप्पणी:. 6 अगस्त 2009 को 12:31 am. Zakir Ali ‘Rajnish’. उत्तर दें. टिप्पणी जोड़ें. अधिक लोड करें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. बक़लम ख़ुद. रजनीश 'साहिल. अपनी क़लम से. आशियाना.