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Komal Verma "kanak": June 2011
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रविवार, जून 26, 2011. जिसके साथ का अहसास हो, साथ फिर भी साथ है।. यह जग मिले पुरूषार्थ से, और प्रेम तो नि:स्वार्थ है।. प्रेम में यदि काम है तब प्रेम कैसे कहें हम इसको,. प्रेम तो रूह में बसता है, अहसास सिर्फ अहसास है।. हो जाये जब प्रेम, भान यदि न हो पाये उसको,. आंकना और परखना, सब प्रेम का अपमान है।. कुछ पाया कुछ खो दिया, मोह में बस संसार के,. जो बांंट दे अपना जिगर, यह त्याग ही तो प्यार है।. कोमल वर्मा. 5 टिप्पणियां:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! मंगलवार, जून 14, 2011. पिछलí...
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Komal Verma "kanak": जुगनूओं का कारोबार है
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गुरुवार, अप्रैल 19, 2012. जुगनूओं का कारोबार है. यह कैसा शहर है, न रात, न दोपहर है।. चांद तन्हा है, धूप का भी यही हश्र है।. इश्क से रूह का रिश्ता जुदा है यहां,. हर महबूब फिदा नए महबूब पर है।. जिस्म की सीढ़ी से उतरता है रंग सुनहरा,. धूप के टुकड़े से मरहूम जहां आंगन हर है।. आंखों में उमड़ता है दर्द का सैलाब,. और जिस्म पर जख्मों की भरमार है।. भावनाओं का मोल नहीं, रोज होती तार-तार,. कोमल वर्मा कनक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. तुम...
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Komal Verma "kanak": क्या शिकायत करूं मैं
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शनिवार, जून 16, 2012. क्या शिकायत करूं मैं. अतीत के रिश्तों से आंचल हटाने दो।. दिल की बात तुम मुझको सुनाने दो।. निगाहों से जोड़ लूं रिश्ता जन्म भर का,. आंखों को यह यकीन तो आ जाने दो।. क्या शिकायत करूं मैं जिन्दगी से अब,. अब वक्त को फलसफा यह समझाने दो।. मेरे हमसफर मुझको तुम हमराज बना लो,. और इश्क में एक-दूसरे को आजमाने दो।. भटकते-भटकते अर्सा हुआ, थक गयी मैं,. कि जो मिला है मुझको उसे अपनाने दो।. कोमल वर्मा कनक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. जून 18, 2012 6:40 pm. नई पोस्ट. सुन&#...
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Komal Verma "kanak": June 2012
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शनिवार, जून 16, 2012. क्या शिकायत करूं मैं. अतीत के रिश्तों से आंचल हटाने दो।. दिल की बात तुम मुझको सुनाने दो।. निगाहों से जोड़ लूं रिश्ता जन्म भर का,. आंखों को यह यकीन तो आ जाने दो।. क्या शिकायत करूं मैं जिन्दगी से अब,. अब वक्त को फलसफा यह समझाने दो।. मेरे हमसफर मुझको तुम हमराज बना लो,. और इश्क में एक-दूसरे को आजमाने दो।. भटकते-भटकते अर्सा हुआ, थक गयी मैं,. कि जो मिला है मुझको उसे अपनाने दो।. कोमल वर्मा कनक. 3 टिप्पणियां:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! नई पोस्ट. तुम्ह&#...कोम...
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Komal Verma "kanak": August 2011
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बुधवार, अगस्त 24, 2011. ख्वाहिश है मेरी .।. जिंदगी का सफर आसां हो जाये,. यह मोड़ भी रूखसत हो जाये।. खुद को खोजना बाकी ही कहां रहे,. जो तू मुझ तक पहुंच जाये।. जिंदगी के तमाम लम्हों का कर लें हिसाब,. आओ किसी मोड़ पर थोड़ा ठहर जायें।. मेरी सांसों की तरह अटका हुआ कोई लम्हा,. किसी टहनी पर कहीं छूट न जाये।. मौत के सफर का मुसाफिर जिन्दा रहे,. राह में तेरी याद की ताबीर लिपट जाये।. मंजिल से दूर रहने की सजा काट लूंगी,. बस तू मेरी राह की तकदीर बन जाये।. कोमल वर्मा. 4 टिप्पणियां:. Links to this post. परवाज कर...
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Komal Verma "kanak": उनके आने से आई होली...
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मंगलवार, जून 07, 2011. उनके आने से आई होली. कोमल वर्मा. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). मेरे बारे में. Noida, U.P., India. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मेरी ब्लॉग सूची. चीन से सिर्फ चटाई ही मंगवाई थी या फिर . 1 वर्ष पहले. Think About It……. 4 वर्ष पहले. 4 वर्ष पहले. 5 वर्ष पहले. 2 दिन पहले. कुल पेज दृश्य. कोमल वर्मा...कोम...
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Komal Verma "kanak": September 2012
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रविवार, सितंबर 09, 2012. Think About It……. So, what's wrong and where? When I look at myself or my friends I can see it everywhere. We are not happy with what we have but all are stressed and not happy for the things we don't have. You have a Santro, but you want Ci! Do we ever think if we actually need those things before we want them? Initially I had lot of questions. I am earning good; still I am not happy.why? I have all luxuries; still I am stressed. . why? May be, many people will call this approac...
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Komal Verma "kanak": हो शिखर-सा सदृश्य
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शुक्रवार, मई 04, 2012. हो शिखर-सा सदृश्य. मुश्किल में हैं चाहत मेरी, अब नए पथ पर।. मन चाहे तुझको, वक्त कहे प्रणय का त्याग कर।. धीरज संग न टूटे रिश्ता मेरा, रहे तेरा साथ सदा,. आहिस्ता-आहिस्ता ही सही, पहुंचना है मंजिल पर।. क्यूं मौन रह गयी मैं! सुनकर बातें इस जमाने की,. रोक देती, टोक देती, न होती ग्लानी कोई, न कोई डर।. जब भी करूं मैं प्रीत, तो वह हो शिखर-सा सदृश्य,. महसूसे ही नहीं सब उसको, देख भी ले हर नजर।. कोमल वर्मा ‘कनक’. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. नई पोस्ट. तुम्ह&...Dr Varsha...
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Komal Verma "kanak": March 2012
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बुधवार, मार्च 28, 2012. निगाहों में बसा लो मुझको. खुशबूओं को मिले रास्ता, गुलों की ख्वाहिश है।. मत बांधो वेग को, हवाओं की यह गुजारिश है।. परिन्दों को दिया हौसला, आकाश ने परवाज का,. सांझ को लौट आएंगें, शजर की यह ख्वाहिश है।. यह जख्म आखिरी हो, हमदम चाहती हूं मैं,. आंचल डाल दूं, नहीं कोई जख्म-ए-नुमाइश है।. जो कह दूं चाहते कम हो, सादगी है यह हमारी,. कम न लगे तुम्हें कभी, इश्क की यह आजमाइश है।. कोमल वर्मा ‘कनक’. 2 टिप्पणियां:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! रिश्ता. Links to this post.