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हम और हमारी लेखनीस्त्री ने जब भी कुछ कहना चाहा, उसे रोक दिया गया या मौन स्वयं आकर उसके अधरों पर बैठ गया | लेकिन लेखनी मूक ना रह पायी वो बोली तो ऐसे बोली...
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हम और हमारी लेखनी | gita-pandit.blogspot.com Reviews
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स्त्री ने जब भी कुछ कहना चाहा, उसे रोक दिया गया या मौन स्वयं आकर उसके अधरों पर बैठ गया | लेकिन लेखनी मूक ना रह पायी वो बोली तो ऐसे बोली...
हम और हमारी लेखनी: December 2013
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हम और हमारी लेखनी. स्त्री ने जब भी कुछ कहना चाहा, उसे रोक दिया गया या मौन स्वयं आकर उसके अधरों पर बैठ गया लेकिन लेखनी मूक ना रह पायी वो बोली तो ऐसे बोली. मेरी पसंद. Saturday, December 14, 2013. छ: कवितायें . हरे प्रकाश उपाध्याय. अँजुरी भर शब्द. मेरे पास कुछ नहीं है. अँजुरी भर शब्दों के अलावा कुछ भी नहीं. धन न अस्त्र-शस्त्र पर लड़ूँगा. यकीन रखना जीतूँगा भी. वे जब करेंगे वार. अपने अस्त्र-शस्त्र से / धन से. उनकी बौखलाहट बढ़ेगी. और मेरे शब्द लौट आयेंगे. बटोरता रहूँगा शब्द. एक लड़की. लेती है! वैसे...उतरी...
हम और हमारी लेखनी: March 2016
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हम और हमारी लेखनी. स्त्री ने जब भी कुछ कहना चाहा, उसे रोक दिया गया या मौन स्वयं आकर उसके अधरों पर बैठ गया लेकिन लेखनी मूक ना रह पायी वो बोली तो ऐसे बोली. मेरी पसंद. Monday, March 7, 2016. लेखन स्त्री के लिए स्व की लड़ाई खुद से खुद तक गीता पंडित. 8216;औरत हो, तुम्हारा काम ही घर-गृहस्थ संभालना है ’. 8216;तुम समय की नोक पर /मन मेरे लिखना कहानी. लेखनी लिखना नयन में / है भरा जो आज पानी’. अपने वजूद की माटी से. धोती थी रोज इसे दुल्हन. सोचती सी यह चुपचाप. तार इस ओढ़नी से. लेखन ने न केवल उनकì...संस्...
हम और हमारी लेखनी: October 2015
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हम और हमारी लेखनी. स्त्री ने जब भी कुछ कहना चाहा, उसे रोक दिया गया या मौन स्वयं आकर उसके अधरों पर बैठ गया लेकिन लेखनी मूक ना रह पायी वो बोली तो ऐसे बोली. मेरी पसंद. Friday, October 9, 2015. कहानी अम्मी . अवधेश प्रीत. अभी तक कोई आया क्यों नही? उसकी समझ में यह भी नहीं आ रहा था कि इस बाबत उसे क्या करना चाहिए? उस आदमी के चेहरे से लग रहा था कि लड़की का सवाल नागवार गुजरा है।. बोगी के गेट पर कुछ हलचल सी हुई। लड़की के कान उस हलचल पर जा टि...आजम को अम्मी का टोकना नागव&...वह युवक जो बुरी...8216;इस बदमगज से...
हम और हमारी लेखनी: September 2013
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हम और हमारी लेखनी. स्त्री ने जब भी कुछ कहना चाहा, उसे रोक दिया गया या मौन स्वयं आकर उसके अधरों पर बैठ गया लेकिन लेखनी मूक ना रह पायी वो बोली तो ऐसे बोली. मेरी पसंद. Monday, September 16, 2013. हिंदी दिवस: सौ बरस, 10 श्रेष्ठ कविताएं.मंगलेश डबराल. मंगलेश डबराल. साहित्यकार. शनिवार, 14 सितंबर, 2013 को 07:29 IST तक के समाचार. 1 अंधेरे में – गजानन माधव मुक्तिबोध. 2 मेरा नया बचपन – सुभद्रा कुमारी चौहान. 3 सरोज स्मृति – निराला. मंगलेश डबराल की पसंद. अनामिका – निराला. दोहा-छंद में ल&...सूर्यका&#...नागा...
हम और हमारी लेखनी: April 2014
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हम और हमारी लेखनी. स्त्री ने जब भी कुछ कहना चाहा, उसे रोक दिया गया या मौन स्वयं आकर उसके अधरों पर बैठ गया लेकिन लेखनी मूक ना रह पायी वो बोली तो ऐसे बोली. मेरी पसंद. Wednesday, April 30, 2014. कुछ कवितायें . विमल कुमार. मैंने हिटलर को तो नहीं देखा है. मैंने हिटलर को तो नहीं देखा है. पर उस आदमी को ज़रूर देखा है. जो मेरे शहर में इन दिनों आया हुआ है. एक अजीब वेश में. मैंने दूर से ही. उसकी चाल को देखा है,. उसकी ढाल को देखा है. उसकी आवाज़ मैंने. सुनी है. रेडियो पर. उसके बाद ही. जिसका हैट. कभी कभी. जो सव&...
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मुख़्तसर : बीते लम्हों की खनक
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. शुक्रवार, 28 अगस्त 2015. बीते लम्हों की खनक. प्रस्तुतकर्ता. अभिषेक शुक्ल. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. बीते लम्हों की खनक. पतझड़ में बनकर हरियाली, फूलो. एक फरेबी इंतजार की जद में . सुनो, तुम कहतीं थी न कि मै तुम्हारे लिए कव...कलम की तिरछी झाड़ू से. पौं फटी जब दूर उस क&#...मैजिक बुक. कवितì...
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मुख़्तसर : कलम की तिरछी झाड़ू से
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. शनिवार, 9 मार्च 2013. कलम की तिरछी झाड़ू से. पौं फटी जब. दूर उस क्षितिज. संतरी होता सा आसमान. रश्मियों की. गूँजती किलकारियाँ. पक्षियों का. एक सूखी सी नदी. रेत से सने उसके. एक जोड़ी पाँव. शुष्क किनारों तले. पसर आयीं गहरी मटमैली झुर्रियाँ. उलीच रही. कल रात उगाया खारा जल. समन्दर की. निष्ठुर हथेलियों में. लो, मैने भी. बुहार दिये. कविताओं के कुछ कण. तुम्हारे मन की. चंचल तश्तरी पर! नई पोस्ट. सुन...
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मुख़्तसर : वह गोताखोर बनना चाहती थी
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. शुक्रवार, 31 जुलाई 2015. वह गोताखोर बनना चाहती थी. मुझे बताया था किसी ने. कि बचपन से ही वह गोताखोर बनना चाहती थी. बिल्कुल जलपरी सी दीखती थी वह. गहरे उतर जाने का हुनर तो उसे बखूबी आता था. समन्दर में उतरने से पहले. वह सोख लेती थी अपने हिस्से का समूचा आसमान. और निकल पड़ती थी एक अंतहीन यात्रा पर. वह जमा किया करती सुनहरी मछलियाँ,. और कुछ चमकते हुए सफ़ेद मोती. आज उदास है समन्दर. नई पोस्ट. आयु क...
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मुख़्तसर : May 2013
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. शुक्रवार, 31 मई 2013. तुम्हारी दिलचस्पी. शब्दों में है. बेतरतीब उछाले गये शब्दों में. तुम खोजते रहे हो. अनिश्चित क्रम में लगे. ताश के पत्ते. तुम्हे आकर्षित करते रहे हैं. तुम मान बैठते हो. उन्हें अपनी नियति. फेंटे जाने की औपचारिकता के बाद,. छिटक कर बिखर गयीं. कुछ तस्वीरों के कोलाज. तुम्हारी कुल जमा. जिन्दगी होती है,. और तुम भूल जाते हो. जमावट के बीचोंबीच. पर्याप्त है. नई पोस्ट. वक्त की...
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मुख़्तसर : ईश्वर आज खतरे में है...
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. मंगलवार, 26 नवंबर 2013. ईश्वर आज खतरे में है. तुम लिखती रही हो जीवन ही,. तुम उधेड़ रही हो परतें,. उस रहस्य की ,. तुम समझ रही हो ,. उसकी कुटिल कलाओं को,. तुम स्वीकारने लगी हो ,. उसके आयोजन में,. हर एक दाँव को ,. तुम मुस्कुरा देती हो ,. उसके बन्धन ढ़ीले पड़ जाते हैं ,. देखोगे तुम,. वो हार जायेगा एकदिन ,. ईश्वर आज खतरे में है,. बालमन की क्रीड़ाओं देखकर. अभिषेक शुक्ल. नई पोस्ट. वक्त की ब...सुन...
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मुख़्तसर : August 2015
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. शुक्रवार, 28 अगस्त 2015. बीते लम्हों की खनक. प्रस्तुतकर्ता. अभिषेक शुक्ल. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. गुरुवार, 27 अगस्त 2015. विदाई से पहले). मुझे याद है. तुम्हारी मौजू़दगी. खारिज़ करती रही है. जोड़ के सभी सिद्धान्तों को. तुम्हारा,हमारा,सबका होना. जबकि हम एक थे. तुम्हारे साथ. नई पोस्ट. बीते ...तीन...
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मुख़्तसर : एक कविता तुम्हारी गुलाबी देह के पन्नों पर
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. सोमवार, 11 मार्च 2013. एक कविता तुम्हारी गुलाबी देह के पन्नों पर. सुनो,. तुम कहतीं थी न. कि मै तुम्हारे लिए कवितायें नहीं लिखता. क्या तुम्हे याद नहीं. तुम्हारे सोलहवें जन्मदिन की. वह धूसर शाम. जब क्षितिज की आड़ में. तुम्हारी अधखुली पलकों पर उगे साँवले सूरज को. चूम लिया था मैंने. काँपते, तप्त होठों से. तब लिखा था मैंने अपना पहला छंद. और उस दिन जब मेरे बहुत कहने पर. नई पोस्ट. आयु के प&...वक्...
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मुख़्तसर : July 2015
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. शुक्रवार, 31 जुलाई 2015. वह गोताखोर बनना चाहती थी. मुझे बताया था किसी ने. कि बचपन से ही वह गोताखोर बनना चाहती थी. बिल्कुल जलपरी सी दीखती थी वह. गहरे उतर जाने का हुनर तो उसे बखूबी आता था. समन्दर में उतरने से पहले. वह सोख लेती थी अपने हिस्से का समूचा आसमान. और निकल पड़ती थी एक अंतहीन यात्रा पर. वह जमा किया करती सुनहरी मछलियाँ,. और कुछ चमकते हुए सफ़ेद मोती. आज उदास है समन्दर. नई पोस्ट. आयु क...
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मुख़्तसर : विदाई
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. गुरुवार, 27 अगस्त 2015. ठीक ही कहा था उस कवि ने कि " विदा .शब्दकोश का सबसे रुँआसा शब्द है.". विदाई से पहले). मुझे याद है. तुम्हारी मौजू़दगी. खारिज़ करती रही है. जोड़ के सभी सिद्धान्तों को. जो व्यक्त करते थे संख्याओं में. तुम्हारा,हमारा,सबका होना. जबकि हम एक थे. तुम्हारे साथ. वक्त का भाप बनकर उड़ जाना. उन कैलेंन्डरों को पढ़ने की कला. आज विदाई के बाद). अभिषेक शुक्ल). नई पोस्ट. आयु के प...वक्...
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मुख़्तसर : एक फरेबी इंतजार की जद में ..
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मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. रविवार, 27 जुलाई 2014. एक फरेबी इंतजार की जद में . 2357;क्त की बेजान हथेलियों से. 2352;िसती है. 2319;क बेसबब शाम. 2324;र तुम समेट लेते हो. 2340;ुम्हारा प्रेम. 2319;क फरेबी इंतजार की जद में ,. 2340;ब तुम टांक देते हो अपनी आँखें. 2346;गडण्डी के मुहाने पर खड़े. 2319;क सूखे दरख़्त की टहनी से. 2325;ो सुनने के लिए,. 2309;पना चुम्बन. 2354;ौट आती है. प्रस्तुतकर्ता. अभिषेक शुक्ल. नई पोस्ट. आयु कí...
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makes me wonder
Banyak hal yang membuatku takjub, karena itulah aku menulis. Selasa, 12 Maret 2013. Hidden Beach Bali, Pantai Suluban dan Pantai Balangan. HARI KETIGA NIVEA GOOD SKIN DAY TRIP. Hari terakhir Nivea Good Skin Day Trip To Bali. Karena kita semua sudah pernah ke Pantai Padang-Padang, mobil pun melewati pantai ini dan melaju menuju Pantai Suluban. Pantai Suluban berdekatan dengan Blue Point Resort, jadi ada pula yang menyebutnya pantai Blue Point. Jalan masuk ke pantai ini harus melewati rumah-rumah pendu...
ODDS & ENDS
INTERVIEW: EMMA OSTERGREN FROM EMMA O CLOTHING. INTERVIEW: ONE TOUGH COOKIE. INTERVIEW: ALL STRINGS DETACHED. MAORI SAKAI AND HER WORLD OF ANIMATED ILLUSTRATIONS. THE SINGLE FIN SOUL PROJECT. ILLUSTRATED INTERVIEW WITH JIMENA MORENO. ELEPHANT9 and REINE FISKE @ 56. JAZZ FESTIVAL LJUBLJANA. JÜ and KJETIL MØSTER @ 56. JAZZ FESTIVAL LJUBLJANA. METTE RASMUSSEN and CHRIS CORSANO @ 56. JAZZ FESTIVAL LJUBLJANA. SLIP: POP ART SOVIET MINIMALISM. ILLUSTRATED INTERVIEW WITH EMMANUELLE LY FROM DAILY SKECTH.
Bahagian 1: Pandemonium
Ada pun sudah menjadi takdir lapan wira bahawa mereka digalas tanggungan untuk menjadi penghalang kepada kuasa yang bakal menamatkan dunia mereka. Mampukah mereka? Gue penggemar ribena. Hiphip horei. View my complete profile. KEMBALI KE DUNIA VOVIN. Tutur Harapan (Kau Mesti Pergi). Dalila Kirana Di Sebuah Kota. Pandemonium - Warna Yang Dingin (Epilog). Tuesday, November 15, 2005. Dia membuka mata. Sophia di sebelahnya tersenyum. Nah," Sophia menghulurkan roti. Ayah buat mesyuarat, mari kita tengok! Serga...
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Best Of Valencia’s food traditions. 26 Oct, 2015. What To Eat And Where Valencia has a varied, natural and very traditional gastronomy. Its excellent products are the result of sun, sea and fertile lands and they have become the base of a healthy, tasty and high quality gastronomy. The principal ingredients of its dishes are fruits, vegetables, fresh fish and shellfish, Read More. Larr; Older Posts. Best Of Valencia’s food traditions. Belfast Airport architecture still Modern in Malaga.
हम और हमारी लेखनी
हम और हमारी लेखनी. स्त्री ने जब भी कुछ कहना चाहा, उसे रोक दिया गया या मौन स्वयं आकर उसके अधरों पर बैठ गया लेकिन लेखनी मूक ना रह पायी वो बोली तो ऐसे बोली. मेरी पसंद. Sunday, July 24, 2016. मदारी मूवी पर एक प्रतिक्रिया .गीता पंडित. आम आदमी की बात करती है आम समस्याओं से उलझती ही नहीं सुलझाती भी है और सुलझाने के तरीके भी इजाद करती चलती है. गीता पंडित. गीता पंडित. Monday, March 7, 2016. 8216;तुम समय की नोक पर /मन मेरे लिखना कहानी. अपने वजूद की माटी से. सोचती सी यह चुपचाप. फेसबुक, ट्वीट...घर के आँग...जिस...
My Experience in Sahaja Yoga
International Sahaja Yoga site. What is Sahaja Yoga? Kundalini and Self Realization. Who is Shri Mataji? How I Came to Sahaja Yoga. Gita Pattison, Waterloo Canada. A little greedy moment. A restlessness and great dissatisfaction entered me and prompted me to go deep into drugs and alcohol. I saw my stay in Denmark as a last chance I gave the world and my life.
Warnai Dunia Sesuka Hatimu !! LaLaLaaaa . . .
Warnai Dunia Sesuka Hatimu! LaLaLaaaa . . . Mendadak bikin blog karena tugas alpro . tapi iia sich . masa anak ilmu komputer nggak punya blog? Haha :-D walaupun kampring begini, tapi mudah-mudahan bermanfaaat . amieen . . . makasih iia udah mau baca blog saya ini . . . makasih makasih . :-). Selasa, 15 Maret 2011. Buat bikin table sekalian ngasih constrainnya . . . Contoh database e-learning . . . Password varchar2(10), constraint pk id dosen primary key(id dosen), constraint uk nip unique(nip) ;. Constr...
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