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जनपथ : 09/01/2007 - 10/01/2007
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क्या बुद्धिजीवी इतने नादान होते हैं. टाटाज़ शो दी वे. 4 टिप्पणियां:. एक उम्मीद जो तकलीफ जैसी है. हमारे समय की इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि समय को सबसे बेहतर समझने वाले समय के हाशिए पर हैं. 3 टिप्पणियां:. दिल्ली ब्रांड संघर्ष के मायने. यह लेख कुछ ही दिनों पहले दैनिक भास्कर. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). जनपथ विशेष. मध्य प्रदेश का जल सत्याग्रह. कच्छ दौरे के संस्मरण. लोकसभा चुनाव वाया बनारस. शहरों का शहर कलकत्ता. बनारस: सावन, 2016 ...राषî...
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जनपथ : अंजनी कुमार की चार कविताएं: जी.एन. साइबाबा के नाम
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अंजनी कुमार की चार कविताएं: जी.एन. साइबाबा के नाम. मैं देख रहा हूं खबर. मैं पढ़ रहा हूं खबर. मैं डाउनलोड कर रहा हूं खबर पर एक रिपोर्ट. मैं देख लेना चाहता हूं. खबरों का पूरा सिलसिला. यह जानते हुए भी कि खबरें बनाई गई हैं. शब्द में. चित्र में. कोड में ढलने से पहले. तराशी गई हैं बाजार के लिए. पाठक की आंख में घुसने से पहले. घुसपैठिये होंगे विज्ञापन. और फिर भीतर घुसता हुआ उनका तर्क. मेरे पैसे का भुगतान सिर्फ इतना भर नहीं है कि. मैंने कविता लिखी. लेख लिखे. कहानी लिखी. और इस तरह रोज ही. कुछ शब्द. मेरा...
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जनपथ : विकास की बलिवेदी पर: आखिरी किस्त
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विकास की बलिवेदी पर: आखिरी किस्त. अर्धकुक्कुटीय न्याय की चौखट. क्या फैसला सुरक्षित रखने के पीछे कोई साजिश थी? इस बारे में सिर्फ अटकल लगायी जा सकती है, लेकिन 11 मई को स्क्रोल. पर छपी एक खबर. समाप्त). पहली किस्त. दूसरी किस्त. तीसरी किस्त. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). जनपथ विशेष. मध्य प्रदेश का जल सत्याग्रह. कच्छ दौरे के संस्मरण. लोकसभा चुनाव वाया बनारस. शहरों का शहर कलकत्ता. शाह आलम जब मैंनí...कवयित...
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जनपथ : 01/01/2008 - 02/01/2008
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कविता की मौत का फ़रमान. पिछली बार भी लिखी थी. अधूरी एक कविता. छूटे सिरे को पकड़ने की कोशिश की नहीं।. आखें बंद कर-. करता हूं जब भी कृत्रिम अंधेरे का साक्षात्कार. मारती हैं किरचियां रोशनी की. इलेक्ट्रॉनों की बमबार्डिंग में. दिखती हैं वे सारी चीज़ें, रह गईं. जो अधूरी।. एक अधूरी सदी, बीत गई जो. और नहीं कर सके हम उसका सम्मान।. अब, आठ बरस की नई सदी के बाद. देखता हूं वहीं कविता. छोड़ आया था जिसे. बिस्तर के सिरहाने. दबी कलम और नोटबुक के बीच. बगैर छटपटाहट. आगे जाने चखना पड़े. और कितना खून. सब कुछ।. चीख ...
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जनपथ : सिंगरौली: इंसान और ईमान का नरक कुंड-1
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सिंगरौली: इंसान और ईमान का नरक कुंड-1. अभिषेक श्रीवास्तव. 7 जून, 2014 की रात. महान संघर्ष समिति के सदस्य: दाएं से विजय शंकर सिंह, कृपा यादव और बेचनलाल साहू. ऊर्जांचल में प्रवेश. ग्रीनपीस का बैढ़न स्थित दफ्तर और स्कॉर्पियो गाड़ी. अमिलिया गांव की औरतों ने वन क्षेत्र को घेरने वाले पिलर निर्माण का काम रोक दिया है. 1 टिप्पणी:. बेनामी ने कहा…. 5:21 pm, जुलाई 11, 2014. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. जनपथ विशेष. कच्छ दौरे के संस्मरण. यात्रानुवाद. कवयित्री श...बनारस: सा...
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जनपथ : 03/01/2009 - 04/01/2009
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कार्ल मार्क्स और ग़ालिब की ख़त-ओ-किताबत. क्या. ग़ालिब. और कार्ल मार्क्स एक-दूसरे को जानते थे। अब तक तो सुनने में नहीं आया था। लेकिन. सच यह है कि दोनों एक-दूसरे को जानते ही नहीं थे. बल्कि उनके बीच ख़त-ओ-किताबत भी हुई थी। इन बहुमूल्य चिट्ठियों को खोज निकालने का श्रेय. आबिदा रिप्ले. आबिदा रिप्ले. कुछ भी मौलिक लिखें,. जिसका संदेश स्पष्ट हो - क्रांति. प्रिय ग़ालिब,. अद्धुत लिखते हैं! हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,. कार्ल मार्क्स. कम्युनिस्ट मेनिफेस्ट&#...फ़रहाद (संदर्भ मí...वह एक प्रे...
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जनपथ : कच्छ कथा-1: थोड़ा मीठा, थोड़ा मीठू
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कच्छ कथा-1: थोड़ा मीठा, थोड़ा मीठू. गुजरात की सरकार पिछले कई दिनों से एक विज्ञापन कर रही है जिसमें परदे पर अमिताभ बच्चन कहते हैं. जिसने कच्छ नहीं देखा. उसने कुछ नहीं देखा. 2404; आप अमिताभ बच्चन और नरेंद्र मोदी की आलोचना करने को आज़ाद हैं. बल्कि कच्छ के रण में घूमने की योजना करीब तीन साल पहले देव बेनेगल की फिल्म. देखने के कारण बनी।. ऐसा ही दिखता था 'रोड मूवी' में अभय देओल का ट्रक. जहां पहला रिहायशी इलाका था विरमगांव।. दाबेली. तो हम समझ गए कि कच्छ करीब है।. करीब पैंताली...वहां जान&...तो आप उस ...
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जनपथ : नेपाल का संविधान और 40 सूत्रीय मांग
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नेपाल का संविधान और 40 सूत्रीय मांग. विष्णु शर्मा. को तत्कालीन संयुक्त जनमोर्चा (नेपाल) की ओर से डाॅ बाबुराम भट्टराई ने प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा को. सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। संयुक्त मोर्चा ने यह भी घोषणा की कि इन मांगों पर यदि सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो वे. राज्यसत्ता के विरोध में सशक्त संघर्ष के रास्ते में जाने के लिए बाध्य होंगे. नेपाल के नए संविधान (मसौदा) की. साल के लिए अनिश्चय. माओवादियों की. अंतरिम) में बना. उसके बाद. 1959, 1962, 1990. के बाद नेपाल मे&#...सूत्रीय म...प्रतì...
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जनपथ : 02/01/2008 - 03/01/2008
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यूथ जर्नलिस्ट लीग का पहला कार्यक्रम 11 फरवरी को. यूथ जर्नलिस्ट लीग का सदस्य बनने और इस सम्बन्ध में कोई भी पूछताछ करने के लिए मेल करें. 3 टिप्पणियां:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). प्रकाशित सामग्री से अपडेट रहने के लिए अपना ई-मेल यहां डालें. जनपथ विशेष. समाजवादी सरकार में गोली खाते आदिवासियों की दास्तान. मध्य प्रदेश का जल सत्याग्रह. विकास के दावों और अफ़वाहों की ज़मीन. कच्छ दौरे के संस्मरण. लोकसभा चुनाव वाया बनारस. यात्रानुवाद. बनारस: सावन, 2016 ...धारì...
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जनपथ : 01/01/2011 - 02/01/2011
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झूठ बोलने की व्यवस्थागत मजबूरी. पी. साइनाथ. ने यह व्याख्यान दिल्ली के कांस्टिट़यूशन क्लब में पिछले साल दिया था। उसके संपादित अंश प्रस्तुत हैं।. A Structural Compulsion To Lie. जिस तरह किसी जंग को जनरलों के जिम्मे पूरी तरह नहीं छोड़ा जा सकता,. आप पर पड़ता है,. फिर आपको यह पसंद आए या न आए।. लेकिन जो मीडिया के क्षेत्र में बड़े खिलाड़ी हैं। दरअसल,. पत्रकारों को नौकरी से निकाला गया।. इसके अलावा कैमरामैन,. प्रणब मुखर्जी,. यहां मंदी कभी आई ही नहीं और मीड&...शेयर बाजार से इतना कर...लेकिन अलग-अलग न...मान...