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महफ़िल: 08/01/2008 - 09/01/2008
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एक कोशिश मिल बैठने की. Tuesday, August 5, 2008. आखिर नायक कौन है? आखिर क्या चीज़ें हैं जो हमें उनसे अलग करती हैं।क्या हम उनकी तलाश में किसी नतीजे तक पहुँच पाये हैं? यही ध्यान देने की बात है।. और फ़िर मैं अकेला भी तो हूँ और अकेला चना भाड़ कहाँ फोड़ता है। बहुत ख़ूब! हाय पैसा! हद तो यह है की शिक्षा के क्षेत्र में भी इन्ही हाथों का फैलाव स्पष्ट दिखता है! बैंकिंग के लिए भी गुंजाईश है! बस सबकी अलग अलग कीमत है! वाह क्या बात है! अंत में इतना ज़रूर बोलूँगा क&...Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). दिन...
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महफ़िल: कुशल तूलिका वाले कवि की नारी एक कला है।
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एक कोशिश मिल बैठने की. Monday, August 27, 2007. कुशल तूलिका वाले कवि की नारी एक कला है।. कुशल तूलिका वाले कवि की नारी एक कला है।. फूलों से भी अधिक सुकोमल. नरम अधिक नवनी से,. प्रतिपल पिछल-पिछल उठने वाली. अति इन्दु मनी से,. नवल शक्ति भरने वाली वह कभी नहीं अबला है।. तनया-प्रिया-जननि के. अवगुण्ठन में रहने वाली,. सत्यं शिवम् सुन्दरम् सी. जीवन में बहने वाली,. विरह मिलन की धूप-छाँह में पलती शकुन्तला है।. है आधार-शिला सुन्दरता की. मधु प्रकृति-परी सी,. मनु की उस तरुण-तरी सी,. जग आधार अकेली,. Create your like badge.
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महफ़िल: नायक
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एक कोशिश मिल बैठने की. Tuesday, August 5, 2008. आखिर नायक कौन है? आखिर क्या चीज़ें हैं जो हमें उनसे अलग करती हैं।क्या हम उनकी तलाश में किसी नतीजे तक पहुँच पाये हैं? यही ध्यान देने की बात है।. और फ़िर मैं अकेला भी तो हूँ और अकेला चना भाड़ कहाँ फोड़ता है। बहुत ख़ूब! हाय पैसा! हद तो यह है की शिक्षा के क्षेत्र में भी इन्ही हाथों का फैलाव स्पष्ट दिखता है! बैंकिंग के लिए भी गुंजाईश है! बस सबकी अलग अलग कीमत है! वाह क्या बात है! अंत में इतना ज़रूर बोलूँगा क&...जब पिंजरा टूटता है त&...July 13, 2009 at 2:20 AM. यहì...
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महफ़िल: कबीर
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एक कोशिश मिल बैठने की. Thursday, April 22, 2010. मतभेद भरा जीवन. कबीर के ही शब्दों में- 'हम कासी में प्रकट भये हैं, रामानन्द चेताये'।. धर्म के प्रति. वाणी संग्रह. वे कभी कहते हैं-. हरिमोर पिउ, मैं राम की बहुरिया' तो कभी कहते हैं, 'हरि जननी मैं बालक तोरा'।. और कभी "बडा हुआ तो क्या हुआ जैसै". बन ते भागा बिहरे पड़ा, करहा अपनी बान। करहा बेदन कासों कहे, को करहा को जान।।'. कबीर के राम. वह कहते भी हैं. 8221; नहीं है।. माया महा ठगनी हम जानी।।. तिरगुन फांस लिए कर डोले. यह सब अकथ कहानी।।. प्रस्तु...देने...
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महफ़िल: 01/01/2011 - 02/01/2011
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एक कोशिश मिल बैठने की. Friday, January 28, 2011. केदारनाथ पाण्डेय. मंच के सफल गायक कवि,मृदुभाषी और लगनशील श्री केदारनाथ पाण्डेय. को बहुत बहुत धन्यवाद. मोती बरसा जाता. रिमझिम रिमझिम गगन मगन हो मोती बरसा जाता ।. शतदल के दल दल पर ढलकर. नयन नयन के तल में पलकर. बरस- बरस कर तरसे तन को हरित भरित कर जाता ।. हिलती डुलती लचक डालियाँ. बजा रही हैं मधुर तालियाँ. हृदय- हृदय में तरल प्यास है. प्रिय के आगम का हुलास है. नभ का नव अनुराग राग इस भूतल तल पर आता ।. चहल-पहल है महल-महल में. फली आस पल-पल मरती की. रश्मì...
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महफ़िल: रामधारी सिंह "दिनकर"
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एक कोशिश मिल बैठने की. Wednesday, January 26, 2011. रामधारी सिंह "दिनकर". जीवन परिचय. प्रमुख कृतियाँ. रे रोक युधिष्ठर को न यहां, जाने दे उनको स्वर्ग धीर पर फिरा हमें गांडीव गदा, लौटा दे अर्जुन भीम वीर (हिमालय से). क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसको क्या जो दंतहीन विषहीन विनीत सरल हो (कुरूक्षेत्र से). मरणोपरांत सम्मान. दो न्याय अगर तो आधा दो, और, उसमें भी यदि बाधा हो,. हम वहीं खुशी से खायेंगे,. परिजन पर असि न उठायेंगे! लेकिन दुर्योधन. हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।. January 27, 2011 at 9:32 AM.
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महफ़िल: प्रति चरण पर मैं प्रगति का गीत गाता जा रहा हूँ।
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एक कोशिश मिल बैठने की. Tuesday, February 19, 2008. प्रति चरण पर मैं प्रगति का गीत गाता जा रहा हूँ।. प्रति चरण पर मैं प्रगति का गीत गाता जा रहा हूँ।. जा रहा हूँ मैं अकेला. शून्य पथ वीरान सारा. विघ्न की बदली मचलकर. है छिपाती लक्ष्य तारा. दूर मंज़िल है न जाने. क्यों स्वयं मुस्का रहा हूँ॥. जलधि सा गम्भीर हूँ मैं. चेतना मेरी निराली. प्रगति का संदेशवाहक. लौट आऊँगा न खाली. कंटकों के बीच सुमनों की. मधुरिमा पा रहा हूँ. तुम करो उपहास पर. तुम समय की मांग पर. आज तक की निज अगति पर. भी बल रही हैं. Have you written it?
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महफ़िल: केदारनाथ पाण्डेय
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एक कोशिश मिल बैठने की. Friday, January 28, 2011. केदारनाथ पाण्डेय. मंच के सफल गायक कवि,मृदुभाषी और लगनशील श्री केदारनाथ पाण्डेय. को बहुत बहुत धन्यवाद. मोती बरसा जाता. रिमझिम रिमझिम गगन मगन हो मोती बरसा जाता ।. शतदल के दल दल पर ढलकर. नयन नयन के तल में पलकर. बरस- बरस कर तरसे तन को हरित भरित कर जाता ।. हिलती डुलती लचक डालियाँ. बजा रही हैं मधुर तालियाँ. हृदय- हृदय में तरल प्यास है. प्रिय के आगम का हुलास है. नभ का नव अनुराग राग इस भूतल तल पर आता ।. चहल-पहल है महल-महल में. फली आस पल-पल मरती की. 2405;गीत&...
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महफ़िल: मोती बरसा जाता ।
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एक कोशिश मिल बैठने की. Tuesday, February 26, 2008. मोती बरसा जाता ।. रिमझिम रिमझिम गगन मगन हो मोती बरसा जाता ।. शतदल के दल दल पर ढलकर. नयन नयन के तल में पलकर. बरस- बरस कर तरसे तन को हरित भरित कर जाता ।. हिलती डुलती लचक डालियाँ. बजा रही हैं मधुर तालियाँ. बून्दों की फुलझड़ियों में वह,गीत प्रीत का गाता ।. हृदय- हृदय में तरल प्यास है. प्रिय के आगम का हुलास है. नभ का नव अनुराग राग इस भूतल तल पर आता ।. शुभ्रवला का बादल दल में. चहल-पहल है महल-महल में. फली आस पल-पल मरती की. विभावरी रंजन. Create your like badge.