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November 2013
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मुखपृष्ठ. ललित निबंध. कम्प्यूटर/इन्टरनेट. Follow me on Twitter. Saturday, November 23, 2013. बना रहे प्रेम. बना रहे प्रेम : कविता वाचक्नवी. और किस बूते उस विरत हुए/हुई व्यक्ति को दोष दे सकते हैं? योग्यता हमारी हमें ही प्रमाणित करनी होती है कि हमारे गुणों, व्यवहार आदि पर कोई रीझ जाए और रीझा रहे।. इसी बहाने प्रेम विषयक मेरी एक कविता पढ़ें, इसका शीर्षक ही है 'प्रेम' और स्त्री-प&...उसे पढ़ा जा सकता है।. Links to this post. कविता वाचक्नवी. साहित्य. Sunday, November 17, 2013. Type your summary here. उन्ह&#...
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सुबीर संवाद सेवा: December 2012
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गुरुवार, 20 दिसंबर 2012. श्री नीरज गोस्वामी जी को सुकवि रमेश हठीला शिवना सम्मान प्रदान किये जाने के समारोह तथा मुशायरे के वीडियो ।. सबसे पहले तो ये कि उस कार्यक्रम के पूरे फोटो अब वेब अल्बम पर उपलब्ध हैं । जिनको आप यहां https:/ picasaweb.google.com/117630823772225652986/NEERAJGOSWAMIJISAMMANANDMUSHAIRA. द्वारा: पंकज सुबीर. 10 टिप्पणियां. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. शनिवार, 8 दिसंबर 2012. भोजन सप्लाई व...इस्म...ये ...
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हरकीरत ' हीर': March 2014
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हरकीरत ' हीर'. हरकीरत ' हीर' की नज्में . Saturday, March 8, 2014. Posted by हरकीरत ' हीर'. महिला दिवस. पर एक कविता ……. खुराफ़ाती जड़ …. इतना नीचे मत गिर जाना. कि तमाम उम्र मैं अपनी नज़रों में. फिर तुम्हें उठा न सकूँ. और मेरी अंगुलियां सनी रहे. तुम्हारे उगले घिनावने शब्दों के. रक्त से …. कोने की मकड़ी. खुद ही फंस गई है अपने बनाये जाल में. लो मैंने तोड़ दिया है एक तंतु. पूरे का पूरा जाल हिलने लगा है. तुम मत फंस जाना. अपने बनाये जाल में. वर्ना एक तंतु के टूटते ही. बौखला क्यों गए? तुम पर हमला.
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हरकीरत ' हीर': January 2014
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हरकीरत ' हीर'. हरकीरत ' हीर' की नज्में . Sunday, January 26, 2014. २६ जनवरी इमरोज़ के जन्मदिन पर …. Posted by हरकीरत ' हीर'. २६ जनवरी इमरोज़ के जन्मदिन पर …. आज का ही दिन था. जब रंगों से खेलता वह. माँ की कोख से उतर आया था. और ज़िन्दगी भर रंग भरता रहा. मुहब्बत के अक्षरों में . कभी मुहब्बत का पंछी बन गीत गाता. कभी दरख्तों के नीचे हाथों में हाथ लिए. राँझा हो जाता . दुनिया देखने के लिए. कमरे के ही सात चक्कर लगा. मैं दुनिया देख आया अमृता. मेरा कैनवस भी तू है. और मेरे रंग भी . इक आज़ाद नज़्म. दीवारí...जले...
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हरकीरत ' हीर': September 2013
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हरकीरत ' हीर'. हरकीरत ' हीर' की नज्में . Wednesday, September 18, 2013. हल्दी घाटी का महाराणा प्रताप संग्रहालय और श्रीमाली जी …. Posted by हरकीरत ' हीर'. हल्दी घाटी का महाराणा प्रताप संग्रहालय और श्रीमाली जी …. डॉ अमर सिंह वधान जी के साथ बैठे हुए श्रीमाली जी …. झीलों की इस खूबसूरत नगरी में आने वाले देश विदेश के मेहमान हल्दीघाटी संग्रहालय जरूर जा...हल्दीघाटी संग्रहालय. संग्रहालय में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के ज...शेर से युद्ध करते प्रताप. महाराणा प्रताप का वनव...महाराणा सं...ऐतिहì...
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हरकीरत ' हीर': July 2014
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हरकीरत ' हीर'. हरकीरत ' हीर' की नज्में . Saturday, July 5, 2014. मुहब्बत की तक़दीर . Posted by हरकीरत ' हीर'. मुहब्बत की तक़दीर. इक अनलिखी तक़दीर. जिसे दर्द ने बार -बार लिखना चाहा. अपने अनसुलझे सवालों को लेकर. आज भी ज़िंदा खड़ी है . नहीं है उसके पास मुस्कानों का कोई पैबंद. जीने योग्य रात की हँसी. उगते सूरज की उजास भरी किरणें. फड़फड़ाते सफ़्हों पर वह लिखती है. अधलिखि नज़्मों की दास्तान . कबूल है उसे हर इल्ज़ाम. चुप्पियों में उग आये शब्दों से वह. सीती है सपने. तक़दीर के अनलिखे सपने. तू कौन है? हीर ….
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हरकीरत ' हीर': February 2014
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हरकीरत ' हीर'. हरकीरत ' हीर' की नज्में . Friday, February 14, 2014. आज के दिन के नाम कुछ 'हाइकु'. Posted by हरकीरत ' हीर'. आप सबको मुहब्बत का ये पाक दिन मुबारक. आज के दिन के नाम कुछ 'हाइकु'. मुहब्बत के. दिन छलके हैं क्यूँ? आँखों से आँसू. हौले में तुम. छू जाना सबा संग. यादों की तार. देख उगा है. मुहब्बत का चाँद. मुस्कान लिए. आयेगीं याद. तुम्हें भी इस दिन. गुजरी बातें. देह से नहीं. होती है मुहब्बत. पाक रूह से. मुहब्बत है. रब्ब की इबादत. खेल नहीं है. लिखना तुम. सागर की छाती पे. चनाब रोई. आया न कोई.
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हरकीरत ' हीर': February 2013
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हरकीरत ' हीर'. हरकीरत ' हीर' की नज्में . Thursday, February 28, 2013. नव्या' पत्रिका में मेरी तीन कवितायेँ . Posted by हरकीरत ' हीर'. नव्या' पत्रिका में मेरी तीन कवितायेँ . हीर' की तीन कविताएँ. 27 Feb. 2013. हुई औरत . अनगिनत प्रार्थनाएं. अनगिनत स्वर. पर कोई भी शब्द स्पष्ट नहीं. अर्थहीन शब्द तैर रहे हैं हवाओं में. एक दिव्य गुंजन. क्या है ये ? जड़ या चेतन ? वह सब भूल गई है. अपना अतीत. अपना वर्तमान. ह्रदय का स्पंदन. आँख , कान श्वास -प्रश्वास. वह आज पावन कुम्भ के जल से. शायद जीवित कर दे. यह क्या ? मै...
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हरकीरत ' हीर': November 2013
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हरकीरत ' हीर'. हरकीरत ' हीर' की नज्में . Saturday, November 2, 2013. आज जलेंगे दीये उजाले के. Posted by हरकीरत ' हीर'. आज जलेंगे दीये उजाले के. संग मेरे रौशनी का जहां होगा. जीत के जश्न की तैयारी कर लो. आज अंधेरों का ज़िक्र न यहाँ होगा. दीपावली की शुभकामनाओं सहित पेश हैं कुछ हाइकू . जलाया दीप. आँगन में साजन. तेरे नाम का. जलती रही. तेरे इन्तजार में. उम्रों की बाती. कोई जला दे. अबके दिवाली में. बुझी-बुझी सी. रौशनी दीपक की. बिन है तेरे. दीप जला न. प्रीत के तेल बिन. रोये है बाती. जलाऊँ मन मीत. हीर ….
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हरकीरत ' हीर': June 2013
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हरकीरत ' हीर'. हरकीरत ' हीर' की नज्में . Sunday, June 16, 2013. पितृ दिवस पर कुछ कवितायेँ . Posted by हरकीरत ' हीर'. पितृ दिवस. पर कुछ कवितायेँ. सूखती जड़ें . न जाने कितनी. फिक्रों तले सूखे हैं ये पत्ते. दूर-दूर तक बारिश की उम्मीद से. भीगा है इनका मन. शब्द अब मृत हो गए हैं. जो पिघला सकें इनकी आत्मा. लगा सकें रिश्तों में पैबंद. कांपते पैर अब जड़ों में. कम होती जा रही नमी. देख रहे हैं ! बौने होते बुजुर्ग . एक कमरे में. पड़े चुपचाप. याद आते हैं वो हंसी. जवानी के दिन खुशहाल. सबकी फरमाइशें. और न मैं . उछाल...