kavita-samay.blogspot.com
कविता-समय: September 2010
http://kavita-samay.blogspot.com/2010_09_01_archive.html
मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. मंगलवार, 7 सितंबर 2010. मैं एक शिक्षक (कविता ). मैं एक शिक्षक. एक मध्यम वर्ग का संकुचित,. कुंठित आदमी।. बाहर की दुनिया में हुई तब्दीली से. चंद सपने- अपने, बच्चों के, परिवार के. बहुत अधिक अपेक्षाएं दुनिया की, समाज की. सपनों और अपेक्षाओं की प्रत्यंचा से. धनुष की तरह तना मैं. एक शिक्षक. न तो ढंग से किसी बाप का फर्ज निभाया. न बेटे , भाई या पति का. उपहारों में पाए ज्ञान का बोझ. पीठ पर लादे. लद्दू घोड़े की तरह. सिखाते हुए. नई पोस्ट.
chashmebaddoor.blogspot.com
Chashmebaddoor: November 2011
http://chashmebaddoor.blogspot.com/2011_11_01_archive.html
Tuesday, November 15, 2011. बाज़ार में बिक रही थी. हत्या करके लायी गई. मछलियाँ. ढेर पर ढेर लगी. मरी मछलियाँ. धड़ कटा-खून सना. बदबू फैलाती बाज़ार भर में. मरी मछलियों पर जुटी भीड़. हाथों में उठाकर. भांपती उनका ताज़ापन. लाश का ताज़ापन. भीड़ जुटी थी. मुर्गे की दूकान पर. बड़े-बड़े लोहे के पिंजरों में. बंद सफ़ेद-गुलाबी मुर्गे या मुर्गियाँ. मासूम आँखों से भीड़ को ताकते. और भीड़ ताकती उनको. भूखी निगाहों से. अपनी बाँह के दर्द में. तड़पड़ाते आदमी ने. कि कोई छू ना पाए. दुकानदार से कहता. अलग कर दिए गए.
kavita-samay.blogspot.com
कविता-समय: June 2010
http://kavita-samay.blogspot.com/2010_06_01_archive.html
मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. बुधवार, 30 जून 2010. पुलिसवालों की ड्यूटी. अब आप कहेंगे कि वे तो जाँच करते हैं हमें उनका सहयोग करना चाहिए क्यंकि मुद्दा नागरिक सुरक्षा का है।. देखिये, वे कुछ इस तरह नागरिक को परेशान करते है,. आपको हाथ देकर रुकवा लेंगे।. फिर आपका ड्राइविंग लाइसेंस मांगकर रख लेंगे।. कोई कम निकला तो चालान करेंगे।. आप शरीफ दीखते है तो गहराई से काटेंगे।. नहीं।. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! नई पोस्ट. आना आपका.
chashmebaddoor.blogspot.com
Chashmebaddoor: December 2011
http://chashmebaddoor.blogspot.com/2011_12_01_archive.html
Thursday, December 8, 2011. लड़की की नज़र. बस स्टैंड पर बैठी लड़की कि नज़र. डूबते सूरज कि लालिमा पर पड़ी और उसकी आँखे चमक उठी. उसने तुरंत उस बेहद दिलकश नज़ारे को साझा करने के लिए. बगल ही में बैठे प्रेमी से कहा. देखो मुझे उसमे तुम ही दिख रहे हो. तुम्हारा नाम आसमान कि लाल बिंदी बन गया है. प्रेमी ने उसकी उत्सुक आँखों में डूबते हुए. हिंदी फिल्म के गाने कि एक लाइन दोहराई. तेरे चेहरे से नज़र नहीं-. हटती नज़ारे हम क्या देखें' . और उसने कहा. कुछ कहना चाहती हो? अपराजिता. Subscribe to: Posts (Atom).
chashmebaddoor.blogspot.com
Chashmebaddoor: July 2012
http://chashmebaddoor.blogspot.com/2012_07_01_archive.html
Sunday, July 29, 2012. जब हम इतने छोटे थे. जब हम इतने छोटे थे कि. चल तो सकते थे ,पर. चलने की समझ नहीं थी,. तब गर्मियों की छुट्टियों में. दिल्ली की दिवालिया दुपहरियों से निकालकर. माँ हमें नानी-घर ले जातीं. बस,ऑटो,साइकिल,गाड़ियां. तो हम घर के आस-पास रोज़ ही देख लेते. पर रेलगाडियाँ और प्लेटफ़ार्म. बस इन्ही दिनों देखने मिलते. तब हम इतने छोटे थे की. देखते तो थे पर समझते नहीं थे ,. और देखने पर चीज़ें. रेल ' रेला' बन जाती. सर पर मनों सामान लादे,भागते. हम हैरत और डर से. शेष अगले चरण में ). पल प्रतिपल.
baljaihindi.blogspot.com
बाल जयहिंदी: May 2009
http://baljaihindi.blogspot.com/2009_05_01_archive.html
बाल जयहिंदी. बच्चों के लिए पंचमेल सामग्री।. विषय सूची. गुब्बारे की कला कृतियां. चुटकुले. पर्यावरण दिवस. प्रेरक प्रसंग. बाल उपन्यास. बूझो तो जानें. बूझो तो जानें - उत्तर. भूमिका. मानो या न मानो. रोचक जानकारी. हमारा साहित्य. हमारे धर्म. हमारे महापुरुष. हमारे साहित्यकार. शनिवार, 30 मई 2009. बीमारों के लिए घड़ी. प्रस्तुतकर्ता बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण. 0 टिप्पणियाँ. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: रोचक जानकारी. शुक्रवार, 29 मई 2009. गुरु नानक. 0 टिप्पणियाँ. 0 टिप्पणियाँ. गुरुवार, 28 मई 2009. उत्तर की...
vibhaav.blogspot.com
विभाव ( VIBHAAV ): March 2009
http://vibhaav.blogspot.com/2009_03_01_archive.html
Friday, March 13, 2009. राधे-कृष्ण. धीरे-धीरे घर में छा गया सन्नाटा. कल जन्माष्टमी है. राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण! Posted by भास्कर रौशन. फेरे सात. Posted by भास्कर रौशन. Subscribe to: Posts (Atom). समय होत बलवान. मेरी रचना, लिपि आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. दिग्भ्रमण. चश्म-ए-बद्दूर. असुविधा. साहित्यालोचन. बालवृंद. धमाचौकड़ी. काव्य क्रम. उन्हें गुस्सा बहुत आता है. मैं और एक कविता. राम की बगिया. क्रम या क्रमभंग. रात की अकल्पित पर. देखी अनदेखी. आज का समय. एक मेरा साथ. साथ हो.
vibhaav.blogspot.com
विभाव ( VIBHAAV ): April 2011
http://vibhaav.blogspot.com/2011_04_01_archive.html
Friday, April 8, 2011. कलम में भरी है स्याही. कलम में भरी है स्याही. पर निब में नहीं आती. झटकना पड़ता था कई बार पहले. अब तो उसका भी असर नहीं. लगता है कुछ ज्यादा ही खफ़ा है मुझसे. उसके इस रवैये से दुखी बहुत हूँ. पर गुस्सा नहीं करता मैं. कुछ देर के लिए रख देता हूँ. कुछ देर बाद उठा के पता लगाता हूँ. करता हूँ प्रयास. कि हो जाये ठीक. हो भी जाती है पर ये बताकर. कि गलती मेरी थी. फिर आगे बढ़ने लगता है. हमारा प्रेम अनवरत! Posted by भास्कर रौशन. Subscribe to: Posts (Atom). समय होत बलवान. ગુજરાતી. आज का समय. रचना...
kavita-samay.blogspot.com
कविता-समय: April 2015
http://kavita-samay.blogspot.com/2015_04_01_archive.html
मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. शनिवार, 25 अप्रैल 2015. आदित्य शुक्ला की कविताएँ. रवीन्द्र के दास. आदित्य शुक्ल, गुडगाँव. एक्स्चेंगिंग टेक्नोलोजी में डाटा एनालिस्ट के रूप में कार्यरत. ब्लॉग और फेसबुक पर सक्रिय रूप से लेखन. हिंदी और विश्व साहित्य में रूचि. ऊबकर कहता हूं मैं. पियोगे क्या चाय. सहमति में अपना जरा सा सिर हिला देते हो तुम. चाय बनाना. किचन में आग न लगा देना. कहते हो तुम चिढ़कर. मन ही मन गालियां देते हो. कहते हो. ईश्वर का. कहते हो. एक लकीर रह गई. आलमारी...