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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका : October 2012
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका. सोमवार, 29 अक्तूबर 2012. शबनम खान का रिव्यू : इंगलिश विंगलिश. इंग्लिश-विंग्लिश. से फिल्मों में वापसी की है। हालांकि वह पहली अदाकारा नहीं हैं जिसने एक लंबे वक़्त के बाद फिल्मों में. कुछ यूं हैं कहानी. इंग्लिश लर्निंग क्लासेज़. फिल्म की रूह हैं ये सीन. कहीं कम कहीं ज़्यादा. लेखिका : शबनम खान. Gmailcom पर संपर्क किया जा सकता है।. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. लेबल: रू-ब-रू. सदस्यतì...
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका : शबनम खान का रिव्यू : इंगलिश विंगलिश
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका. सोमवार, 29 अक्तूबर 2012. शबनम खान का रिव्यू : इंगलिश विंगलिश. इंग्लिश-विंग्लिश. से फिल्मों में वापसी की है। हालांकि वह पहली अदाकारा नहीं हैं जिसने एक लंबे वक़्त के बाद फिल्मों में. कुछ यूं हैं कहानी. इंग्लिश लर्निंग क्लासेज़. फिल्म की रूह हैं ये सीन. कहीं कम कहीं ज़्यादा. लेखिका : शबनम खान. Gmailcom पर संपर्क किया जा सकता है।. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. आपकी गलत...
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका : August 2016
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका. शनिवार, 6 अगस्त 2016. गीत-समीक्षा. सम्पादक मंडल). यूँ तो फ़िल्म के सारे गाने बेहद कर्णप्रिय हैं पर जब रात है तो बात नशीली रात की. तू कहाँ ये बता इस नशीली रात में ". पर अभी मामला इस गाने के जादू का संगीन हो चुका है. पर रात जितनी भी संगीन होगी. सुबह उतनी ही रंगीन होगी. दीप्ति श्रीवास्तव. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. आपकी गलत...
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका : इस अंक का आवरण - रमण सिन्हा
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका. गुरुवार, 9 अगस्त 2012. इस अंक का आवरण - रमण सिन्हा. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: ये कौन चित्रकार है. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). ये भी देखिये. दोआब : वह आईना जिसमें आप हैं. 6 माह पहले. विद्रोही की कवितायें. विद्रोही जी की किताब. 4 वर्ष पहले. सम्पादकीय. 17 सालो&#...फिल...
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका : गीत-समीक्षा
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका. शनिवार, 6 अगस्त 2016. गीत-समीक्षा. सम्पादक मंडल). यूँ तो फ़िल्म के सारे गाने बेहद कर्णप्रिय हैं पर जब रात है तो बात नशीली रात की. तू कहाँ ये बता इस नशीली रात में ". पर अभी मामला इस गाने के जादू का संगीन हो चुका है. पर रात जितनी भी संगीन होगी. सुबह उतनी ही रंगीन होगी. दीप्ति श्रीवास्तव. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: गीत समीक्षा. 6 माह पहले. आपकी गलत&#...
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका. रविवार, 5 अगस्त 2012. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). ये भी देखिये. दोआब : वह आईना जिसमें आप हैं. Dated 2016/08/19 हिंदी कहानी सद्गति का नाट्य रूपांतरण. 6 माह पहले. विद्रोही की कवितायें. विद्रोही जी की किताब. 4 वर्ष पहले. गीत समीक्षा. सम्पादकीय. 17 सालो...फिल...
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका : अक्षरौटी : एक सपने का पुनर्जागरण
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका. बुधवार, 8 अगस्त 2012. अक्षरौटी : एक सपने का पुनर्जागरण. अक्षरौटी : अभिव्यक्ति के तरीके , माध्यम और उपाय. कलम हूँ बच्चे का , तख्ती नई नई हूँ मैं"- बशीर बद्र. संपादक मंडल - नीलाम्बुज सिंह ,पंकज कुमार बोस , घनश्याम कुमार 'देवांश'. कला संपादक- चिराग जैन. चित्रांकन- राजेश कुमार. आवरण - डॉ. गोविन्द प्रसाद. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. उत्तर दें. नई पोस्ट. विद&...
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका : सिर फुटव्वल: शुभम श्री का व्यंग्य भाया सचिन
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका. गुरुवार, 21 नवंबर 2013. सिर फुटव्वल: शुभम श्री का व्यंग्य भाया सचिन. About an hour ago. चीजें जो सचिन को करनी चाहिए थीं-. क्रिकेट जैसे खेल में झोंक दिया खुद को. 183; Unfollow Post. Sachin ko Ganga dhaba jana chahiye. About an hour ago. About an hour ago. About an hour ago. About an hour ago. About an hour ago. About an hour ago. मुझको ईसा बना दिया तुमन. अब शिकायत भी की नहीं जाती. About an hour ago. Superb maza aa gaya.bhigake mara hai. About an hour ago. आपक&#...
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका : May 2015
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अक्षरौटी: साहित्य , संगीत और कला की पत्रिका. मंगलवार, 5 मई 2015. कथा दीर्घा : प्रज्ञा पांडे की कहानी 'लड़कियाँ मछलियाँ नहीं होतीं'. पुरानी डायरी में. वक़्त की. तारीख से. हारकर ऐसा लिखा था। नज़र पड़ी २५. सितम्बर १९७८. ज़िंदगी से कोई पुल कभी. नहीं मिलाता क्योंकि. पुल तो इस पार से उस पार तक जाता है। अपने लिए. पुल गढ़ती स्त्री इतना समर्थ पुल तो बना ही नहीं पाती कि ज़िन्दगी से. मुलाक़ात कर ले और. उसके लिए कोई पुल. बनाता नहीं ।. वह तो पानी के. ही सांस लेती है ।. सारी शक्ति लगाकर वह. ज़िंदगी उसके. जाल का. उसने ख&#...