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एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: ग़ालिब (ग़ज़ल)
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एहसासात. अनकहे लफ्ज़. व्यंग्य. कार्टून. पैरोडी. Tuesday, December 27, 2011. ग़ालिब (ग़ज़ल). शायरे आजम रहे, वो शायरे उलफत रहे।. ठोकरों में रंज को रख, शायरे इशरत रहे।. शायरी की इंजिला वह इक खजाना हैं बलंद,. अगरचे खुद जिंदगी भर सरहदे गुरबत रहे।. धडकनों में रंग भरकर माह चुप हो छुप गया,. अर्श-ए-हसरत रहे, गालिब शबे फुरकत रहे।. जौक का था वह अहद पर कब अहद के साथ वो,. आप अपनी राह के हादी रहे किसमत रहे।. वो गजल, वो नज्म, वो किस्से-कहानी मौज के,. बह्रे रमल २१२२/२१२२/२१२२/212 ). SMHABIB (Sanjay Mishra 'Habib'). इस ग&...
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एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: बढ़ कदम रुकने न पाये
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एहसासात. अनकहे लफ्ज़. व्यंग्य. कार्टून. पैरोडी. Wednesday, May 30, 2012. बढ़ कदम रुकने न पाये. राह काँटों से भरी हो. या उमड़ती सी सरी हो,. जीत की चाहत खरी हो,. काल सिर नत हो झुकाये।. बढ़ कदम रुकने न पाये।. पंख अपने. तिनके चुन बनाता. पंछी यह सिखाता. झुकाये।. बढ़ कदम रुकने न पाये।. ढूँढता. फिरता कहाँ रे. में तेरे. सितारे. खुद जग को. जगा रे. आंधियाँ दिल में छुपाये।. बढ़ कदम रुकने न पाये।. खींच अंबर को धरा पर. पाँवों के अपने बराबर,. तू ही चन्दा तू दिवाकर. बढ़ कदम रुकने न पाये।. SMHABIB (Sanjay Mishra 'Habib').
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एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: कुछ पुराने पेड़ बाकी हैं अभी तक गाँव में
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एहसासात. अनकहे लफ्ज़. व्यंग्य. कार्टून. पैरोडी. Sunday, January 22, 2012. कुछ पुराने पेड़ बाकी हैं अभी तक गाँव में. मित्रों, पिछले दिनों आदरणीय पंकज सुबीर जी की. सुबीर संवाद सेवा. में मूर्धन्य कवि/शायर स्वर्गीय श्री रमेश हठीला जी की स्मृति में तरही मुशायरे के लिए प्रदत्त मिसरे. कुछ पुराने पेड़ बाकी हैं अभी तक गांव में. चंद सपने, चंद साथी हैं अभी तक गाँव में. कुछ पुराने पेड़ बाकी हैं अभी तक गाँव में. मेड पर वो बैठना वो हाथ लेना हाथ में,. SMHABIB (Sanjay Mishra 'Habib'). रश्मि प्रभा. मेरे ब...फिर...
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एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: ग़ज़ल (जगजीत की याद में)
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एहसासात. अनकहे लफ्ज़. व्यंग्य. कार्टून. पैरोडी. Thursday, October 13, 2011. ग़ज़ल (जगजीत की याद में). दो बूँद लुडक आये पलकों से कपोलों तक. कि गर्दे याद छायी चलती चलि मीलों तक. हम आसमां को देने आये थे मस्त मौसम,. के चाँद उतर आया चल के यहाँ शोलों तक. सब ढूंढ ही रहे थे चारा-ए-गमे दिल को,. मरहम वो दे भी आया जलते से फफोलों तक. इक आग जैसे था वो जलता रहा उमर भर,. कि सुर्खी फ़ैल आयी दीदा-ए-अकीलों तक. हबीब' रूह है पुरनम भीगा है ये जहां भी,. विनम्र श्रद्धांजली. SMHABIB (Sanjay Mishra 'Habib'). संजय जी. जगजीत ...
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एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: "शहीद कब वतन से आदाब मांगता है"
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एहसासात. अनकहे लफ्ज़. व्यंग्य. कार्टून. पैरोडी. Saturday, July 3, 2010. शहीद कब वतन से आदाब मांगता है". सुधि मित्रों, मेरा सादर नमस्कार स्वीकार करें।. बनाए रखकर मेरी राहें रोशन जरुर करते रहें।. पता नहीं. ऐसा क्यों होता है की उम्मीदें दम तोड़ जाती हैं, और आशंकाएं अक्सर सच हो जाती हैं। "रोड जाम, आई एम् सेफ एट. मुझे अपनी यह भावनाएं व्यक्त करनी होगी की आपके द्वारा शहीदों को दी जा...अपने इस पोस्ट "शहीद कब वतन से आदाब मांगता है". शहीद कब वतन से आदाब मांगता है।. सामना करें अगर वो. सामने से आकर,. वो का...
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एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: जयहिंद!
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एहसासात. अनकहे लफ्ज़. व्यंग्य. कार्टून. पैरोडी. Wednesday, August 15, 2012. समस्त सम्माननीय मित्रों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाईयों सहित एक नज़्म सादर समर्पित. नहीं सकता. भी मान. अभिमान है।. यह तिरंगा ही हमारी शान है और जान है।. पर आने नहीं दी. वीर पूतों ने लुटा दी जिंदगी की दौलतें. वीर गाथाओं से इसकी कौन जो अनजान है।. यह तिरंगा ही हमारी शान है और जान है।. गगन में खोल बाहें जब तनें. दुश्मनों की. भीत से थमने लगें. तब धड़कनें. दुश्मनों. भर बढ़ रहे. तीन इसके रंग. अपनी आप उपमा गढ़ रहे. की बढ़ा. स्वत&...
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एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: क्षणिकाएं
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एहसासात. अनकहे लफ्ज़. व्यंग्य. कार्टून. पैरोडी. Wednesday, February 15, 2012. क्षणिकाएं. लाब की. पांखुरी को छूते ही. खामोशी से उतर आई. मेरी तर्जनी की नाख़ून पर. मुस्कुराती हुई. ओस की एक बूँद. मेरी नाडियों का स्पंदन. मुझे डराने लगा है. अस्तित्व. ने सोचा था,. वह एक बूँद है. गिरकर पलकों से. ज़मीन में कहीं खो जाएगा. मैं गलत था! वह एक बूँद का सागर. फैला है दिगंत तक. मेरे सम्मुख. उसे पार करना. मेरे वश का नहीं,. और डूबने का सलीका. मैं सीख न सका! र्द की टहनी से. बिछड आये पत्ते ने. चेहरे पर. यह क्या! Wednesday, Feb...
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एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया (ग़ज़ल)
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एहसासात. अनकहे लफ्ज़. व्यंग्य. कार्टून. पैरोडी. Sunday, February 19, 2012. तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया (ग़ज़ल). चाँद शरमाता हुआ सा छुप गया. ले गया दिल और जां ले, उफ़! धडकनों में गीत मीठे बज उठे,. बांसुरी ले आसमां ही झुक गया. वो घटाएं, वो समंदर क्या कहें,. जुल्फ ओ तर चश्म में दिन बुझ गया. आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,. तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया. इक सितारा हूँ फलक में टूटता,. आस्ताना ही सनम का छुट गया. कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,. भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया. SMHABIB (Sanjay Mishra 'Habib'). कब्...
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एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: दंग हुये भगवान (दोहे)
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एहसासात. अनकहे लफ्ज़. व्यंग्य. कार्टून. पैरोडी. Monday, June 4, 2012. दंग हुये भगवान (दोहे). ज दुनिया भर में महान संत कबीर जी का प्राकट्य दिवस मनाया जा रहा है. महान संत का पुन्य स्मरण कर आप सभी सम्मानीय स्नेहीजनों को कबीर जयंती. की सादर बधाई देते हुए कुछ. दो भिन्न भाव रंगों के). दोहे आप सभी सुधीजनों की सभा में सादर. तन्हा रथ हाँकता. बली हैं अश्व।. पृथक दिस खींचते. शक्तिहीन. मैं ह्रस्व॥. लक्ष ले लालसा. लाख लड़ूँ ललकार।. में धन. शीश बड़ा है भक्ति से. शीश चढ़ा अभिमान।. अज्ञान॥. हे नाथ।. फिर पा. कबीर क...