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आपबीती...दिल से बेहतर कोई किताब नही...
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दिल से बेहतर कोई किताब नही...
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आपबीती... | bura-bhala.blogspot.com Reviews
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दिल से बेहतर कोई किताब नही...
आपबीती...: October 2014
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दिल से बेहतर कोई किताब नही. रविवार, 19 अक्तूबर 2014. मॉडर्न दुनिया, मॉडर्न दादियां. निखिल आनंद गिरि. यह लेख अमर उजाला के संडे मनोरंजन पेज. के लिए लिखा गया है. ). 1 टिप्पणी:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014. कैसे-कैसे महानायक! लेखक-पत्रकार अनिल यादव उत्तर-पूर्व पर लिखे गए अपने यात्रा संस्मरण. वह भी कोई देस है महराज. कौन बनेगा करोड़पति. महाकरोड़पति. निखिल आनंद गिरि. Links to this post. इसे ...
आपबीती...: May 2014
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दिल से बेहतर कोई किताब नही. सोमवार, 12 मई 2014. एक देश था, जहां मस्तराम की लहर भी थी. 8216; मस्तराम. बहुत मुमकिन है कि आप इस फिल्म में अपने साथ अपनी गर्लफ्रेंड को साथ ले जाने का ऑफर दें, तो वो शुरुआती कुछ सीन्स तक फिल्म देखने के बजाय. 8216; टेंपल रन. 8217; खेलती दिखे।. आम आदमी की तरह. 8216; मैं मस्तराम हूं. 8217; टोपी लगाए एक आदमी हाथ. 8216; आम आदमी. 8217; जैसा दिखता है. 8216; हंस. 8216;’ प्यासा. निखिल आनंद गिरि. कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. Enter your email address:.
आपबीती...: June 2014
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दिल से बेहतर कोई किताब नही. सोमवार, 23 जून 2014. धरती के सबसे बुरे आदमी के बारे में. वह दरअसल दुनिया का सबसे अकेला आदमी होता जा रहा था. कहानी अभी ख़त्म नहीं होनी थी मगर बुरे आदमियों के बारे में किसी अच्छे दिन ज़्यादा नहीं पढ़ा जाना चाहिए). निखिल आनंद गिरि. 4 टिप्पणियां:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: death is beautiful. मंगलवार, 17 जून 2014. 2347;ेसबुक पर. 2361;ो चुके ह&#...2325;ितने...2342;िल&#...2361;...
आपबीती...: October 2013
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दिल से बेहतर कोई किताब नही. मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013. इश्क गोदाम में सड़ गया. जो उजालों में छाए रहे,. उनके ख़ामोश साए रहे. इन हवाओं से बचपन भला,. कोई कितना बचाए रहे,. एक अंधी से इंसाफ की,. टकटकी-सी लगाए रहे. इश्क गोदाम में सड़ गया,. फिर भी पहरे बिठाए रहे. कैसी रिश्वत शहर से मिली,. बस्तियों को भुलाए रहे. ज़िंदगी तक धुआं हो गई,. आग दिल में छिपाए रहे. महफिलों में भी इतना किया,. हाशिए को बचाए रहे. जिनको यादों में पूजा किये. उनसे मिल कर पराए रहे. निखिल आनंद गिरि. Links to this post. नई पोस्ट. 65 साल क&#...
आपबीती...: रेखाचित्र
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दिल से बेहतर कोई किताब नही. गुरुवार, 21 मई 2015. रेखाचित्र. कोई कहीं दौड़ता नहीं. फिर भी हारता कई बार।. कई बार दौड़ते कुछ लोग. पहुंच जाते किसी और रेस में. मैदान हरे-भरे, कंक्रीट के।. आसमान से कोई दागता गोली. दौड़ पड़ते सब. जो लाशें बचतीं. जीत जातीं।. जीत ख़बर बनती. पदक बंटते लाशों को।. खोते जाते मैदानों में कुछ लोग. मिलते आपस में. नई दौड़ के लिए।. हारे हुए लोगों की रेस चलती अनवरत. अंतरिक्ष के मैदानों तक. हार जाने के लिए।. विलुप्त होते रहे. थक कर बैठे. सुस्ताते लोग. ख़बर नहीं बन सके. नई पोस्ट. दिल&#...
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ब्लॉग बुलेटिन: September 2014
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मुखपृष्ठ. ब्लॉग बुलेटिन. ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श .सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन . ब्लॉग बुलेटिन . विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,. झंडा ऊंचा रहे हमारा. हमारे पाठक. हमारे रिपोर्टर. चला बिहारी ब्लॉगर बनने - सलिल वर्मा. देव कुमार झा. रश्मि प्रभा. राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर. शिवम् मिश्रा. हर्षवर्धन श्रीवास्तव. ताकि हम आपकी खबर रख सकें . ब्लॉग सेतु. मंगलवार, 16 सितंबर 2014. कमाल की अभिव्यक्ति. वे देखते भी नहीं. दिशाएं. शेष फिर. Words that can be heard.
मन का कैनवस: March 2012
http://mankacanvas.blogspot.com/2012_03_01_archive.html
मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". गुरुवार, 29 मार्च 2012. मेरी आँखों के ख्वाब. कितने ही ख्वाबों को. यादों की जिल्द लगा. पलकों की कोरों पर. करीने से सहेजा है . जैसे अलमारी में. किताबें सजाता है कोई . कितने ही ख्वाबों को. ताकीद की गिरह से बाँध. मन के खूंटे से. बाँध दिया है कस के . जैसे पगहे में. गाय बांधता है कोई . कुछ सुर्ख-सियाह ख्वाब. Maturity date डालना. ऊसर न हो. Posted by T...
मन का कैनवस: December 2013
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मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". मंगलवार, 3 दिसंबर 2013. चुप्पियाँ. वो उदासियों के. तमाम रास्ते तय कर. खुशियों की दहलीज़ पर. चुप्पियाँ लिए बैठा था. इस बात से अनभिज्ञ. कि खिलखिलाहटों की कुंजियाँ. उसके शब्द थे . Posted by Tulika Sharma. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. आज फिर मेर&...एक मì...
मन का कैनवस: April 2013
http://mankacanvas.blogspot.com/2013_04_01_archive.html
मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". मंगलवार, 9 अप्रैल 2013. स्मृतियों में मानचित्र. उदासी के चौरस्ते पर. आस वाली सड़क की ओर. झिलमिलाता है तुम्हारा रंग. कि इस राह की बजरी ने भी. ओढ़ लिया है तुम्हारा इंतज़ार. शेष तीन रास्ते खींचते हैं. अनवरत अपनी ओर. ओढ़ा देते हैं नया आसमान. बिछा देते हैं नयी ज़मीन,. पाँव तले आ जाता है क्षितिज. इच्छाओं के आकाश पर. इस चौराहे तक. Posted by Tulika Sharma.
मन का कैनवस: July 2013
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मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". मंगलवार, 30 जुलाई 2013. रास्ते तो एक ही थे. फिर ये फ़ासले क्यूँ गढ़ लिए. कदम बढ़ा कर कभी कभी. फ़ासले पाट भी दिया करो. वरना अजनबीपन की नागफ़नी. उग जायेगी बीच में. हाथ बढ़ाना भी चाहोगे. तो चुभन होगी. बहुत मोड़ हैं न रास्ते में. नेह डोर से बंध कर रहना बस. वरना अगर मुड़ गए. जितना पहले दिया. Posted by Tulika Sharma. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. कुछ आध...
मन का कैनवस: April 2012
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मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012. वजह जीने की. कुछ वजहें जीने की. आस पास बिखेर रखी हैं. दिखती हैं, सुनाई देतीं हैं. तो लगता है ज़िंदा हूँ मैं . सजा रखी हैं कुछ शोकेस में. सजावटी सामान की तरह. जैसे बेजान, बेवजह सी. खूबसूरत चीज़ें भी तो. होतीं हैं वजह जीने की . कुछ रखी हैं बुकशेल्फ़ में. अक्षर अक्षर महकती सी . इश्क़ एक बार पहन कर. Posted by Tulika Sharma.
मन का कैनवस: June 2012
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मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". मंगलवार, 5 जून 2012. रंगों का दरिया. लड़की कस के पकड़ लेती. उँगलियों में अपना ब्रश. सारे गहरे रंग समेट . ब्रश की नोक पर लगा लेती. हवा में हाथ उठाती. रंग छिड़कती .कोशिश करती. कुछ खींचने की .कुछ आंकने की . आड़ी तिरछी लकीरों में घुले रंग. कोई आकार लें.उससे पहले. लड़का अपने हाथ हवा में उठाता. सारे रंग समेट लेता. जबकि लड़के के हाथ. Posted by Tulika Sharma.
मन का कैनवस: May 2012
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मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". बुधवार, 23 मई 2012. यादों की फ्रिन्जेज़. बड़ी मुश्किल से शांत करती हूँ. सतह के पानी को . ऊपर से देख कर अंदाजा नहीं लगा सकते. कितने उलझे हुए हरे-नीले शैवाल है . कितने भंवर .कितने तूफान हैं भीतर. मेरी इस झील के किनारे. बहुत सी दरारें हैं. कीच सी जमी हैं यहाँ यादें. एक हंस रहता है वहीं. सुर्ख चोंच वाला. वही से बनती हैं . Posted by Tulika Sharma.
मन का कैनवस: July 2012
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मन का कैनवस. एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में . झरते हैं कुछ रंग .घुलती हैं कुछ भावनाएं .सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न .यही है .मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग ". बुधवार, 25 जुलाई 2012. हथेली पर नागफनी. हथेलियों पर. जाने कब कैसे. गिर जाते हैं कुछ. सपनों के बीज. उगते हैं. बढ़ते हैं. जाने कहाँ से पा जाते हैं. खाद पानी. प्रतिकूल परिस्थितियों में भी. शायद इसी की. तलाश में. बहुत गहरे हथेलियों में. बैठ जाती हैं जड़ें इनकी. वक़्त के झंझावात से. कुम्हलाये. ये सपनों के पौधे. सपनें,. बनने को शायद. कुछ आधì...
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COMUNICACIÓN ESCRITA... | EXPRESION ORAL
Ensayo Ley 30 de 1992 – UNIVERSIDADES PARA POBRES – POBRES UNIVERSIDADES! Las Instituciones de Educación Superior son las encargadas de brindar programas formativos orientados a la educación crítica, científica, competitiva y de excelencia, para hacer de esa proyección una realidad concreta, aportando a la sociedad personas con una preparación integral que fomenten la generación de empleo, el crecimiento industrial y empresarial, la realización cultural y educacional de la comunidad. Las universidades es...
横浜市で油そばの専門店をお探しなら | ぶらぶら
伝統と革新の味 新 東京名物 油そば専門店 ぶらぶら. 塩味、カレー味、新登場 スパイシーなカレー味とさっぱりだけどコクのある塩味が新登場 是非ともお試しくださいませ 赤坂店のみになります。 横浜伊勢佐木町店新規オープン決定 オープン3月中旬予定 店舗情報は コチラ. 辛味油そば登場 旨くて辛い新メニュー登場です 寒い季節にぴったりの刺激的な自慢の一品 辛味と旨味の爽快なハーモニーがクセになる 是非ともお試しくださいませ.
Boracay | Bura-akay | Paradise island | Boracay island |
Welcome to Boracay Island Paradise. View of the famous white sands of Boracay island. Click on the picture to know more about Bura-akay Nature Resort.
A Búra alatt | Minden, ami a népszerű sorozattal kapcsolatos
A Búra alatt May 22, 2015. Második évad, első rész – S02E01 2015-01-11 admin. Kezdődjön a játék – S01E10 2014-03-06 admin. A negyedik kéz – S01E09 2013-11-10 admin. Sűrűbb a víznél – Előzetes 2013-10-28 admin. Tökéletlen körök – S01E07 2013-10-28 admin. Sűrűbb a víznél – S01E08 2013-10-27 admin. Pilot – S01E01 2013-10-13 admin. Második évad, második rész – S02E02. Nézd meg az évad második részét, online! Egy lépésre vagyunk a pokoltól – exkluzív interjú Dean Norrisszal, A Búra alatt sztárjával. Julia Bar...
आपबीती...
दिल से बेहतर कोई किताब नही. शनिवार, 27 जनवरी 2018. जब चित्तौड़ जल रहा था, एक ब्राह्मण बंसी बजा रहा था. जी हां। और बंसी पर बज रहा था. 8216; राग यमन. 8217; । और वो ब्राह्मण था चित्तौड़ का पुरोहित राघव चेतन। राजपूतों. 8216; की. के लिए और द्वारा. 8217; प्रचारित. 8216; ब्राह्मण सेना. इससे पहले कि फिल्म के कुछ मुद्दों पर कुछ कहूं. 8216; भंसाली सेना. 8217; के राजपूत और दूसरे. 8216; करणी सेना. फिल्म के बारे में. बान और शान. 8217; को देखने के लिए 2. D ऑप्शन भी उपलब्ध थे। मगर मै...8216; राजपूत. 8217; शब्द हर...
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