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दायरा: 11/20/08
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Thursday, November 20, 2008. ठंडी आँखें. मौकापरस्त हो चुकी हैं आंखे. तलाश रहती है इन्हें. नए-नए कुछ तमाशों की,. तड़पते-छटपटाते किसी हादसे में. दम तोड़ती आवाजों की,. भटकती हैं यहां वहां. सिसकती हुई भावनाओं के पीछे. एक नई खबर के लिए. दूर तक दौड़ती हैं रास्तों पर. जबरन किसी मुद्दे के पीछे. ताकती हैं आसमान को भी. फिर नई कहानी के लिए. अनु गुप्ता. Thursday, November 20, 2008.
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दायरा: 01/24/11
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Monday, January 24, 2011. तुम जीत जाना अरुणा. गुजारिश का ईथन भी जिंदगी से हार गया था। उसे क्वाड्रप्लीजिक था. जिसका इंतजार तुम पिछले 37 साल से कोमा में होगी। इच्छा मृत्यु. हमारे देश में इसके लिए कोई कानून नहीं है ना. अनु गुप्ता. 24 जनवरी 2011. अनु गुप्ता. Monday, January 24, 2011. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). समय की दौड़. चिट्ठाजगत.
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दायरा: 11/15/11
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Tuesday, November 15, 2011. कहां हैं आज! जिन्हें कागज़ पर उकेरकर. मन हल्का होता. जो बनते आवाज़. कभी ख़्याल. तो कभी. डायरी में छिपी याद. शब्द ही. बनाते थे रिश्ता. अब बन गए हैं. वही शब्द. जाने कहां हुए गुम! क्यों हुए गुमसुम. अब ढूंढू कहां? न यहां, न वहां. मेरी ही. तरह. खामोश हुए सब. वीरान हुआ मन. हां, मेरी ही तरह. देखते हैं लेकिन. दिखता नहीं. खो गए हैं. Links to this post.
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दायरा: 07/21/09
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Tuesday, July 21, 2009. तुझ में नहीं मैं. तुझ में,. दूर कहीं. भीतर-बाहर की. गहराइयों में भी. तलाशा खुद को. अपना वजूद. तुझ में. ही कहीं. मन में,. दिल में,. और धड़कन में भी. ढूंढी अपनी आवाज. तेरी नजरों में,. ख्वाबों में,. कभी बातों में भी. सोचा मेरे जिक्र को. हंसी में,. नमी में,. तेरी खामोशी में भी. नहीं जाना अपने को. फिर भी. तलाशती रही. देर तक. दूर तक. Links to this post.
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दायरा: 03/14/10
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Sunday, March 14, 2010. मेरे शहर में कितना सन्नाटा है. गोली की आवाज नहीं. ना कोई धमाका है।. तुम्हारे शहर को देखा. तब सोचा. मेरे शहर में कितना सन्नाटा है।. जाने कैसे जीते हैं. तुम्हारे शहर के लोग,. एक के बाद एक. धमाका खुद को दोहराता है।. ये मेरी शिकायत नहीं,. ना कोई गिला मुझे. अपने दायरे में खुश हूं मैं,. तुम कैसे जीते होगे. बस यही सवाल. तब सोचा. Sunday, March 14, 2010.
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दायरा: 09/24/10
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Friday, September 24, 2010. मुझे यकीन नहीं. फिर भी. मुझे यकीन नहीं. बाहं छुड़ाकर,. तुम लौट तो गए. ठहरे नहीं,. ना पुकारा मुझे. दर्द छोड़कर,. तुम लौट ही गए. फिर भी. मुझे यकीन नहीं. क्या तुम ही थे. कभी मिले थे. सब भूलकर,. तुम लौट तो गए. मुझे यकीन नहीं. इतना ही सफर. ना मंजिल ना डगर,. बीच राह छोड़कर. तुम चले तो गए. फिर भी. मुझे यकीन नहीं. खामोश-सा. क्यों. फिर भी.
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दायरा: 06/20/10
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Sunday, June 20, 2010. फिर वही उथल-पुथल,. विचारों के सागर में. फिर वही हलचल. स्वयं पर प्रश्नचिह्न,. स्वयं ही देती उत्तर. फिर वही हलचल. हां. बहकते हैं कभी. मेरे भी विचार,. तब जूझती हूं मैं भी. अपने ही अंतरद्वंद से,. हूक उठाती है मन में. फिर वही हलचल. स्वयं में उलझी रहूं. या प्रश्नों को सुलझाऊं,. क्यों नहीं बीत जाता. बीता हुआ हर एक पल. फिर वही हलचल,. बस यही हलचल.
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दायरा: 07/02/09
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Thursday, July 2, 2009. क्या वाकई रास्ता भटक गए हैं? उन्हें. रास्ता भटकने से रोकना चाहिए. लेकिन अब कानून भी उनका साथ दे रहा है।'. अनु गुप्ता. अनु गुप्ता. Thursday, July 02, 2009. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). समय की दौड़. चिट्ठाजगत. चिट्ठा संग्रह. क्या वाकई रास्ता भटक गए हैं? ये हूं मैं. मेरा परिचय. अनु गुप्ता. View my complete profile.
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दायरा: 08/13/09
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Thursday, August 13, 2009. खिलौना जान कर तुम तो. (दूसरा भाग). खिलौना जान कर तुम तो. इस सीरीज का पहला भाग पढ़ने के लिए लिंक. पर जाएं). जारी है. अनु गुप्ता. 14 अगस्त 2009. अनु गुप्ता. Thursday, August 13, 2009. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). समय की दौड़. चिट्ठाजगत. चिट्ठा संग्रह. ये हूं मैं. मेरा परिचय. अनु गुप्ता. View my complete profile.
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दायरा: 06/07/10
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दायरा, बंधा हुआ नहीं.खुले आसमान की तरह विस्तृत.एक अभिव्यक्ति, एक सोच कल, आज और कल की.संकीर्ण मानसिकता की बंदिशों से परे.ये है मेरा दायरा. Monday, June 7, 2010. इस मजाक का शुक्रिया! हा हा हा हा हा. ही ही ही ही. अरे भई हैरान मत होइए. मैं हंस रही हूं. वैसे इस तरह नहीं हंसती. ये तो बस आपको जताने के लिए. कमाल है. ऐसा कैसे हो सकता है? क्या सचमुच ये इंसाफ है? क्या आज भी अपंग पैदा होते बच्चे सबूत नहीं हैं? लेकिन प्लीज अब आप मत हंसना।. अनु गुप्ता. 7 जून 2010. अनु गुप्ता. Monday, June 07, 2010. Links to this post.