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कविता-समय: September 2010
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. मंगलवार, 7 सितंबर 2010. मैं एक शिक्षक (कविता ). मैं एक शिक्षक. एक मध्यम वर्ग का संकुचित,. कुंठित आदमी।. बाहर की दुनिया में हुई तब्दीली से. चंद सपने- अपने, बच्चों के, परिवार के. बहुत अधिक अपेक्षाएं दुनिया की, समाज की. सपनों और अपेक्षाओं की प्रत्यंचा से. धनुष की तरह तना मैं. एक शिक्षक. न तो ढंग से किसी बाप का फर्ज निभाया. न बेटे , भाई या पति का. उपहारों में पाए ज्ञान का बोझ. पीठ पर लादे. लद्दू घोड़े की तरह. सिखाते हुए. नई पोस्ट.
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भारतीय-दर्शन: January 2010
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भारतीय-दर्शन. बुद्धि-विरोधी बाबाओं से सावधान रहना और काम करना सभी जागरूक मनुष्य का कर्त्तव्य है। ). मंगलवार, 19 जनवरी 2010. झूठ क्या होता है? बड़ा ही पुराना प्रसंग है - सच और झूठ का ।. क्या होता है सच? हमें पता है? सच क्या था? और हम प्रलाप नहीं करना चाहते, हम अपने भावों को संप्रेषित करना चाहते हैं।. लेकिन झूठ? झूठ का कोई चेहरा पहचानते हैं आप? यह झूठ क्या होता है? आप जिसे सच नहीं मानते , वह झूठ होता है, है न! मतलब है ।. होता है।. 0 टिप्पणियाँ. शुक्रवार, 8 जनवरी 2010. और जब नहीं समझेæ...विकलî...
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कविता-समय: June 2010
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. बुधवार, 30 जून 2010. पुलिसवालों की ड्यूटी. अब आप कहेंगे कि वे तो जाँच करते हैं हमें उनका सहयोग करना चाहिए क्यंकि मुद्दा नागरिक सुरक्षा का है।. देखिये, वे कुछ इस तरह नागरिक को परेशान करते है,. आपको हाथ देकर रुकवा लेंगे।. फिर आपका ड्राइविंग लाइसेंस मांगकर रख लेंगे।. कोई कम निकला तो चालान करेंगे।. आप शरीफ दीखते है तो गहराई से काटेंगे।. नहीं।. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! नई पोस्ट. आना आपका.
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विभाव ( VIBHAAV ): March 2009
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Friday, March 13, 2009. राधे-कृष्ण. धीरे-धीरे घर में छा गया सन्नाटा. कल जन्माष्टमी है. राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण! Posted by भास्कर रौशन. फेरे सात. Posted by भास्कर रौशन. Subscribe to: Posts (Atom). समय होत बलवान. मेरी रचना, लिपि आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. दिग्भ्रमण. चश्म-ए-बद्दूर. असुविधा. साहित्यालोचन. बालवृंद. धमाचौकड़ी. काव्य क्रम. उन्हें गुस्सा बहुत आता है. मैं और एक कविता. राम की बगिया. क्रम या क्रमभंग. रात की अकल्पित पर. देखी अनदेखी. आज का समय. एक मेरा साथ. साथ हो.
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विभाव ( VIBHAAV ): April 2011
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Friday, April 8, 2011. कलम में भरी है स्याही. कलम में भरी है स्याही. पर निब में नहीं आती. झटकना पड़ता था कई बार पहले. अब तो उसका भी असर नहीं. लगता है कुछ ज्यादा ही खफ़ा है मुझसे. उसके इस रवैये से दुखी बहुत हूँ. पर गुस्सा नहीं करता मैं. कुछ देर के लिए रख देता हूँ. कुछ देर बाद उठा के पता लगाता हूँ. करता हूँ प्रयास. कि हो जाये ठीक. हो भी जाती है पर ये बताकर. कि गलती मेरी थी. फिर आगे बढ़ने लगता है. हमारा प्रेम अनवरत! Posted by भास्कर रौशन. Subscribe to: Posts (Atom). समय होत बलवान. ગુજરાતી. आज का समय. रचना...
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कविता-समय: April 2015
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. शनिवार, 25 अप्रैल 2015. आदित्य शुक्ला की कविताएँ. रवीन्द्र के दास. आदित्य शुक्ल, गुडगाँव. एक्स्चेंगिंग टेक्नोलोजी में डाटा एनालिस्ट के रूप में कार्यरत. ब्लॉग और फेसबुक पर सक्रिय रूप से लेखन. हिंदी और विश्व साहित्य में रूचि. ऊबकर कहता हूं मैं. पियोगे क्या चाय. सहमति में अपना जरा सा सिर हिला देते हो तुम. चाय बनाना. किचन में आग न लगा देना. कहते हो तुम चिढ़कर. मन ही मन गालियां देते हो. कहते हो. ईश्वर का. कहते हो. एक लकीर रह गई. आलमारी...
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कविता-समय: May 2010
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. शुक्रवार, 28 मई 2010. जात हटाना है तो संविधान से हटाओ, है हैसियत? नहीं।. संविधान जाति के आधार विशेषाधिकार देने को तैयार है तो जनगणना में जाति का स्पष्टीकरण आ ही जाएगा तो क्या फर्क पर जाएगा? हाँ , कुछ लोगो को जाति बताने में दिक्कत आ सकती है। जैसे कांग्रेस के एक महासचिव को।. जब तक बाप का नाम पूछा जाता रहेगा, जाति बनी रहेगी।. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! रविवार, 16 मई 2010. हमारा भ&...या ...
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कविता-समय: October 2010
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. बुधवार, 20 अक्तूबर 2010. करवा चौथ : परंपरा के नाम पर फैशनपरस्ती. मेरे अनुभव में यह एक फ़िल्मी-प्रभाव लिए फैशन प्रधान व्रत है जिसपर धर्म का मुलम्मा भर है।. वैसे यह स्वर भी , विद्रोही तेवर के साथ, सुनाई पड़ता रहता है कि औरत ही मर्द के लिए व्रत-उपवास क्यों रखे? और बाज़ार ऐसे मौकों पर अपना हाथ सेंकता है।. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. हिन...
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कविता-समय: July 2011
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. गुरुवार, 14 जुलाई 2011. प्रतिस्पर्धा का चक्रव्यूह. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे बारे में. रवीन्द्र दास. दार्शनिक, कवि एवं मनुष्यता का प्रेमी. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. कभी इन्हें भी देखें. भारतीय दर्शन. साहित्यालोचन. बालवृंद. चश्म-ए-बद्दूर.