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लम्हों का सफ़र: 492. दुःखहरणी...
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लम्हों का सफ़र. मन की अभिव्यक्ति का सफ़र. Wednesday 1 April 2015. 492 दुःखहरणी. दुःखहरणी. जीवन के तार को साधते-साधते. मन रूपी अंगुलियाँ छिल गई हैं. जहाँ से रिसता हुआ रक्त. बूँद-बूँद धरती में समा रहा है,. मेरी सारी वेदनाएँ सोख कर धरती. मुझे पुनर्जीवन का रहस्य बताती है. हार कर जीतने का मंत्र सुनाती है,. जानती हूँ. संभावनाएँ मिट चुकी है. सारे तर्क व्यर्थ ठहराए जा चुके हैं. पर कहीं न कहीं. जीवन का कोई सिरा. जो धरती के गर्भ में समाया हुआ है. यह धरती मुझे झकझोर देती है. जीवन प्रवाहमय रहे. April 02, 2015 8:14 PM.
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अमित शर्मा: October 2010
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मुख्य पृष्ठ. भारत भारती वैभवं. कहानी नहीं हकीकत. समाज - सरोकार. Friday, October 22, 2010. हर किसी को "और" चाहिए. यह दिल मांगे मोर . अरे भाई हासिल करना है, तक तो ठीक है पर यह लोभ इतना भयंकर हो जाता है कि फिर ना किसी मर्यादा कि परवाह. जाये चाहे सारे कानून-कायदे भाड़ में. या फिर आप खड़े रहिये नैतिकता का झुनझुना लिए, कोई आपके पास फटकेगा भी नहीं. काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पन्थ ।. सब परिहरि रधुबीरहि भजहू भजहि जेहि सन्त ।।. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. लेबल: ईर्ष्या. तृष्णा. Monday, October 11, 2010. न...
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लम्हों का सफ़र: 493. सरल गाँव (गाँव पर 10 हाइकु)
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लम्हों का सफ़र. मन की अभिव्यक्ति का सफ़र. Saturday 4 April 2015. 493 सरल गाँव (गाँव पर 10 हाइकु). सरल गाँव (गाँव पर 10 हाइकु). जीवन त्वरा. बची है परम्परा,. सरल गाँव. घूँघट खुला,. मनिहार जो लाया. हरी चूड़ियाँ! भोर की वेला. बनिहारी को चला. खेत का साथी! पनिहारिन. मन की बतियाती. पोखर सुने! दुआ-नमस्ते. गाँव अपने रस्ते. साँझ को मिले! खेतों ने ओढ़ी. हरी-हरी ओढ़नी. वो इठलाए! असोरा ताके. कब लौटे गृहस्थ. थक हारके! महुआ झरे. चुपचाप से पड़े,. सब विदेश! खंड-खंड टूटता. ग़रीब गाँव! बाछी रम्भाए. April 05, 2015 8:05 AM.
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तीन पत्ती: July 2012
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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. मंगलवार, 10 जुलाई 2012. बाज़ार. Monday, July 2, 2012. बादल हैं या. हवा के जाल फँसी. ह्वेल मछलियाँ हैं ,. घसीटता मछुआरा. ले जाता खैंच. पश्चिमी बाज़ार. क्या इनको भी. डालेगा बेंच? प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. ऐसे भागा. जैसे गलत पते पर बरस गया हो ,. अपने उस भाई से. जो सूरज ढके हुए था. हटने को बोल गया. ताकि बरसा हुआ पानी. जल्दी सूख जाए. और इस तरह उसने. बीज क...
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तीन पत्ती: May 2012
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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. शनिवार, 26 मई 2012. अक्लमंदी. झोपड़ी में. दस लोग खड़े थे. पाँच ने सोंचा पाँच ही होते. तो बैठ सकते थे. दो ने सोंचा दो ही होते. तो लेट सकते थे. एक ने सोंचा केवल मैं ही होता. तो बाकी जगह. किराए पर उठा देता! प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. 3 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. अपने घर को घुमा कर मैंने. उसका रुख समंदर की ओर कर दिया है. वह पोखर जो कभी घर के सामने था. हुमक कर आ जाता है. अरुण चवाई. क्य&#...
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पत्रकारिता / जनसंचार: February 2015
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पत्रकारिता / जनसंचार. शनिवार, 28 फ़रवरी 2015. Alumni Short Course2006 Just another WordPress.com. March 25, 2006 Welcome to WordPress.com. This is your first post. Edit or delete it and start blogging! प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. बजट की दिलचस्प बातें. नई दिल्ली।. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. 14 ब्राजील ...15 तुर...
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पत्रकारिता / जनसंचार: December 2014
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पत्रकारिता / जनसंचार. मंगलवार, 23 दिसंबर 2014. विधाओं की कोई एल.ओ.सी. नहीं होती : कान्तिकुमार जैन. साक्षात्कार. कांतिकुमार जैन उन संस्मरणकारों में से जिन्होंने संस्मरण को. साहित्य की केंद्रीय विधा के रुप में स्थापित किया। उनके संस्मरण खासे. चर्चित और कुचर्चित भी हुए। उनसे प्रसिद्ध समीक्षक साधना अग्रवाल की. कान्ति जी. जहाँ तक मुझे मालूम है. छत्तीसगढ़ी. उसमें आपका एक लेख-. मुक्तिबोध मंडल के कवि. नर्मदा की सुबह. कृपया इसे स्पष्ट करें।. नई कविता. पुस्तक लिख रहा था. मुक्तिबोध. की योजनì...शुज...
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चर्चामंच: अरूणा शानबाग ( कोमा में सम्बेदना ) : (चर्चा मंच 1891 )
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Wednesday, May 20, 2015. अरूणा शानबाग ( कोमा में सम्बेदना ) : (चर्चा मंच 1891 ). उलनबटोर / झुमरीतलैया . प्रतिभा सक्सेना. लालित्यम्. नींदें हैं सदियों की. मन पाए विश्राम जहाँ. Apnakhata Rajasthan Land Records. Apna khata in hindi Jameen ki Jamabandi Nakal. चुटकुले और शायरी, किस्सा और कहानी, ग़ज़ल और गीत ". सच होता है जिंदा रहने के लिये ही. उसे रहने दिया जाता है. सुशील कुमार जोशी. उलूक टाइम्स. रोज़ रात टूटता हूँ ". बस यूँ ही " .अमित. सरिता भाटिया. गुज़ारिश. चौराहे का घर. आश्वस्ति! मिसफिट Misfit. डॉ...
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पत्रकारिता / जनसंचार: July 2015
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पत्रकारिता / जनसंचार. रविवार, 19 जुलाई 2015. दुनिया की सबसे बड़ी साप्ताहिक पुस्तक बाजार (मेला) है दरियागंज. यह सदस्य विकिपरियोजना क्राइस्ट. विश्वविद्यालय का हिस्सा है।. प्रस्तुति- हुमा असद. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. बुधवार, 8 जुलाई 2015. जन सरोकारों को समझने की विधा है जन सम्पर्क. जयश्री एन. जेठवानी और नरेन्द्र नाथ सरकार।. By News Writers, July 7, 2015. 4 गति पकड़ना. अभ्यास. अपने संस...टेल...
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तीन पत्ती: December 2011
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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011. आज प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गिरीश मिश्र का जन्मदिन है। इस मौके पर उनका एक लेख पढ़ें-. आरंभ से ही पूंजीवाद की प्रवृत्ति हर चीज-मूर्त हो या अमूर्त- को माल यानी खरीद-फरोख्त की वस्तु बनाने की रही है। - गिरीश मिश्र. का आधार बनाना वास्तविकता से मीलों दूर होता है।. प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. धब्बे और खराशें. चीजें अब. अरुण चवाई. गाब...
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