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शहरोज़ का रचना संसार: September 2008
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शहरोज़ का रचना संसार. हमारे बारे. हाल-बेहाल. साहित्य-अदब. नारी-विमर्श. पहला पन्ना. गुरुवार, 4 सितंबर 2008. अनपढ़ क्यों हैं मुस्लिम औरतें. तुमने अगर इक मर्द को पढाया तो मात्र इक व्यक्ति को पढाया। लेकिन अगर इक औरत को पढाया तो इक खानदान को और इक नस्ल को पढाया।. ऐसा कहा था पैगम्बर हज़रत मोहम्मद. ने ।. भारत में महिलाओं की साक्षरता. ४० प्रतिशत है,इसमें मुस्लिम महिला मात्र ११ प्रतिशत. इनके उत्थान के लिए. इसका जिम्मेदार मुल्ला-मौलवी और पुरूष...Posted by शहरोज़. Labels: स्त्री-विमर्श. नई पोस्ट. सैयद शहर...
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इडियट्स की डायरी: February 2010
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इडियट्स की डायरी. मंगलवार, फ़रवरी 16, 2010. जेहाद इस्लाम और हिंदुत्व. शायद इसका उत्तर न भी हो सकता है . क्या आप बताएंगें तथाकथित उल्लेमाओं? जेहाद का नाम आते ही कश्मीर में मार दिए गए लाखों निर्दोष दीखते है? तालिबान दिखता है? इस्लाम और जेहाद के तिलिस्म में टूटता पाकिस्तान दिख रहा है? तुम सनातनी नहीं हो सकते? आपका इडियट. प्रस्तुतकर्ता. 6 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: इस्लाम. एक अंक - -. उस ननî...
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इडियट्स की डायरी: March 2011
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इडियट्स की डायरी. सोमवार, मार्च 21, 2011. होली की हास्य व्यंग कविता. होली की हास्य व्यंग कविता. श्री सीमेंट चौराहे पर. भीड़ जुटी मस्तानो की. जब होली का चंग बजा. चौराहे पर हुरदंग मचा. तब शुक्ला जी पिचकारी उठायें. बीच भीड़ में नज़र आयें. जोशी जी पर तान पिचकारी. धीरे -धीरे कमर लचकाएं. बोले जोशी जी तुम भी आओ. संग-संग ठुमका लगाओ. पिए भांग की मस्ती में. दोनों आ गए गश्ती में. जोशी बोले मै नाचूँगा. मुन्नी बुलाओ तो ठुमका लगाऊंगा. ये सुनकर जे.के.जैन आये. तब चंग पर थाप लगी. अंग-अंग पर आग लगी. नहीं वि...बाते...
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वातायन: November 2012
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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. शुक्रवार, 2 नवंबर 2012. वातायन-नवंबर,२०१२. हम और हमारा समय. विकास के रथ में भ्रष्टाचार का पहिया. रूपसिंह चन्देल. सभी एक-मत हैं– एक जुट हैं. ऎसा पहली बार हो रहा है और इसलिए पहली बार. हो रहा है क्योंकि किसी व्यक्ति ने. एक साथ सभी को बेनकाब कर आम जनता को उनके असली चेहरे दिखाए हैं. 2404; अपने एक इंटरव्यू में. डेड लाइन. प्रेम प्रकाश. पंजाबी से अनुवाद : सुभाष नीरव. एसपी. आनन्द. गन में गेंद से खेलनेवाला. और जो भी सब्ज़ी बनती. हो सकता है. ताया की प&#...पहोवì...
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वातायन: December 2013
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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. मंगलवार, 3 दिसंबर 2013. वातायन-दिसम्बर,२०१३. हम और हमारा समय. लड़कियां और सामन्ती सोच. रूपसिंह चन्देल. से जुड़े वे तथ्य. थे जिन्हें तलवार दम्पति ने छुपाए या पुलिस को उनके संबन्ध में भटकाने का प्रयास किए. विद्वान जज ने दोनों को उम्रकैद. की सजा के छब्बीस आधार. कारणों से जो त्यधिक व्यस्त रहते थे…सूत्रों के. प्राण शर्मा की तीन लघु कथाएँ. अहिंसावादी. लिए उसके आगे कर देना चाहिए।. बिच्छु है। मार गिराइये। `. मुझ अहिंसावादी को क...बिच्छु अकस्म...मारता ह&#...सोन...
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भारतीय कला मंच
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कला साहित्य और नाट्य का संगम. मंगलवार, 15 दिसंबर 2009. नाम रूपांतरित हुआ भारतीय कला मंच . प्रस्तुतकर्ता. विजय कुमार दत्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). सदस्यता लें. टिप्पणियाँ. टिप्पणियाँ. मेरी ब्लॉग सूची. Kajri ko apna haanth de. 6 वर्ष पहले. इडियट्स की डायरी. वामियनों के देश में प्रेम. 1 वर्ष पहले. शेरघाटी SHERGHATI. रंग लाल के प्रेमिल क्षण. 1 वर्ष पहले. योगदानकर्ता. विजय कुमार दत्ता. ब्लॉग आर्काइव.
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रचना समय: February 2013
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सोमवार, 4 फ़रवरी 2013. पुस्तक चर्चा. डॉ. ज्योतिष जोशी की आलोचना पुस्तक. उपन्यास की समकालीनता. 8217;पाथर टीला’. के विषय में डॉ. जोशी के विचार. देखे, जिये और महसूस किये गये समय से साक्षात्कार. डॉ. ज्योतिष जोशी. 8217;रुकेगा नहीं सवेरा’ और ’रमला बहू’. के बाद चन्देल ने जिस ’पाथरटीला’. उसका वह चरित्र है कि वह दूसरे के अधिकारों का उपभोग करता है और तनिक भी विचलित नहीं. 8217;उपन्यास की समकालीनता’. लेखक – डॉ. ज्योतिष जोशी. भारतीय ज्ञानपीठ,. नयी दिल्ली-११० ००३. पृ.२४०, मूल्य: २००/-. आवरण : राजकमल. गलिया...तोल...
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रचना समय: May 2012
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शुक्रवार, 11 मई 2012. सआदत हसन मंटो के जन्म दिवस पर विशेष. सआदत हसन मंटो. सआदत हसन मंटो के सियाह-हाशिये पर वरिष्ठ कथाकार और कवि बलराम अग्रवाल का आलेख और उनके द्वारा प्रस्तुत मंटो की पांच लघुकथाएं. सियाह-क़लम मंटो और सियाह-हाशिये. बलराम अग्रवाल. धरती का हर आदमी अपने आप में कुछ खूबियों और कुछ खराबियों से. चालित है। गोस्वामी तुलसीदास के शब्दों में. 8212;‘ सुमति. कुमति सब कें उर रहहीं।. 8216; सियाह हाशिये. 8216; हाशिया आराई. 8217; शीर्षक से. 8216; सियाह हाशिए. पड़ी कि. 8216; मुझे. 8216; अदबे-जदीद. 8220; ज...
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रचना समय: March 2013
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गुरुवार, 21 मार्च 2013. मकान नम्बर एक सौ निन्यानवे. रूपसिंह चन्देल. में वह सबसे आगे था. सिल्क के क्रीम कलर कुर्ता-पायजामा पर उसने काले रंग की जैकेट. पहन रखी थी. 8216; दिसम्बर. के अंतिम सप्ताह की कड़ाके की ठंड और सत्तर की उम्र. 8212;’ यह अंदर ही अंदर ठुठुर रहा होगा. 8217;— उसे देखकर. नितिन ने सोचा. कॉलेज के दिनों में, अब से पच्चीस वर्ष पहले, वह इतनी कड़कती ठंड में. लेकिन इतनी सफेद. सिर के. भी अधपके थे. 8212; आज जैसे दूधिया नहीं. आगे बढ़ता हुआ चीखा. 8220; वी वाण्ट- -. युवाओं. 8220; जस्टिस. वह चीखा. संभव...